भारत-पाक को मसूद पर सीधी वार्ता करनी चाहिए: चीन

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने आज कहा कि भारत और पाकिस्तान को मसूद अजहर से जुड़े मुद्दे को ‘‘सीधी’’ बातचीत और ‘‘गंभीर विचार विमर्श’’ से सुलझाना चाहिए।

बीजिंग। चीन ने आज कहा कि भारत और पाकिस्तान को मसूद अजहर से जुड़े मुद्दे को ‘‘सीधी’’ बातचीत और ‘‘गंभीर विचार विमर्श’’ से सुलझाना चाहिए। चीन ने कुछ सप्ताह पहले संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर को प्रतिबंधित कराने के भारत के प्रयास को बाधित कर दिया था, जिसको लेकर द्विपक्षीय संबंधों में खटास आ गई थी। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने इस मुद्दे पर लिखित जवाब में कहा, ‘‘हम मसूद अजहर को सूचीबद्ध करने के मामले से संबंधित सभी पक्षों को प्रोत्साहित करते हैं कि वे सीधी बातचीत करें और गंभीर विचार विमर्श के जरिये हल निकालें।’’

अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित कराने के भारत के प्रयास को आखिरी समय में बाधित करने के चीन के कदम पर भारत की ओर से कड़ा विरोध जताया गया था। इस सवाल पर कि भारत के कई शीर्ष अधिकारियों द्वारा इस कदम पर भारत की गंभीर चिंता से अवगत कराये जाने के बाद क्या इस मुद्दे पर चीन के रूख में कोई परिवर्तन आया है, हुआ ने कहा कि आतंकवाद निरोध पर संयुक्त राष्ट्र की समिति के नियमों के तहत संबंधित देशों के बीच सीधी बातचीत होनी चाहिए।

बीजिंग ने साथ ही कहा कि उसने चीनी विद्रोही नेता डोल्कन ईसा को वीजा देने को लेकर भारत के समक्ष कूटनीतिक माध्यम से अपनी चिंता जतायी थी और आशा जतायी कि दोनों देश इस मसले से उपयुक्त तरीके से निपटेंगे। नयी दिल्ली द्वारा ईसा का वीजा रद्द करने का फैसला लेने से पहले चीन ने अपनी चिंता व्यक्त की थी। संवाददाता सम्मेलन के दौरान भारत द्वारा ईसा का वीजा रद्द किए जाने के संबंध में सवाल करने पर विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, ‘‘हमने संबंधित खबर देखी है। पहले हमने देखा कि भारत डोल्कन को वीजा देने की योजना बना रहा है और हमने तुरंत भारत के समक्ष अपनी चिंता जतायी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘डोल्कन इंटरपोल के ‘रेड नोटिस’ पर है और हम मानते हैं कि उसे न्याय की जद में लाना सभी देशों की जिम्मेदारी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान में चीन और भारत के बीच संवाद संचार बहुत अच्छा है और हम आशा करते हैं कि दोनों देश संबंधित मुद्दों से ठीक तरीके से निपटेंगे।’’ बाद में अधिकारियों ने बताया कि चीन ने कूटनीतिक माध्यम से अपनी चिंता भारत के समक्ष जतायी थी। उन्होंने बताया कि यह विरोध नहीं था, बल्कि चीन ने सिर्फ अपनी चिंता भारत को बतायी थी। डोल्कन ईसा शिंजियांग प्रांत में उइगुर मुसलमानों के अधिकारों के लिए लड़ने वाली संस्थान ‘वर्ल्ड उइगुर कांग्रेस’ (डब्ल्यूयूसी) के प्रमुख हैं। देश के विभिन्न भागों से आकर हांस में बसने के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के कारण शिंजियांग लंबे समय से अशांत बना हुआ है। तुर्कीक मूल की एक करोड़ उइगुर आबादी वाला शिंजियांग हांस की बस्तियों को लेकर लंबे वक्त से अशांत बना हुआ है।

शिंजियांग और देश के अन्य भागों में होने वाली हिंसा के लिए चीन अल-कायदा समर्थित ईस्ट तुर्कीस्तान इस्लामिक मूवमेंट को दोषी ठहराता है। चीनी अधिकारी आरोप लगाते हैं कि मूवमेंट की आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए ईसा उन्हें वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण देता है। इससे पहले दक्षिण एशियाई मामलों पर एक चीनी विशेषज्ञ ने कहा है कि भारत द्वारा चीन के विद्रोही नेता डोल्कन ईसा का वीजा रद्द किए जाने से दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी और यह फैसला आतंकवाद एवं अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई में दोनों देशों के साझे विचारों को दर्शाता है।

चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेम्पररी इंटरनेशनल रिलेशंस में दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ फू श्याओक्यांग ने ‘ग्लोबल टाइम्स’ से कहा, ‘‘भारत ने सोच समझकर एक निर्णय लिया है और यह आतंकवाद एवं अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई में चीन और भारत दोनों के साझे विचारों और आगे भी आपसी सहयोग की प्रतिबद्धता को दिखाता है।’’ फू ने कहा कि इससे भारत और चीन के बीच संबंधों के स्वस्थ विकास में सहयोग मिलेगा।

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