China Big Plan on Balochistan: बलूचिस्तान में पहली बार लड़ने पहुंचा चीन, भारत के लिए क्यों चिंता की बात?

बलूचिस्तान का नियंत्रण जल्द ही स्वतंत्र बलूचिस्तान राज्य की नई सरकार को सौंप दिया जाएगा और जल्द ही एक संक्रमणकालीन निर्णायक अंतरिम सरकार की घोषणा की जाएगी।
बलूचिस्तान में पहली बार कुछ ऐसा हुआ है जो भारत के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। चीन ने पहली बार सीधे बलूचिस्तान से संपर्क किया है। खबर है कि अपनी सीपैक परियोजना को बचाने के लिए चीन-बलूचिस्तान में भारत से जंग लड़ना चाहता है। चीन जानता है कि बलूचिस्तान के लोग भारत के साथ खड़े हैं। ये लोग खुलकर पाकिस्तान से आजादी और भारत से समर्थन मांग रहे हैं। ऐसे में चीन बलूचिस्तान को लालच देकर फंसाने के चक्कर में लग गया है। चीन ये जानता है कि बलूच विद्रोही उसकी सीपैक परियोजना को किसी भी कीमत पर पूरा नहीं होने देंगे। ऐसे में अपनी परियोजना, पैसे और इज्जत को बचाना है तो बलूचिस्तान के लोगों से हाथ मिलाना होगा। लेकिन यहां पर चीन के लिए भारत सबसे बड़ी अड़चन है।
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बलूचिस्तान के लोग और कई एक्टविस्ट बोल रहे हैं कि अगर भारत ऑपरेशन सिंदूर को सात दिन और चला लेता तो हम बलूचिस्तान को पाकिस्तान से तोड़ लेते। कागजी तौर पर बलूचों ने खुद को आजाद भी घोषित कर दिया है। बलूच नेताओं, खास तौर पर मीर यार बलूच द्वारा भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान से आज़ादी की घोषणा के बाद बलूचिस्तान गणराज्य शब्द ऑनलाइन चर्चा में आया। बलूच विद्रोहियों ने भारत से नई दिल्ली में दूतावास खोलने की अनुमति देकर बलूचिस्तान की संप्रभुता को मान्यता देने का आग्रह किया और शांति स्थापना के लिए संयुक्त राष्ट्र से समर्थन मांगा। उन्होंने यह भी मांग की कि पाकिस्तानी सेना बलूचिस्तान से वापस चले जाए। यह घोषणा 7 मई को भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद की गई, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया।
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बलूचिस्तान का नियंत्रण जल्द ही स्वतंत्र बलूचिस्तान राज्य की नई सरकार को सौंप दिया जाएगा और जल्द ही एक संक्रमणकालीन निर्णायक अंतरिम सरकार की घोषणा की जाएगी। कैबिनेट में बलूच महिलाओं का प्रतिनिधित्व हमारे राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता की पूर्ति है। लेकिन असली आजादी के लिए बलूचिस्तान को भारत के समर्थन की जरूरत है। ऐसे में चीन पागल हो गया है और बलूचिस्तान के नेताओं से मुलाकात कर रहा है। हालांकि चीन अभी बलूचिस्तान के गवर्नर से ही मिल पाया है, जिसे पाकिस्तान ने अप्वाइंट किया है।
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ये भारत के थोड़ी सी राहत की बात है कि बलूचिस्तान के एक्टिवस्त, वहां की जनता और बलूच लिबरेशन आर्मी अपने ही गवर्नर को कुछ नहीं समझती क्योंकि वो पाकिस्तान का प्यादा है। लेकिन अब चीन को शहबाज सरकार पर नहीं रहा रत्ती भर भी भरोसा। चीन सीपैक परियोजना की खातिर बलूचों से सीधी बातचीत करना चाहता है, जो सीपैक परियोदना पर हमला करते हैं। चीन अगर बलूचिस्तान के लड़ाकों और वहां की जनता तक पहुंच गया तो ये चिंता का विषय हो सकता है।
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