पूर्व पीएम शिंजो आबे का टोक्यो में अंतिम संस्कार, अंतिम विदाई देने के लिए उमड़े कई लोग

जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को अंतिम विदाई दी गई।दो साल पहले प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद भी सबसे प्रभावशाली हस्तियों में शामिल आबे को अंतिम विदाई देने के लिए बड़ी संख्या में लोग तोक्यो स्थित जोजोजी मंदिर के बाहर एकत्र हुए।
तोक्यो। जापान के लोगों ने मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को अंतिम विदाई दी, उनका आज एक मंदिर में परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में अंतिम संस्कार कर दिया गया। देश के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे आबे शुक्रवार को पश्चिमी शहर नारा में चुनाव अभियान के सिलसिले में भाषण दे रहे थे और उसी दौरान उनको गोली मार दी गई थी। उनकी हत्या से पूरा देश और विश्च जगत स्तब्ध रह गया। दो साल पहले प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद भी सबसे प्रभावशाली हस्तियों में शामिल आबे को अंतिम विदाई देने के लिए बड़ी संख्या में लोग तोक्यो स्थित जोजोजी मंदिर के बाहर एकत्र हुए।
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आबे के पार्थिव शरीर को लेकर जब फूलों से सजा वाहन और अन्य वाहनों का काफिला जोजोजी मंदिर की ओर बढ़ा तो शोकाकुल लोगों ने अपने हाथ हिलाए, अपने दिवंगत नेता की तस्वीरें स्मार्टफोन से लीं और कुछ ने आबे सान! कहा। अंतिम संस्कार के दौरान आबे की पत्नी अकी आबे, परिवार के अन्य सदस्य, प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा और अन्य नेता मौजूद थे। वाहन तोक्यो के राजनीतिक मुख्यालय नगाटा-चो पहुंचा जहां आबे ने अपने राजनीतिक करियर के तीन दशक से अधिक वक्त बिताया था। इसके बाद काफिला पार्टी मुख्यालय पहुंचा, जहां पार्टी के वरिष्ठ नेता काले सूट पहने हुए थे। उन्होंने अपने नेता के लिए प्रार्थना की। दुनिया के सबसे सुरक्षित देशों में से एक माने जाने वाले जापान में आबे की हत्या ने लोगों को स्तब्ध कर दिया, जहां बंदूक नियंत्रण संबंधी कड़े कानून हैं। पुलिस ने मौके से जापान की नौसेना के एक पूर्व सदस्य तेत्सुया यामागामी को गिरफ्तार किया था। रविवार के संसदीय चुनाव से पहले आबे की हत्या ने देश को झकझोर कर रख दिया और यह सवाल खड़ा हुआ कि क्या पूर्व प्रधानमंत्री को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान नहीं की गई थी।
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प्रधानमंत्री किशिदा ने इस हमले को ‘‘कायराना और बर्बर’’ करार दिया था। 26 सितंबर, 2006 को आबे पहली बार जापान के प्रधानमंत्री बने। उन्होंने आर्थिक सुधारों पर ध्यान देने के साथ-साथ उत्तर कोरिया के प्रति कड़ा रुख अपनाया। 2007 के चुनावों में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) की करारी हार के बाद आबे ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया। एलडीपी का अध्यक्ष फिर चुने जाने के बाद आबे 2012 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बने। आबे ने 2020 में यह कहते हुए प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था कि उनकी एक पुरानी बीमारी फिर से उभर आई है। पद पर न रहने के बावजूद आबे का सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी में अच्छा-खासा रुतबा था और वह पार्टी के सबसे बड़े धड़े का नेतृत्व करते थे, लेकिन उनके घोर-राष्ट्रवादी विचारों ने उनके कई विरोधी खड़े कर दिए थे। आबे ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देते समय पत्रकारों से कहा था कि अपने कई लक्ष्यों को अधूरा छोड़ना उनके लिए ‘‘परेशान करने वाली बात’’ है। उन्होंने वर्षों पहले उत्तर कोरिया द्वारा अगवा किए गए जापानी नागरिकों के मुद्दे, रूस के साथ क्षेत्रीय विवाद और जापान के युद्ध त्यागने वाले संविधान के संशोधन के मुद्दों को हल करने में अपनी नाकामी की बात स्वीकारी थी। गौरतलब है कि जापान को सख्त बंदूक कानूनों के लिए जाना जाता है। 12.5 करोड़ की आबादी वाले देश में पिछले साल बंदूक से संबंधित केवल 10 आपराधिक मामले आए थे, जिनमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और चार अन्य घायल हो गए थे।
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