Afghanistan के रास्ते कराची पहुंचे भारतीय पिता-पुत्र, भारत में अत्याचार का लगाया आरोप

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हसनैन ने कहा, “हमें कराची पहुंचने में 14 दिन लगे, जहां हम पुलिस स्टेशन गए और आत्मसमर्पण कर दिया।” दोनों पांच सितंबर को नई दिल्ली से दुबई के लिए रवाना हुए, जहां उन्हें अफगानिस्तान के दूतावास से वीजा मिला।

अवैध रूप से पाकिस्तान में प्रवेश करने वाले एक भारतीय पिता और पुत्र ने दावा किया है कि वे कथित धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए नई दिल्ली में अपना घर छोड़कर भाग आए हैं। मोहम्मद हसनैन (70) और उनके 31 वर्षीय बेटे इशाक अमीर ने अशांत बलूचिस्तान प्रांत के चमन में पाकिस्तान-अफगान सीमा के रास्ते अवैध रूप से पाकिस्तान में प्रवेश किया।

वे वर्तमान में कराची में ईधी वेलफेयर ट्रस्ट के आश्रय गृह में हैं। दोनों लगभग 14 दिन पहले कराची पहुंचे थे। हसनैन ने कहा, “अगर पाकिस्तानी अधिकारी हमें जेल में डालना चाहते हैं, तो हम इसके लिए तैयार हैं। हम बिना कानूनी दस्तावेजों के आए हैं, लेकिन हम शरण लेने की कोशिश करेंगे।”

हसनैन और आमिर नई दिल्ली के गौतमपुरी इलाके के रहने वाले हैं, जहां उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें लंबे समय तक प्रताड़ना और धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा तथा उन्होंने पाकिस्तान भागने का फैसला किया।

हसनैन ने कहा, “हमें कराची पहुंचने में 14 दिन लगे, जहां हम पुलिस स्टेशन गए और आत्मसमर्पण कर दिया।” दोनों पांच सितंबर को नई दिल्ली से दुबई के लिए रवाना हुए, जहां उन्हें अफगानिस्तान के दूतावास से वीजा मिला।

उन्होंने कहा, “हमें वीजा मिला और हम काबुल के लिए रवाना हुए, जहां से हम सड़क मार्ग से कंधार गए और वहां से हम चमन सीमा के जरिए पाकिस्तान में दाखिल हुए।”

दोनों एक अफगान एजेंट की मदद से सीमा पार करने में सफल रहे और बाद में उन्होंने टैक्सी ड्राइवर को कराची ले जाने के लिए 60,000 रुपये का भुगतान किया।

कराची के पुलिस उप महानिरीक्षक (दक्षिण) असद रज़ा ने कहा कि दोनों पर जासूस होने का संदेह नहीं था, लेकिन उन्हें “धार्मिक पूर्वाग्रह और उत्पीड़न का शिकार” माना गया था। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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