एक बार फिर से जंग के रास्ते पर बढ़ता अफगानिस्तान, तालिबान को सबक सीखाने के लिए बाजवा ने शुरू किया नया खेल
तालिबान ने दावा किया कि पिछले महीने पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में एयर स्ट्राइक की थी, जिसमें 40 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। जिसमें बच्चें भी शामिल थे। हालांकि पाकिस्तान इस बात को नहीं मान रहा था। लेकिन कहा जा रहा है कि पाकिस्तान के इस एक कदम की वजह से दोनों दोस्त दुश्मन बन चुके हैं।
अफगानिस्तान एक बार फिर से जंग के रास्ते पर बढ़ता नजर आ रहा है।अफगानिस्तान में तालिबान शासन आने के बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों देश दोस्ती के बड़े-बड़े दावे कर रहे थे। लेकिन अफगानिस्तान में पाकिस्तान की एयर स्ट्राइक करने की खबर उड़ने के बाद दोनों ही नकली दोस्ती दुनिया के सामने आ गई। तालिबान ने दावा किया कि पिछले महीने पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में एयर स्ट्राइक की थी, जिसमें 40 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। जिसमें बच्चें भी शामिल थे। हालांकि पाकिस्तान इस बात को नहीं मान रहा था। लेकिन कहा जा रहा है कि पाकिस्तान के इस एक कदम की वजह से दोनों दोस्त दुश्मन बन चुके हैं।
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दुश्मनी की वजह पाकिस्तान के उन सात सैनिकों की मौत है जो ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के उत्तरी वजीरिस्तान जिले में मारे गए थे। ये जगह पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बॉर्डर पर है। कहा जा रहा है कि सातों सैनिकों को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के आतंकवादियों ने मारा है। ये एक ऐसा संगठन है जिसपर पाकिस्तान में कई आतंकी वारदात को अंजाम देने का आरोप है। इस संगठन को पाकिस्तानी तालिबान भी कहते हैं। पाकिस्तानी सैनिकों की मौत के बाद तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान पर एक्शन लेने से तालिबान ने साफ इनकार कर दिया। जिसके बाद पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने तालिबान को सबक सीखाने के लिए अब अफगानिस्तान में नया खेल शुरू कर दिया।
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तालिबान टीटीपी के खिलाफ एक्शन नहीं ले रहा है और इससे पाकिस्तान खफा है। तालिबान शासन आने के बाद से ही अफगानिस्तान अर्थव्यवस्था के खराब दौर से गुजर रहा है इसके अलावा देश के विभिन्न हिस्सों में हमले भी देखने को मिले हैं। 29 अप्रैल को काबुल में सुन्नी मस्जिद में भीषण धमाके से 50 लोग मारे गए। इससे पहे भी मजार ए शरीफ में शिया मुस्लिम पर हुए हम हमले में कम से कम 9 लोग मारे गए थे। इन हमलों के पीछे आईएसआईएस का हाथ बताया जा रहा है। तालिबान सरकार ने न केवल आईएसआईएस से चुनौती मिल रही है बल्कि अहमद मसूद और पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह के नेतृत्व वाले नेशनल रजिस्टेंस फ्रंट से भी चुनौती मिल रही है। आईएसआईएस के खिलाफ हक्कानी नेटवर्क एक्शन नहीं ले रहा है। जिसके पास अफगानिस्तान का गृह मंत्रालय है। हक्कानी नेटवर्क को पाकिस्तान ने ही पाल रखा है।
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