अमेरिका में महिला सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा से लेकर धार्मिक स्वतंत्रता तक के मुद्दों पर हो रहा मानवाधिकार हनन, CDPHR रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा

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अभिनय आकाश । May 20 2022 3:57PM

सीडीपीएचआर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अमेरिकी संविधान अभी भी गुलामी के समर्थन में खड़ा है और सदियों पहले गुलामी के समर्थन में बनाए गए इसके कुछ हिस्सों को हटाया या बदला नहीं गया है।

आपको याद होगा कि यूएस स्टेट डिपार्टमेंट की तरफ से इसी साल 12 अप्रैल को एक रिपोर्ट जारी की गई थी,  जिसमें दुनिया के 194 देशों में मानवाधिकारों की स्थिति की समीक्षा की गई। लेकिन इससे भी बड़ा मजाक ये है कि इस रिपोर्ट में अमेरिका ने खुद का एक बार भी जिक्र नहीं किया गया। अब बारी भारत की थी और पूरी दुनिया को मानवाधिकार का पाठ पढ़ाने वाले मानवाधिकार के हनन के नाम पर दुनिया के कई देशों पर प्रतिबंध लगाने और जुबानी हमले करने वाले अमेरिका को आज उसके देश में हो रहे मानवाधिकार के हनन को लेकर एक रिपोर्ट जारी करते हुए बताया गया है कि वहां लोगों के मानवाधिकार कितने सुरक्षित हैं। 

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अमेरिकी संविधान गुलामी का समर्थन करता है

सीडीपीएचआर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अमेरिकी संविधान अभी भी गुलामी के समर्थन में खड़ा है और सदियों पहले गुलामी के समर्थन में बनाए गए इसके कुछ हिस्सों को हटाया या बदला नहीं गया है। सीडीपीएचआर की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी संविधान का अनुच्छेद 3, अनुच्छेद 4 गुलाम लोगों को पकड़ने के लिए अधिकृत करता है और अगर कोई गुलाम व्यक्ति भागने की कोशिश करता है तो उसे कड़ी सजा का प्रावधान है। सीडीपीएचआर रिपोर्ट में कहा गया है कि कैलिफोर्निया और न्यूयॉर्क राज्यों के संविधानों में भी नस्लवादी प्रावधान हैं, जो क्रमशः मूल अमेरिकियों को आवास और मताधिकार से वंचित करने के लिए हैं। देश दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र होने का दावा करता है, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, न्याय व्यवस्था के लिए जिम्मेदार अमेरिकी कानून और उसकी अदालतें खुद रंगभेद के गढ़ हैं।

अमेरिका में है नस्लवाद

सीडीपीएचआर ने अपनी रिपोर्ट में अमेरिका के लोकतंत्र और चुनावी प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि अमेरिका में आज भी कई अश्वेतों के वोटर आईडी कार्ड नहीं बने हैं। कई मौकों पर तो अश्वेतों के वोट तक कि गिनती नहीं की गई ताकि श्वेत जनता जिसे जिताना चाहती है वो जीत जाए। वर्ष 2000 में अमेरिका में वोटिंग फ्रॉड के 1,300 मामले सामने आए थे जिसमें अश्वेतों के बाहुल्य पोलिंग स्टेशन के वोटों वाले बैलट बॉक्स को गायब कर दिया।

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किया जाता है धार्मिक भेदभाव

अपनी रिपोर्ट में सीडीपीएचआर ने दावा किया है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से गैर-अब्राहम धर्म, जैसे हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन, भेदभाव का सामना करते हैं। देश के क्षेत्रीय कानून हिंदुओं और बौद्धों को पूजा स्थल बनाने से रोकते हैं। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि छठी और सातवीं कक्षा के इतिहास के पाठ्यक्रम में छात्रों को यह सीखने की आवश्यकता है कि बाइबिल में चमत्कारी घटनाएं कैलिफोर्निया में वास्तविक ऐतिहासिक घटनाएं थीं। इसके विपरीत, पाठ्यपुस्तकों में हिंदू धर्म को क्रूर व्यवहार के लिए चुना गया है, और हिंदू मान्यताओं का उपहास किया गया है।

विश्व स्तर पर मानवीय संकट पैदा करने में अमेरिका की भूमिका

सीडीपीएचआर ने अपनी रिपोर्ट में न केवल अमेरिका में घोर मानवाधिकार उल्लंघनों को उजागर किया है, बल्कि उन लोगों को भी जो देश ने अपनी विदेश नीतियों या युद्धों की शुरुआत के माध्यम से अन्य देशों पर थोपा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका की विदेश नीति दुनिया के सभी संसाधनों, दुनिया की सारी राजनीति को नियंत्रित करने और दुनिया में हर किसी की राय को प्रभावित करने के उद्देश्य से प्रेरित है। सीडीपीएचआर की रिपोर्ट के अनुसार, इराक में 90 मिलियन से अधिक, सीरिया में 70 मिलियन से अधिक और अमेरिका के कारण अन्यत्र 40 मिलियन से अधिक लोग बेघर हो गए हैं।

5 से 1 अमेरिकी महिला से बलात्कार

अमेरिका में महिला सुरक्षा पर भी सीडीपीएचआर ने अपनी रिपोर्ट में सवाल उठाए हैं और सीडीपीएचआर के मुताबिक 5 से 1 अमेरिकी महिला से बलात्कार या बलात्कार का प्रयास हुआ है। जबकि बच्चों के यौन शोषण की बात करें तो वर्ष 2014 तक अमेरिका में 4 करोड़ से ज्यादा बच्चों थे जिनका यौन उत्पीड़न हुआ था।

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