Stillbirth Symptoms: प्रेग्नेंसी में इन गलतियों से गर्भ में बंद हो सकती हैं बच्चे की सांसे, स्टिलबर्थ के खतरे को ऐसे करें कम

Stillbirth Symptoms
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जब डिलीवरी या उससे पहले बच्चे की गर्भ में मौत हो जाती है तो उस स्थिति को स्टिलबर्थ कहा जाता है। हालांकि हेल्थ सेक्टर में सुधार होने और लोगों के जागरुक होने के बाद स्टिलबर्थ के केस में काफी कमी आई है।

जब गर्भावस्था के 24वें हफ्ते में बच्चे की गर्भ में मौत हो जाती है तो इस स्थिति को स्टिलबर्थ कहा जाता है। यानी की डिलीवरी के समय या इससे कुछ दिन पहले जब गर्भ में बच्चे की मौत हो जाती है तो उसे स्टिलबर्थ कहते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, 175 जन्मों में से लगभग 1 बच्चा स्टिलबर्थ की अवस्था में पैदा होता है। हालांकि पिछले 30 सालों में हेल्थ सेक्टर में सुधार होने के कारण प्रसवपूर्व देखभाल में काफी सुधार हुआ है। जिससे गर्भ में मरने वाले बच्चों की संख्या में कमी आई है। आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए कुछ ऐसे तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी मदद से एक प्रेग्नेंट महिला स्टिलबर्थ के खतरे को कम कर सकती है।

जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, स्टिलबर्त के खतरे को कम करने के लिए तमाम तरह की सावधानी बरतने की जरूरत होती है। जिसमें मां की उम्र, कोई जेनेटिक बीमारी, वजन, बीएमआई, मेडिकल विकार, फैमिली हिस्ट्री आदि जोखिम शामिल होते हैं। यदि इन जोखिमों की पहले से पहचान कर इनका उपाय कर लिया जाए तो स्टिलबर्थ के खतरे को कम किया जा सकता है।

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स्टिलबर्थ में कमी

बता दें कि स्टिलबर्थ की दर में काफी कमी आई है। हेल्‍दी प्रेग्‍नेंसी और सुरक्षित डिलीवरी को लेकर लोगों को जागरुक होना चाहिए। वहीं मां और बच्चे की सेहत को ध्यान में रखते हुए स्टिलबर्थ की दर को कम करने का लक्ष्य बनाना चाहिए। जिससे कि इस दिशा में सफलता पाई जा सके।

एंटी-नेटल अपॉइंटमेंट

किसी भी गर्भवती महिला को अपनी एंटी-नेटल अपॉइंटमेंट मिस नहीं करनी चाहिए। बता दें कि यह कुछ ऐसे जरूरी टेस्ट होते हैं, जिनकी मदद से एक विशेष समय पर किसी भी संभावित समस्या के बारे में पता किया जा सकता है। साथ ही मां को यह भी पता चल जाएगा कि गर्भ में पलने वाला बच्चा कितना सुरक्षित है। 

एक्टिव बनी रहें

प्रेग्नेंसी के दौरान हेल्दी फूड खाना चाहिए और अनहेल्दी फूड से दूरी बनाए रखना चाहिए। इस दौरान एक्टिव रहने का प्रयास करना चाहिए। बता दें कि वेट ज्यादा बढ़ने या ओबीस होने से प्रेग्‍नेंसी में दिक्कते होने लगती हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान वेट लॉस करने की जगह पहले से यदि आप ओवरवेट हैं तो अपने वजन को कंट्रोल करना चाहिए। इसके अलावा प्रेग्नेंसी के दौरान पीठ के बल सोने से स्टिलबर्थ का खतरा दोगुना हो जाता है। वहीं पीठ के बल लेटने से बच्चे तक खून और ऑक्सीजन प्रॉपर तरीके से नहीं पहुंच पाता है। इस दौरान आपको करवट लेकर सोना चाहिए।

शराब-सिगरेट से बनाएं दूरी

अगर आप भी धूम्रपान का सेवन करती हैं तो प्रेग्नेंसी में इसे बिलकुल बंद कर देना चाहिए। क्योंकि स्मोकिंग आदि करने से मां और बच्चे दोनों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। वहीं यदि आपको शराब व सिगरेट आदि छोड़ने में किसी भी तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो आप किसी प्रोफेशनलिस्‍ट की सहायता ले सकती हैं। 

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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