क्या चंद्रमा पर मौजूद है 30,000 करोड़ लीटर पानी, चीन के वैज्ञानिकों ने कांच की मोतियों से खोला बड़ा राज!

चांद को लेकर चीन के वैज्ञानिकों ने एक बड़ा दावा किया है। चीन के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा की सतह के नीचे हजारों करोड़ लीटर पानी की खोज करने का दावा किया है। उनके दावे में हैरानी इस बात की है कि ये पानी कांच की मोतियों में बंद है।
अंतरिक्ष क्षेत्र बेहद ही महत्वपूर्ण और विशाल आयाम आने वाले वॉर वेयर के अंदर होने वाला है। इस वजह से विश्व के सुपर पावर मुल्क अपने-अपने तरीके से यहां अपना आधिपत्य जमाने की कोशि कर रहे हैं। वैसे तो चंद्रमा धरती का स्थायी उपग्रह है और इसके चमक ने हमेशा से इंसानों को अपनी ओर खींचा है। तमाम दावों और उठते सवालों की अनसुलझी पहेली के बीच पृथ्वी से करीब 384403 किलोमीटर दूर शांत, शीतल और दमकता हुआ चंद्रमा हजारों सवालों को अपने साथ लिए पृथ्वी के चारों ओर घूम रहा है। वहीं अब चांद को लेकर चीन के वैज्ञानिकों ने एक बड़ा दावा किया है। चीन के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा की सतह के नीचे हजारों करोड़ लीटर पानी की खोज करने का दावा किया है। उनके दावे में हैरानी इस बात की है कि ये पानी कांच की मोतियों में बंद है।
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एक नए अध्ययन से पता चलता है कि चीनी शोधकर्ताओं ने चंद्रमा पर अजीब कांच के गोले के अंदर अरबों टन पानी की खोज की है और उन्हें भविष्य में पानी के स्रोत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। दिसंबर 2020 में चीन के चांग-5 मिशन द्वारा चंद्र मिट्टी के नमूनों में एकत्र किए गए और पृथ्वी पर लाए गए छोटे कांच के गोले से पता चला है कि इनमें इतने प्रचुर मात्रा में हो सकते हैं कि वे चंद्रमा की सतह पर 330 बिलियन टन (300 बिलियन मीट्रिक टन) तक पानी जमा कर सकते हैं। नेचर जियोसाइंस (नए टैब में खुलता है) पत्रिका में 28 मार्च को प्रकाशित विश्लेषण में ये बताया गया है।
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कांच के गोले, जिन्हें इम्पैक्ट ग्लास या माइक्रोटेक्टाइट्स के रूप में भी जाना जाता है। ये तब बनते हैं जब लाखों किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उल्कापिंड चंद्रमा से टकराते हैं। इससे चंद्रमा के वायुमंडल में मिट्टी तेजी से उड़ती है। यहां टक्कर से काफी गर्मी पैदा होती है। इससे सिलिकेट खनिज पिघलते हैं। फिर ये ठंडे होकर कांच के गोल मोतियों में बदल जाते हैं।
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