यूक्रेन के हमले ने लोकतंत्र की नाजुक स्थिति को उजागर किया : विश्लेषक

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उन्होंने कहा मानवता ने ‘‘सच्चाई के क्षण’’ का सामना किया। गुतारेस ने कहा, ‘‘शांति, मानव अधिकार, सबका सम्मान, समानता, न्याय, एकजुटता की भावना को धक्का लगा है। दंड से मुक्ति की भावना जोर पकड़ रही है।’’

संयुक्त राष्ट्र| राजनीतिक-समाज विज्ञानियों का मानना है कि यूक्रेन पर रूस के हमलों ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बढ़ती अधिनायकवादी प्रवृतियों और लोकतंत्र की नाजुक स्थिति को उजागर किया है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने हाल में दुनिया के हालात पर चर्चा करते हुए वैश्विक नेताओं के साथ वार्षिक बैठक की शुरुआत की।

उन्होंने कहा मानवता ने ‘‘सच्चाई के क्षण’’ का सामना किया। गुतारेस ने कहा, ‘‘शांति, मानव अधिकार, सबका सम्मान, समानता, न्याय, एकजुटता की भावना को धक्का लगा है। दंड से मुक्ति की भावना जोर पकड़ रही है।’’

संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए गुतारेस का संदेश यूक्रेन पर रूसी सेना के आक्रमण के साथ और भी अधिक प्रासंगिक है। उन्होंने जिन चीजों को रेखांकित किया, वे लोकतंत्र के मूल सिद्धांत हैं।

विश्लेषकों ने कहा कि व्लादिमीर पुतिन का आक्रमण लोकतंत्र विरोधी प्रवृत्ति को आगे बढ़ाता है। यह ऐसी प्रवृत्ति है जिसमें शासक अपने राष्ट्रों को तानाशाही की ओर ले जाते हैं और लोकतांत्रिक मानदंडों की उपेक्षा करते हैं।

ऐसा करके वे समान रूप से, हमेशा से नाजुक लोकतंत्र पर प्रहार करते हैं। वर्जीनिया में विलियम एंड मैरी कॉलेज के प्रोफेसर और ‘‘पोस्ट-इंपीरियल डेमोक्रेसीज’’ किताब के लेखक स्टीफन ई हैनसन ने कहा, ‘‘आक्रमण निश्चित रूप से वैश्विक लोकतंत्र के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है।’’ हाल के समय में दुनिया के कई देशों में अधिनायकवादी प्रवृत्तियां बढ़ी है। अमेरिका में भी डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसी ही चिंताएं पैदा की थी। पेंसिल्वेनिया में गेटिसबर्ग कॉलेज में राजनीति विज्ञानी डगलस पेज ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर लोकतांत्रिक मानदंडों को कमजोर करने वाले, लोगों के चहेते नेताओं ने पिछले 20 वर्षों में चुनावों के जरिए वैधता हासिल की है।’’

पेज ने कहा कि इसलिए जब पुतिन यूक्रेन पर इस तरह से आक्रमण करने का आदेश देते हैं तो इससे लोकतंत्र की एक तस्वीर दिखती है। विश्लेषकों का कहना है कि अपने देश में एक लोकतांत्रिक नेता के रूप में उन्हें वह करने की अनुमति मिल जाती है जो वह कहीं और चाहते हैं।

मैसाचुसेट्स में वॉर्सेस्टर पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट के एक राजनीतिक और समाज विज्ञानी क्रिस्टल ब्राउन ने कहा, ‘‘लोकतंत्र ने पुतिन को सत्ता में ला दिया और सत्ता बनाए रखने के लिए एक उपकरण के रूप में उनकी काफी सेवा की है।’’ हैनसन ने कहा, ‘‘ऐसे नेता खुद को राष्ट्र के नायाब रक्षक के रूप में पेश करते हैं और उनकी सेवा करने वाले सभी से बिना शर्त व्यक्तिगत वफादारी की अपेक्षा रखते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लोकतांत्रिक संस्थाओं को नष्ट करने का ऐसा नुस्खा दुनिया भर में इतना शक्तिशाली साबित हुआ है जो 21वीं सदी की शुरुआत के सबसे उल्लेखनीय घटनाक्रम में से एक है।’’

पेनसिल्वेनिया में फ्रैंकलिन एंड मार्शल कॉलेज में सहायक प्रोफेसर स्टेफनी कास्परेक ने कहा, ‘‘दुनिया बड़े पैमाने पर संघर्ष में प्रवेश नहीं करना चाहती है। यह नेताओं को वास्तव में लोकतांत्रिक हुए बिना लोकतांत्रिक स्वरूप की उन सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए बहुत अधिक छूट देता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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