42 साल पहले चीन की तरह रुस की लैब से निकला था जानलेवा वायरस, मृतकों की पहचान छुपाने के लिए की थी ऐसी हरकत

anthrex virus created in russia lab 42 years ago

कोरोना वायरस की तरह ही आज से 42 साल पहले सोवियत संघ यानि रुस में एक अजीब तरह का वायरस आया था। ये बात साल 1979 की है। जब अप्रैल के महीने में रुस में अचानक से न्यूमोनिया के लक्षण वाले मरीज सामने आने लगे थे और देखते ही देखते इसकी चपेट में आने से 66 लोगों की जान चली गई थी।

कोरोना वायरस की तरह ही आज से 42 साल पहले सोवियत संघ यानि रुस में एक अजीब तरह का वायरस आया था। ये बात साल 1979 की है। जब अप्रैल के महीने में रुस में अचानक से न्यूमोनिया के लक्षण वाले मरीज सामने आने लगे थे और देखते ही देखते इसकी चपेट में आने से 66 लोगों की जान चली गई थी। उस समय खुफिया पुलिस ने इन लोगों के रिकॉर्ड जब्त कर लिए और साथ डॉक्टरों को भी अपना मुंह बंद रखने की हिदायत दी गई। चीन के लैब से कोरोना वायरस के लीक होने की खबरें आई थी ठीक वैसे ही अमेरिकी जासूसों को रुस के लैब से कुछ लीक होने की जानकारी मिली।

1990 की जांच में हकीकत कुछ और ही बयां कर रही थी

रुस ने उस समय अजीब-सी दलील देते हुए कहा था कि ये बीमारी संक्रमित मीट से फैली है। रुस में हवा में फैलने वाले इस वायरस का नाम एंथ्रैक्स वायरस था और ये वहां की एक सैन्य लैब से लीक हुआ था। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने तब भी रुस के दावे पर भरोसा जताते हुए कहा था कि ये वायरस फैलाने वाले बैक्टीरिया जानवरों से आए हैं लेकिन जब 1990 में इसकी जांच की गई तो हकीकत कुछ और ही निकली। दरअसल, एंथ्रैक्स वायरस तब रुस के ही येकटरिंगबर्ग शहर की लैब से संक्रमण लीक हुआ था। उस समय वायरस की चपेट में आने से मरने वालों की पहचान छिपाने के लिए उनकी अलग-थलग करके उनके ऊपर से नाम की पट्टी हटा दी गई है। उनके शवों को कृषि में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशकों के साथ दफनाया गया था।

गहन अध्ययन के बाद सामने आई घटना की पूरी सच्चाई

1992 में जब सोवियत संघ का विघटन हुआ तब जैविक हथियारों के विशेषज्ञ मसलसन अपनी पत्नी और मेडिकल एंथ्रोपोलॉजिस्ट जेनी गुलियन के साथ येकटरिंगबर्ग पहुंचे। उन्होंने दूसरे अमेरिकी विशेषज्ञों के साथ इस घटना का गहन अध्ययन किया। इस अध्ययन के बाद उन्होंने माना कि 2 अप्रैल,1979 को हवाओं के कारण कुछ मिलीग्राम एंथ्रैक्स फैल गया। हवा के कारण फैक्ट्री के बाहर कम से कम 30 मील दूरी तक फैला। उस समय वहीं के एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि उसके कुछ दोस्तों को एक खुफिया परिसर में जाने की इजाजत थी। उसके दोस्त उसे नारंगी और डिब्बाबंद मीट दिलवाया करते थे जो उससे मिलना आसान नहीं था। उससे केजीबी ने 25 सालों तक किसी को कुछ भी नहीं बताने के लिए दस्तावेजों पर दस्तखत भी कराए थे।

रुस की तरह चीन भी कर रहा है इंकार

अब रुस की 42 साल पहले की इस हरकत से ये साफ है कि कैसे सरकारें किसी बीमारी की कहानी सरकार के सामने पेश करती हैं। कोविड के मामले में भी विशेषज्ञों का मानना है कि ये वायरस जानवरों से इंसानों में फैला है लेकिन रुस की तरह ही चीन भी इससे इंकार कर रहा है। 

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़