गेहूं निर्यात पर G7 ने दिखाई आंख, चीन ने दिया साथ, इस वजह से भारत को खुश करने में जुटा है ड्रैगन

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अभिनय आकाश । May 17 2022 6:00PM

बीते हफ्ते भारत ने अपने गेहूं निर्यात को निषेध श्रेणी में रखते हुए अपनी नीति में संशोधन कर दिया। इसके साथ ही तत्काल प्रभाव से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन इसको लेकर ग्रुप ऑफ सेवन यानी की जी 7 देशों ने भारत की आलोचना कर दी।

भारत सरकार के गेहूं निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध को भले ही जी 7 देशों ने आलोचना की नजरों से देखा। लेकिन भारत के सबसे बड़े प्रतिद्वंदी चीन ने आश्चर्यजनक तरीके से भारत सरकार के इस फैसले का बचाव किया है। इसके साथ ही भारत के पक्ष में बयान तक जारी किया है। चीन के सरकारी भोंपू ग्लोबल टाइम्स के जरिए जी7 देशों को एक तरह से नसीहत देते हुए ड्रैगन ने भारत सरकार के फैसले का बचाव किया है। 

क्या है पूरा मामला

14 मई 2022 को गर्मी और लू की वजह से गेहूं उत्पादन प्रभावित होने की चिंताओं के बीच भारत ने अपने प्रमुख खाद्यान्न की कीमतों में आई भारी तेजी पर अंकुश लगाने के मकसद से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगने की घोषणा की गई। पिछले एक वर्ष में गेहूं और उसके आटे की खुदरा कीमतों में 14-20 प्रतिशत की वृद्धि होने के बाद खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। यह फैसला गेहूं कीमत को नियंत्रित करने तथा पड़ोसी एवं कमजोर मुल्कों की खाद्यान्न आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगा। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने शुक्रवार देर रात जारी एक अधिसूचना में गेहूं की निर्यात नीति को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित करने की घोषणा की।

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  जी7 ने की आलोचना

भारत के इस कदम की जी7 देशों की तरफ से आलोचना की गई है। अमेरिका ने उम्मीद जताई है कि भारत गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले पर फिर से विचार करेगा। वहीं जी7 में शामिल जर्मनी के कृषि मंत्री ने कहा कि भारत के इस फैसले से यूक्रेन जंग के बीच चल रहा खाद्यान संकट और गहरा जाएगा। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रैंस के जरिए मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, ‘‘हमने भारत के फैसले की रिपोर्ट देखी है। हम देशों को निर्यात को प्रतिबंधित नहीं करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, क्योंकि हमें लगता है कि निर्यात पर किसी भी प्रतिबंध से भोजन की कमी बढ़ेगी।’’

चीन ने किया भारत का बचाव 

बीते हफ्ते भारत ने अपने गेहूं निर्यात को निषेध श्रेणी में रखते हुए अपनी नीति में संशोधन कर दिया। इसके साथ ही तत्काल प्रभाव से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन इसको लेकर ग्रुप ऑफ सेवन यानी की जी 7 देशों ने भारत की आलोचना कर दी। इसके बाद चीनी मीडिया ने भारत के इस फैसले का बचाव किया है। ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि भारत को दोष देने से खाद्य समस्या का समाधान नहीं होगा। जी 7 की आलोचना व भारत का बचाव करते हुए ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में लिखा गया कि अब जी7 के कृषि मंत्री भारत से गेहूं के निर्याक पर प्रतिबंध नहीं लगाने का आग्रह करते हैं तो जी7 राष्ट्र अपने निर्यात में वृद्धि करके खाद्य बाजार की आपूर्ति को स्थिर करने के लिए स्वयं कदम क्यों नहीं उठा रहे? ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि  भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्‍पादक देश है लेकिन विश्‍वभर में गेहूं के निर्यात में उसका हिस्‍सा बहुत ही कम है। इससे उलट विकसित देश जैसे अमेरिका, कनाडा, यूरोपीय संघ और ऑस्‍ट्रेलिया गेहूं के बड़े निर्यातक देशों में शामिल हैं।

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चीन की तारीफ के मायने 

ब्रिक्स की बैठक 23 से 24 जून के बीच होनी है। इससे रूस को लेकर ब्रिक्स देश एकजुटता का संदेश दे सकते हैं। ब्रिक्‍स की यह बैठक इसलिए भी अहम है कि जी7 देशों की बैठक ब्रिक्‍स के ठीक बाद 26-28 जून के बीच होनी है। जर्मनी ने इस बैठक में हिस्‍सा लेने के लिए भारत को विशेष न्‍योता दिया है। जी7 देशों में जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, इटली, जापान शामिल हैं जो चीन को लगातार रूस के मुद्दे पर घेर रहे हैं। पीएम मोदी अगर ब्रिक्‍स में नहीं जाते हैं और जी7 की बैठक में हिस्‍सा लेने के लिए चले जाते हैं तो इससे हिंद प्रशांत क्षेत्र में बड़ा संदेश जाएगा। उधर, भारत ने चीनी विदेश मंत्री को साफ संकेत दे दिया है कि लद्दाख संकट को देखते हुए संबंध पहले जैसे नहीं रह सकते हैं। 

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