UNHRC में भारत ने कहा- आशा है जैश, लश्कर जैसे आतंकी संगठन अफ़ग़ानिस्तान की धरती का इस्तेमाल अशांति फैलाने के लिए नहीं करेंगे

यूएनएचआरसी सत्र में भारत ने कहा, 'हर कोई अफगान नागरिकों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को लेकर चिंतित है। अफगान इस बात से चिंतित हैं कि क्या उनके सम्मान के साथ जीने के अधिकार का सम्मान किया जाएगा।
अफगानिस्तान में मानवाधिकारों के प्रचार और संरक्षण" पर विचार करने के लिए जिनेवा में यूएनएचआरसी का विशेष सत्र चल रहा है। भारत ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के विशेष सत्र में कहा कि उसे उम्मीद है कि अफगानिस्तान की स्थिति उसके पड़ोसियों के लिए चुनौती नहीं बनेगी। संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रमुख प्रतिनिधि, इंद्रमणि पांडे ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) जैसे आतंकवादी समूहों द्वारा अफगान क्षेत्र के इस्तेमाल की संभावना पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे शांति और स्थिरता का खतरा पैदा न हो।
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पांडे ने यूएनएचआरसी सत्र में कहा, "हर कोई अफगान नागरिकों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को लेकर चिंतित है। अफगान इस बात से चिंतित हैं कि क्या उनके सम्मान के साथ जीने के अधिकार का सम्मान किया जाएगा। भारत द्वारा दिखाई गई तात्कालिकता को प्रतिध्वनित करते हुए अफगान दूत नासिर अहमद अंदिशा ने कहा कि ह्यूमन राइट सिस्टम वेट एंड वॉच सिचुएशन में नहीं रह सकता है। हमें कार्रवाई की आवश्यकता है। भारतीय दूत ने कहा कि अफगानिस्तान के साथ उसकी "सहस्राब्दी पुरानी दोस्ती" लोगों से लोगों के संबंधों के मजबूत स्तंभों पर टिकी हुई है। भारत हमेशा शांतिपूर्ण, समृद्ध और प्रगतिशील अफगानिस्तान के लिए खड़ा रहा है।
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बता दें कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और इस्लामिक सहयोग संगठन के समन्वयक के अनुरोध पर अफगानिस्तान की स्थिति पर 'गंभीर मानवाधिकार चिंताओं' को दूर करने के लिए सत्र बुलाया गया है। इस अनुरोध को अब तक 89 देशों ने समर्थन दिया। अधिकांश देशों के प्रतिनिधिमंडल वीडियो लिंक के जरिए सत्र को संबोधित करेंगे।
Everyone is concerned about increasing violations of fundamental rights of Afghan citizens. Afghans are worried about whether their right to live with dignity would be respected: Permanent Represetative of India to UN, at UNHRC session on Afghanistan pic.twitter.com/aR6xOPoZ5o
— ANI (@ANI) August 24, 2021
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