बाज नहीं आ रहा ड्रैगन, LAC पर मजबूत कर रहा इंफ्रास्ट्रक्चर, भारतीय सेना भी तैयार

पूर्वी कमान के जीओसी-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आरपी उन्होंने कहा, "भारत अपने बुनियादी ढांचे में भी सुधार कर रहा है और किसी भी स्थिति से निपटने की अपनी क्षमता बढ़ा रहा है।" उन्होंने कहा कि तिब्बत में एलएसी के पार कई संरचनाएं विकसित की जा रही हैं।
भारतीय सेना की पूर्वी कमान के प्रमुख ने आज कहा कि चीनी सेना (पीएलए) अरुणाचल प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर विभिन्न ढांचे का निर्माण कर रहा है और अपनी क्षमता बढ़ा रहा है। पूर्वी कमान के जीओसी-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आरपी उन्होंने कहा, "भारत अपने बुनियादी ढांचे में भी सुधार कर रहा है और किसी भी स्थिति से निपटने की अपनी क्षमता बढ़ा रहा है।" उन्होंने कहा कि तिब्बत में एलएसी के पार कई संरचनाएं विकसित की जा रही हैं। लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता ने कहा कि तिब्बत में एलएसी के पार बुनियादी ढांचे में बहुत विकास हुआ है और हो रहा है दूसरी ओर सड़कों और पटरियों, कनेक्टिविटी और नए हवाई अड्डों और हेलीपैडों का उन्नयन-निर्माण हो रहा है।
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लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि चीन लगातार अपनी सड़क, रेल और हवाई संपर्क में सुधार कर रहा है ताकि वह किसी भी हाल में सेना भेजने की बेहतर स्थिति में हो। कमान के प्रमुख ने कहा कि चीन ने एलएसी के पास के गांवों को भी बसाया है जिनका इस्तेमाल विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है. सैन्य अधिकारी ने कहा, "हम लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और अपने बुनियादी ढांचे में सुधार कर रहे हैं।"भारतीय सेना के कमांडर ने कहा कि कठिन इलाके और मौसम की स्थिति के कारण सीमा के पास निर्माण मुश्किल है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।
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इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के तेजी से विकास के साथ वेलफेयर की प्रकृति बदल रही है इसलिए प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल रखने के लिए हमें अपनी खुद की कार्यप्रणाली और विभिन्न चुनौतियों के प्रति अपनी प्रतिक्रिया विकसित करने की भी आवश्यकता है। भारतीय सेना कमांडर ने स्वीकार किया कि कठिन क्षेत्र और खराब मौसम सीमावर्ती क्षेत्रों में क्षमताओं और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सबसे बड़ी चुनौतियां हैं।कलिता ने कहा, ‘‘इसके कारण भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर अलग-अलग अवधारणाएं हैं, जिन पर दोनों पक्षों में सहमति नहीं है। हम अधिकतर समय मौजूदा तंत्र के माध्यम से स्थिति को संभाल लेते हैं, लेकिन कई बार इससे टकराव हो जाता है।’’ उन्होंने इस बात से इनकार किया कि चीन के साथ लगती सीमा पर कोई घुसपैठ हो रही है। उन्होंने कहा कि जो कुछ भी बताया जा रहा है, वह केवल अवधारणात्मक समस्या के कारण है।
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लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि 1962 के युद्ध के बाद से घुसपैठ का कोई मामला सामने नहीं आया है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि उचित तरीके से सीमांकन हो जाने के बाद कोई समस्या नहीं होगी। पीएलए को अपनी संप्रभुता और सीमा की रक्षा के लिए अधिक शक्ति प्रदान करने के मकसद से चीन द्वारा जनवरी में लागू किए गए भूमि सीमा कानून के बारे में पूछे जाने पर कलिता ने कहा कि सेना और अन्य हितधारक नए कानूनों के विभिन्न प्रभावों का विश्लेषण कर रहे हैं। कलिता ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत में उग्रवादी समूहों ने अपना ‘‘वैचारिक आधार एवं लोगों का समर्थन’’ खो दिया है और वे जबरन वसूली के साथ-साथ हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी के जरिए स्वयं को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।
If we talk about the LAC in the eastern theatre, across the LAC in Tibet there has been a lot of development in the infrastructure which is taking place. We all keep hearing about it: Lt Gen RP Kalita, GoC-in-C of the Indian Army's Eastern Command in Guwahati, Assam (1/2) pic.twitter.com/oWAbkD0SXt
— ANI (@ANI) May 16, 2022
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