छोटे बऊवा सिंह ने जीता दर्शकों का दिल, फिर फॉर्म में लौटे शाहरूख खान

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हेमा पंत । Dec 21 2018 6:16PM

ये मेरठ के 38 साल के बौने बउआ सिंह की कहानी है, जो शादी के लिए लड़की तलाश रहा है। बउआ के पिता बेहद अमीर होत है, इसी के चलते वह अपने पिता का सारा पैसा अपनी पसंदीदा हीरोइन बबीता कुमारी ( कैटरीना कैफ ) पर उड़ाता रहता है।

फिल्म: जीरो

निर्देशक- आनंद एल. राय

कलाकार- शाहरुख खान, अनुष्का शर्मा, कटरीना कैफ, तिग्मांशु धूलिया, आर माधवन

मूवी टाइप- रोमांस , ड्रामा , कॉमेटी 

अवधि- 2 घंटे 38 मिनट 

रेटिंग्स: 3*

मनमर्जिया और रांझना जैसी बेहतरीन फिल्मे बनाने वाले आंनद एल राय इस बार जीरो लेकर दर्शको के बीच पहुंच चुके हैं। शाहरुख खान फिल्म जीरो से एक बार फिर बेहद चैलेंजिंग रोल के साथ लौटे हैं। इस फिल्म में कैटरीना कैफ और अनुष्का शर्मा की भी अहम भूमिका है। 

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फिल्म की कहानी 

ये मेरठ के 38 साल के बौने बउआ सिंह की कहानी है, जो शादी के लिए लड़की तलाश रहा है। बउआ के पिता बेहद अमीर होत है,  इसी के चलते वह अपने पिता का सारा पैसा अपनी पसंदीदा हीरोइन बबीता कुमारी ( कैटरीना कैफ ) पर  उड़ाता रहता है। कद में छोटे होना और 38 साल तक शादी न होने के चलते सभी लोग बउआ सिंह का मजाक बनाते थें, लेकिन बउआ सिंह की हमेशा से ख्वाहिश थी कि वह हीरोइन बबीता ( कैटरीना ) से शादी करें। ऐसे में एक बार बउआ सिंह की मुलाकात आफिया ( अनुष्का शर्मा )  से हो जाती है। इस मुलाकात के बाद बउआ को आफिया से प्यार हो जाता है। आफिया प्रोफेशन से एक वैज्ञानिक होती है। आफिया भी बउआ की तरह सेरेब्रल पाल्सी बीमारी से पीड़ित होती है। लेकिन दोनों कभी भी अपनी शरीर में कमी के चलते निराश नहीं हुए। दोनों ही अपने अधूरेपन से जूझ कर एक साथ होने जा रहे होते है कि फिर अचानक से कहानी में एक मोड़ आ जाता है। कैसे एक मेरठ का लड़का अपने प्यार को पाने के लिए मंगल ग्रह तक पहुंच जाता है , यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी। 

रिव्यू 

फिल्म में शाहरुख ने अपने इस किरदार से दोबारा अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा लिया है। वहीं अनुष्का शर्मा ने भी इस फिल्म सेरेब्रल पाल्सी बीमारी का चित्रण बेहद ही उम्दें ढंग से किया है। इस फिल्म में कैटरीना कैफ ठग ऑफ हिन्दोस्तान फिल्म की तरह कहीं साइड में सिमट कर रह गयी है। लेकिन आपको इस फिल्म में कई ऐसे डायलॉग सुनने को मिलेंगे, जो बेहद ही मजेदार है। साथ ही साथ शाहरुख खान ने इस फिल्म बउआ बन सभी का दिल जीत लिया है। यह फिल्म एक बेहद ही प्यारी लव स्टोरी बयां करती है। फिल्म के तीनो गाने काफी अच्छे है। 

क्यों देखें

आनंद एल राय छोटे शहरों की सामान्य कहानियां उठाते हैं जिनका क्लाइमैक्स असामान्य और उतार चढ़ाव से भरा होता है। जीरो में भी यही देखने को मिला। बउआ दर्शकों को हंसाने में कोई कमी नहीं रखता। हमेशा जोश-खरोश में नजर आता है। फ़िल्म का म्यूजिक लाजवाब है। जब तक सुबह शाम है... गाना बेहद खूबसूरती के साथ फिल्माया गया है। 

कमजोर कड़ी

फिल्म सेकंड हाफ में स्लो और बोरिंग होने लगती है। मंगल मिशन जैसे संजीदा स्पेस प्रोग्राम के बीच लव ड्रामा की गुंजाइश खोज लेना आनंद एल राय के बस की ही बात है। फिल्म के अंत का आधा घण्टा बेहद खींचा हुआ और इलॉजिकल लगता है। 

यहां देखें लोगों को फिल्म कैसी लगी-

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