जानिए नागरिकता कानून प्रदर्शन को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की क्या है राय?

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[email protected] । Dec 18 2019 5:03PM

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भारत में हो रहे नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन पर चिंता जाहिर की है। साथ ही उन्होनें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सम्मान करने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की प्रमुख ने जिनेवा में कहा था कि यह ‘‘चिंता’’ की बात है कि सीएए की ‘‘ मूलभूत प्रकृति भेदभावपूर्ण है।

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सम्मान करने की अपील करते हुए भारत में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन में हिंसा और सुरक्षा कर्मियों के कथित तौर पर अत्यधिक बल का इस्तेमाल करने पर चिंता जाहिर की। संशोधित नागरिकता कानून के तहत 31 दिसम्बर 2014 तक अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है।

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विधेयक के इस माह संसद में पेश होने के बाद से ही देश में इसके खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए थे, जिसने इसके पारित होकर कानून बनने के बाद उग्र रूप ले लिया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह ‘‘असंवैधानिक एवं विभाजनकारी’’ कानून है। गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने मंगलवार को प्रेस ब्रीफिंग में कहा, ‘‘ हम हिंसा और सुरक्षा बलों के कथित तौर पर अत्यधिक बल के इस्तेमाल को लेकर चिंतित हैं, जो कि हमने देखा है कि संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ जारी प्रदर्शन में हो रहा है। हम संयम बरतने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण रूप से एकत्रित होने के अधिकारों के पूर्ण सम्मान का आग्रह करते हैं।’’

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दुजारिक से पूछा गया था कि महासचिव की सीएए के खिलाफ भारत में जारी प्रदर्शन को लेकर क्या राय है। साथ ही दुजारिक ने कहा कि वह अधिनियम पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट की टिप्पणियों का भी उल्लेख करेंगे। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की प्रमुख ने जिनेवा में कहा था कि यह ‘‘चिंता’’ की बात है कि सीएए की ‘‘ मूलभूत प्रकृति भेदभावपूर्ण है।’’

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