Israeli Army ने फलस्तीनी लोगों को युद्धग्रस्त गाजा में नहीं लौटने की फिर से दी चेतावनी

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फलस्तीनी लोगों को युद्धग्रस्त गाजा के उत्तरी हिस्से में नहीं लौटने की इजराइली सेना ने चेतावनी दी है। बड़ी संख्या में विस्थापित निवासियों द्वारा युद्धग्रस्त इलाके में अपने-अपने घर पहुंचने के प्रयास के दौरान पांच लोग मारे गये थे। इजराइली सेना ने अधिकांश विस्थापित लोगों को उत्तरी हिस्से के सक्रिय युद्ध क्षेत्र में लौटने से रोक दिया है।

दीर अल बलाह (गाजा पट्टी) । इजराइली सेना ने सोमवार को फलस्तीनी लोगों को युद्धग्रस्त गाजा के उत्तरी हिस्से में नहीं लौटने की फिर से चेतावनी दी। इससे एक दिन पहले गाजा स्थित एक अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि बड़ी संख्या में विस्थापित निवासियों द्वारा युद्धग्रस्त इलाके में अपने-अपने घर पहुंचने के प्रयास के दौरान पांच लोग मारे गये। उत्तरी गाजा हमास के खिलाफ इजराइल के युद्ध का प्रारंभिक लक्ष्य था और इसके बड़े हिस्से को समतल कर दिया गया है, जिससे क्षेत्र की अधिकांश आबादी दक्षिण की ओर भागने को मजबूर हो गई है। 

हालांकि, बताया जाता है कि लगभग 2,50,000 लोग अब भी उत्तर में रह रहे हैं। इजराइली सेना ने छह महीने से जारी युद्ध के दौरान अधिकांश विस्थापित लोगों को यह कहकर उत्तरी हिस्से में लौटने से रोक दिया कि यह इलाका एक सक्रिय युद्ध क्षेत्र है। सेना ने गाजा में अपने सैनिकों की संख्या कम कर दी है और कहा है कि उसने उत्तर पर हमास के नियंत्रण को कमजोर कर दिया है। लेकिन इजराइल अब भी उस क्षेत्र विशेष रूप से गाजा स्थित मुख्य अस्पताल शिफा में हवाई हमले और लक्षित अभियान चला रहा है, जिसके बारे में उसका कहना है कि वहां आतंकवादी फिर से संगठित हो रहे हैं। 

शिफा पिछले महीने दो सप्ताह तक जारी छापेमारी और लड़ाई के बाद खंडहर में तब्दील हो गया है। इजराइली सैन्य प्रवक्ता अविचे अद्राई ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’पर एक पोस्ट में लिखा कि फलस्तीनियों को दक्षिणी गाजा में रहना चाहिए, जहां उन्हें आश्रय लेने के लिए कहा गया है क्योंकि उत्तर एक ‘खतरनाक युद्ध क्षेत्र’ है। लोग रविवार को हुई हिंसा के बाद नई चेतावनी पर ध्यान देते दिखे। गाजा में अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि उत्तर में स्थित अपने घरों की ओर जाने की कोशिश कर रहे पांच लोगों की इजराइली बलों ने हत्या कर दी। 

रिकॉर्ड से पता चलता है कि इस घटना में 54 अन्य लोग घायल हो गए। इजराइली सेना ने तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की है। उत्तरी शहर बेत हनून से विस्थापित और घर लौटने की कोशिश करने वालों में शामिल अनाम मोहम्मद ने कहा कि सेना महिलाओं और बच्चों को जाने की अनुमति दे रही थी, लेकिन जब फलस्तीनी लोगों के एक समूह ने उनके लिए जगह नहीं बनाई तो दो टैंक आए और गोलीबारी शुरू कर दी। सेना ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए धुएं वाले बम भी फेंके। उन्होंने कहा, “लोग भागने लगे। लोग डर गए और जोखिम नहीं उठा सके।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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