Prabhasakshi NewsRoom: Ceasefire लागू होने के बावजूद एक दूसरे से भिड़े हुए हैं Israel और Hezbollah

Israel Hezbollah
ANI

देखा जाये तो दोनों पक्षों के बीच आरोपों के आदान-प्रदान ने युद्धविराम की नाजुकता को उजागर किया है जिसे गाजा युद्ध के समानांतर लड़े गए संघर्ष को समाप्त करने के लिए अमेरिका और फ्रांस की मध्यस्थ के जरिये लागू करवाया गया था।

इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्षविराम लागू हो चुका है लेकिन फिर भी दोनों एक दूसरे पर हमले किये जा रहे हैं और एक दूसरे पर संघर्षविराम का उल्लंघन करने का आरोप लगा रहे हैं। हम आपको बता दें कि इजराइली सेना का कहना है कि उसकी वायु सेना ने गुरुवार को दक्षिणी लेबनान में मध्य दूरी के रॉकेटों को संग्रहित करने के लिए हिजबुल्लाह द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सुविधा पर हमला किया। इज़राइल ने कहा कि उसने दक्षिणी क्षेत्र के कई इलाकों में आ रहे वाहनों के साथ चल रहे "संदिग्धों" पर गोलीबारी की। इजराइल का कहना है कि संदिग्धों का आना हिजबुल्लाह के साथ संघर्षविराम का उल्लंघन था। दूसरी ओर, हिजबुल्लाह नेता हसन फदलल्लाह ने इज़राइल पर समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। फदलल्लाह ने संवाददाताओं से कहा, "इजराइल सीमावर्ती गांवों में लौटने वालों पर हमला कर रहा है।" बाद में लेबनानी सेना ने इज़राइल पर कई बार युद्धविराम का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।

देखा जाये तो आरोपों के आदान-प्रदान ने युद्धविराम की नाजुकता को उजागर किया है जिसे गाजा युद्ध के समानांतर लड़े गए संघर्ष को समाप्त करने के लिए अमेरिका और फ्रांस की मध्यस्थ के जरिये लागू करवाया गया था। यह संघर्षविराम 60 दिनों तक चलना था लेकिन अब इसके आसार कम नजर आ रहे हैं।

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बुधवार सुबह संघर्ष विराम लागू होने के बाद गुरुवार को इजराइल ने पहला हवाई हमला किया था। लेबनानी सुरक्षा सूत्रों और अल जदीद प्रसारक ने कहा कि यह लितानी नदी के उत्तर में बेसरियाह के पास हुआ। हम आपको बता दें कि युद्धविराम समझौते में कहा गया है कि लितानी नदी के दक्षिण में अनधिकृत सैन्य सुविधाओं को नष्ट कर दिया जाना चाहिए, लेकिन नदी के उत्तर में सैन्य सुविधाओं का उल्लेख नहीं है। लेबनानी सुरक्षा सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा, इजराइली टैंक की आग ने दक्षिणी लेबनान के पांच शहरों और कुछ कृषि क्षेत्रों को प्रभावित किया था, जिसमें दो लोग घायल हो गए थे। हम आपको बता दें कि यह सभी क्षेत्र लेबनान और इज़राइल के बीच सीमा का निर्धारण करने वाली ब्लू लाइन के 2 किमी के भीतर स्थित हैं। इस क्षेत्र में समझौते पर सहमति के बाद भी इजराइली सेना ने सीमा पर नो-गो जोन घोषित कर रखा है।

दूसरी ओर, इजराइल सेना ने एक बयान में कहा है कि उसने कई संदिग्ध गतिविधियों की पहचान की है जो खतरा पैदा करती हैं और युद्धविराम समझौते की शर्तों का उल्लंघन करती हैं। जनरल स्टाफ के प्रमुख हर्ज़ी हलेवी ने कहा, "इस समझौते से किसी भी विचलन को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।" इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी कहा है कि उन्होंने सेना को युद्धविराम का उल्लंघन होने पर गहन लड़ाई के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है। नेतन्याहू ने इज़राइल के चैनल 14 के साथ एक साक्षात्कार में कहा, "हम शक्तिशाली ढंग से संघर्षविराम लागू कर रहे हैं लेकिन इसका उल्लंघन कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।''

हम आपको बता दें कि दक्षिणी सीमा के पास अपने घरों से विस्थापित हुए लेबनानी परिवारों ने वापस लौटने की कोशिश की है। लेकिन इज़राइली सैनिक लेबनानी क्षेत्र के भीतर सीमा से लगे कस्बों में तैनात हैं। इजराइली सेना ने कर्फ्यू लगाया हुआ है जिसमें शाम 5 बजे से सुबह 7 बजे के बीच लितानी नदी के दक्षिण में दक्षिणी लेबनान के निवासियों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया। बताया जा रहा है कि इससे लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। हम आपको बता दें कि युद्धविराम की शर्तों में लिखा हुआ है कि इसके तहत इजराइली सेना को दक्षिणी लेबनान से हटने में 60 दिन तक का समय लग सकता है, लेकिन कोई भी पक्ष आक्रामक अभियान शुरू नहीं कर सकता है।

इस बीच, दुनिया इस ओर नजर रखे हुए है क्योंकि संघर्षविराम लागू होने के बावजूद दोनों पक्ष एक दूसरे के खिलाफ जमकर बयानबाजी भी कर रहे हैं। हम आपको बता दें कि नेतन्याहू ने कहा है कि इजराइल के उत्तरी क्षेत्र में इजराइलियों को लेबनान से रॉकेट हमले का खतरा अब नहीं रहना चाहिए। उन्होंने हालांकि उत्तरी क्षेत्र में अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर हुए लगभग 60,000 लोगों को अभी वापस लौटने का निर्देश नहीं दिया है। दूसरी ओर हिजबुल्लाह ने कहा है कि उसके लड़ाके "इजराइली दुश्मन की आकांक्षाओं और हमलों से निपटने के लिए पूरी तरह से सुसज्जित हैं" और उसकी सेनाएं "ट्रिगर पर हाथ रखकर" लेबनान से इजराइल की वापसी की निगरानी करेंगी। वैसे सैय्यद हसन नसरल्लाह और अन्य कमांडरों के मारे जाने से हिजबुल्लाह कमजोर हो गया है लेकिन उसके उग्र बयानों में कोई कमी नहीं आई है।

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