ट्रम्प से 1 बिलियन डॉलर के मानहानि विवाद पर BBC ने मांगी माफी, मानी अपनी गलती

BBC apologizes
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Ankit Jaiswal । Nov 14 2025 9:04PM

बीबीसी ने डोनाल्ड ट्रम्प के जनवरी 6, 2021 के भाषण को एक डॉक्यूमेंट्री में गलत तरीके से एडिट करने पर माफी मांगी है, जिससे लगा कि ट्रम्प लगातार हिंसा भड़का रहे थे। 1 बिलियन डॉलर के मानहानि मुकदमे की धमकी के बाद, बीबीसी ने इस गलती पर खेद व्यक्त किया है, हालांकि उसने बदनामी के इरादे से इनकार किया है। इस घटना ने बीबीसी की साख पर गहरा असर डाला है, जिसके चलते उसके डायरेक्टर-जनरल सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों ने इस्तीफा दिया।

बीबीसी ने आखिरकार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से माफी मांग ली है, लेकिन साथ ही यह भी साफ कर दिया है कि उसने ट्रम्प की छवि को बदनाम नहीं किया है। मामला 6 जनवरी 2021 के उस भाषण से जुड़ा है, जिसे बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री में गलत तरीके से एडिट कर दिखाया गया था।

मौजूद जानकारी के अनुसार, बीबीसी चेयर समीर शाह ने व्हाइट हाउस को निजी पत्र भेजकर इस एडिट पर खेद जताया है। उन्होंने माना कि भाषण को ऐसे जोड़ा गया कि ऐसा लगा जैसे ट्रम्प ने लगातार एक ही हिस्से में हिंसा भड़काने जैसे शब्द बोले हों, जबकि असल में दोनों हिस्से लगभग एक घंटे के अंतर पर कहे गए थे।

बता दें कि यह विवाद उस समय बढ़ा जब डॉक्यूमेंट्री प्रसारित होने के बाद ट्रम्प के वकील ने बीबीसी को 1 बिलियन डॉलर के मानहानि मुकदमे की धमकी दी थी और माफी के लिए समयसीमा भी तय कर दी थी। कहा गया था कि इस गलत एडिट से ट्रम्प की छवि को भारी नुकसान पहुंचा है और उन्हें उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि विवादित डॉक्यूमेंट्री बीबीसी की मशहूर श्रृंखला पैनोरमा का हिस्सा थी, जिसका शीर्षक “ट्रम्प: ए सेकंड चांस?” था। यह एपिसोड 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले प्रसारित हुआ था और यहीं से पूरा विवाद शुरू हुआ था।

डॉक्यूमेंट्री बनाने वाली थर्ड-पार्टी प्रोडक्शन कंपनी ने भाषण के तीन हिस्सों को जोड़कर एक ही बयान जैसा बना दिया था। इसमें उस हिस्से को हटा दिया गया था जिसमें ट्रम्प ने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने की बात कही थी।

मौजूद रिपोर्टों के मुताबिक, बीबीसी इस विवाद से इतनी गहरी तरह प्रभावित हुआ कि इसके डायरेक्टर-जनरल टिम डेवी और न्यूज हेड डेबराह टर्नेस ने भी 9 नवंबर को अपने पद छोड़ दिए। दोनों ने स्वीकार किया कि यह गलती संगठन की साख के लिए नुकसानदायक बनती जा रही है।

कानूनी जानकारों के अनुसार, ट्रम्प का मुकदमा अदालत तक पहुंचना मुश्किल है, क्योंकि इंग्लैंड में मानहानि मामलों की समय सीमा काफी पहले समाप्त हो चुकी है और यह डॉक्यूमेंट्री अमेरिका में दिखाई भी नहीं गई थी। ऐसे में यह साबित करना कठिन होगा कि अमेरिकी जनता की राय इस प्रसारण से प्रभावित हुई है।

हालांकि एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि अगर यह मामला अदालत तक जाता, तो बीबीसी यह दिखा सकता था कि इस प्रकरण से ट्रम्प को कोई वास्तविक नुकसान नहीं हुआ क्योंकि आखिरकार वे 2024 का राष्ट्रपति चुनाव जीत चुके हैं। बीबीसी ने साथ ही यह भी कहा है कि वह डेली टेलीग्राफ की उस रिपोर्ट की जांच कर रहा है जिसमें दावा किया गया है कि 2022 में न्यूज़नाइट ने भी ट्रम्प के इसी भाषण को मिलाकर दिखाया था।

कुल मिलाकर, बीबीसी ने अपनी गलती मान ली है, लेकिन यह भी साफ कर दिया है कि जानबूझकर किसी को बदनाम करने की उसकी मंशा नहीं थी, और यही बात अब पूरे मामले की दिशा तय कर रही हैं।

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