Oli की पार्टी ने Prachanda के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस लिया

Prachanda
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सीपीएन-यूएमएल की केंद्रीय प्रचार समिति के उप प्रमुख बिष्णु रिजाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “पार्टी प्रमुख के.पी. शर्मा ओली के नेतृत्व में सोमवार को हुईएक उच्चस्तरीय बैठक में सरकार छोड़ने और प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से पार्टी का समर्थन वापस लेने का फैसला किया गया।”

संसद में नेपाल के दूसरे सबसे बड़े राजनीतिक दल सीपीएन-यूएमएल ने सोमवार को प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। राष्ट्रपति चुनाव में मुख्य विपक्षी दल को समर्थन को लेकर मतभेद के बाद यह घटनाक्रम हुआ जो इस हिमालयी राष्ट्र को राजनीतिक अस्थिरता के एक और दौर की तरफ ले जा रहा है। सीपीएन-यूएमएल की केंद्रीय प्रचार समिति के उप प्रमुख बिष्णु रिजाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “पार्टी प्रमुख के.पी. शर्मा ओली के नेतृत्व में सोमवार को हुईएक उच्चस्तरीय बैठक में सरकार छोड़ने और प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से पार्टी का समर्थन वापस लेने का फैसला किया गया।”

प्रचंड और ओली की पार्टी के अलग होने की मुख्य वजह माओवादी नेता (प्रचंड) द्वारा राष्ट्रपति चुनाव में नेपाली कांग्रेस (नेकां) के वरिष्ठ नेता रामचंद्र पौडेल का समर्थन करने का फैसला बताया जा रहा है। पौडेल की नेपाली कांग्रेस सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा नहीं है। नेपाल में राष्ट्रपति चुनाव नौ मार्च को होगा। सीपीएन-यूएमएल के अलग होने से प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार के अस्तित्व पर तुरंत असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि संसद में नेपाली कांग्रेस (एनसी) के 89 सदस्य हैं।

रिजाल ने कहा कि जैसा कि प्रधानमंत्री प्रचंड ने सात-दलीय गठबंधन सरकार बनाने के दौरान 25 दिसंबर के समझौते का उल्लंघन किया और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-(एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (सीपीएन-यूएमएल) को धोखा दिया, ऐसे में पार्टी ने सरकार छोड़ने का निर्णय लिया। उपप्रधानमंत्री और वित्त मंत्री बिष्णु पौड्याल तथा विदेश मंत्री बिमला राय पौड्याल समेत यूएमएल के मंत्रियों ने प्रधानमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।

प्रचंड के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार में उपप्रधानमंत्री सहित यूएमएल केआठ मंत्री थे और वे सभी सामूहिक रूप से इस्तीफा दे रहे हैं। इस बीच, पूर्व टीवी पत्रकार रवि लामिछाने के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी ने सरकार को अपना समर्थन जारी रखने का फैसला किया है। आरएसपी के संसदीय दल के उप नेता बिराज भक्त श्रेष्ठ ने कहा कि सोमवार को पार्टी की उच्चस्तरीय बैठक में प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन देने का फैसला किया गया। नेपाल की 275 सदस्यीय संसद में यूएमएल के 79 सांसद हैं।

इसी तरह, सीपीएन (माओवादी सेंटर), सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के क्रमश: 32, 10 और 20 सदस्य हैं। नेपाली संसद में जनमत पार्टी के छह, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के चार और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के तीन सदस्य हैं। तीन प्रमुख दलों-नेकां (89), सीपीएन-माओवादी सेंटर (32) और आरएसपी (20) के साथ, सरकार को कम से कम 141 सांसदों का समर्थन प्राप्त है। प्रचंड को प्रधानमंत्री बने रहने के लिए संसद में केवल 138 वोट की आवश्यकता है।

संविधान के जानकारों के अनुसार, प्रधानमंत्री को 30 दिन के भीतर विश्वासमत का सामना करना होगा। ‘माई रिपब्लिका’ अखबार के अनुसार, पौडेल ने दावा किया कि प्रधानमंत्री प्रचंड ने यूएमएल के मंत्रियों को सरकार से बाहर करने के लिए दबाव की रणनीति का इस्तेमाल किया, जिसके चलते पार्टी को समर्थन वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। पौडेल ने कहा कि प्रचंड ने चेतावनी दी थी कि अगर सीपीएन-यूएमएल सत्तारूढ़ गठबंधन से अलग नहीं होती है तो वह उसके मंत्रियों को तत्काल बर्खास्त कर देंगे या फिर उनके बिना ही विभागों में मंत्री नियुक्त कर देंगे।

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री प्रचंड ने जिनेवा जा रहीं विदेश मंत्री बिमला राय पौड्याल को आखिरी समय में रोककर अपरिपक्वता का प्रदर्शन किया। पौड्याल यूएमएल से ताल्लुक रखती हैं। वह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के एक उच्च-स्तरीय सत्र में हिस्सा लेने के लिए जिनेवा जाने वाली थीं। हालांकि, प्रचंड ने आखिरी समय में उनसे यात्रा रद्द करने को कहा। उनके इस कदम ने ओली के नेतृत्व वाली पार्टी का गुस्सा और भड़का दिया।

पौडेल ने कहा, “हमने यह फैसला इसलिए लिया है, क्योंकि प्रधानमंत्री प्रचंड ने 25 दिसंबर को हुए समझौते पर अमल नहीं किया और हम पर सरकार से अलग होने का दबाव बनाया।” प्रचंड (68) ने पिछले साल 26 दिसंबर को तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी। उन्होंने नाटकीय अंदाज में नेपाली कांग्रेस के साथ हुआ अपना चुनाव पूर्व गंठबंधन तोड़कर विपक्षी नेता ओली के साथ हाथ मिला लिया था। प्रधानमंत्री प्रचंड की पार्टी ने 20 नवंबर को संसदीय और प्रांतीय चुनावों में नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले पांच दलों के गठबंधन के सहयोगी के रूप में चुनाव लड़ा था। नेपाली कांग्रेस के प्रचंड को दो प्रमुख पदों-राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री- में से कोई भी देने से इनकार करने के बाद उन्होंने गठबंधन छोड़ दिया था।

प्रचंड ने इसके बाद सरकार बनाने के लिये 71 वर्षीय ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल के साथ गठबंधन कर लिया था। ओली ने दावा किया है कि पिछले साल प्रधानमंत्री पद के लिए प्रचंड की दावेदारी का समर्थन करते हुए इस बात पर सहमति बनी थी कि राष्ट्रपति का पद उनकी पार्टी के सदस्य के पास होगा। ‘माई रिपब्लिका’ की खबर में कहा गया है कि पौडेल ने प्रचंड पर देश में राजनीतिक स्थिरता नहीं चाहने का भी आरोप लगाया क्योंकि वह पार्टी के साथ पहले हुए समझौते का सम्मान करने के लिए तैयार नहीं थे। राष्ट्रपति चुनाव से पहले गठबंधन सरकार की स्थिरता के लिए खतरे के बीच, अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि प्रचंड ने देश में कुछ ‘‘महत्वपूर्ण राजनीतिक व्यस्तताओं के कारण कतर की अपनी पहली विदेश यात्रा रद्द कर दी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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