अमेरिका में 2021 में घृणा अपराध के मामले बढ़े: एफबीआई

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रिपोर्ट में न्यूयॉर्क और लॉस एंजिलिस सहित देश के कुछ सबसे बड़े शहरों के आंकड़े नहीं हैं। कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी-सैन बर्नार्डिनो में ‘सेंटर ऑफ द स्टडी ऑफ हेट एंड एम्प’ के निदेशक ब्रायन लेविन ने बताया कि घृणा के आधार पर होने वाले अपराध दशकों में सबसे अधिक हैं।

वाशिंगटन। अमेरिका में 2021 में घृणा अपराध के मामलों में एक बार फिर बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अमेरिका में न्याय विभाग की एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) ने यह जानकारी दी गई। संघीय जांच एजेंसी द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, इस तरह के मामलों में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि पिछली अधूरी रिपोर्ट में मामलों में कमी आने की बात कही गई थी। हालांकि रिपोर्ट में न्यूयॉर्क और लॉस एंजिलिस सहित देश के कुछ सबसे बड़े शहरों के आंकड़े नहीं हैं। कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी-सैन बर्नार्डिनो में ‘सेंटर ऑफ द स्टडी ऑफ हेट एंड एम्प’ के निदेशक ब्रायन लेविन ने बताया कि घृणा के आधार पर होने वाले अपराध दशकों में सबसे अधिक हैं।

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उन्होंने कहा, ‘‘हम एक ऐसे चिंताजनक दौर में हैं जहां नफरती अपराध के मामले बढ़ रहे हैं.।’’ एफबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ितों में से अधिकतर 64.5 प्रतिशत को नस्ल, उनकी जाति या वंश के कारण निशाना बनाया गया। अन्य 16 प्रतिशत को उनकी लैंगिक पसंद को लेकर और 14 प्रतिशत को धार्मिक पूर्वाग्रह के कारण निशाना बनाया गया। ऐसे अपराधों को सबसे अधिक डरा-धमका और हमला करके अंजाम दिया गया। वहीं नफरत के आधार पर हत्या के 18 मामले सामने आए। वेस्टर्न स्टेट्स सेंटर के चीफ ऑफ स्टाफ जिल गार्वे ने बताया कि धार्मिक मामलों में से आधे में से यहूदी लोगों को निशाना बनाया गया। एफबीआई की सोमवार को जारी रिपोर्ट में ऐसे मामलों के सही तरीके से रिकॉर्ड रखने पर जोर दिया गया।

गार्वे ने कहा, ‘‘हमें अब भी उचित आंकड़े नहीं मिल पाए हैं, जिनसे कि इस समस्या के मूल कारण का पता लगाया जा सके।’’ दिसंबर में जारी पिछली रिपोर्ट में ऐसे मामलों में कमी इसलिए थी क्योंकि तब पुलिस को अपने आंकड़े एफबीआई को कैसे सौंपने हैं इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं थी। अधिक स्पष्टता के लिए एजेंसी के अधिकारियों ने बड़े विभागों को पिछली प्रणाली के तहत रिपोर्ट देने की अनुमति दी। एसोसिएट अटॉर्नी जनरल वनिता गुप्ता ने कहा, ‘‘नफरत के आधार पर अपराध और उनके कारण समुदायों को होने वाली परेशानी के लिए देश में कोई जगह नहीं है। न्याय मंत्रालय पूर्वाग्रह से ग्रस्त हिंसा के सभी रूपों से निपटने के लिए मौजूद हर संसाधन का इस्तेमाल करने को प्रतिबद्ध है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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