पाकिस्तान शीर्ष अदालत में इमरान सरकार से जुड़े मामले में फिर से सुनवाई शुरू

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पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष की ओर से विवादित व्यवस्था के तहत प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने और राष्ट्रपति द्वारा संसद को भंग करने के अहम मामले पर बृहस्पतिवार को सुनवाई फिर से शुरू की।

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष की ओर से विवादित व्यवस्था के तहत प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने और राष्ट्रपति द्वारा संसद को भंग करने के अहम मामले पर बृहस्पतिवार को सुनवाई फिर से शुरू की। प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति एजाज़-उल अहसन, न्यायमूर्ति मज़हर आलम खान मियांखाइल, न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर और न्यायमूर्ति जमाल खान मंदोखाइल शामिल हैं। पीठ ने सुबह में मामले की सुनवाई शुरू की।

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‘डॉन’ अखबार की खबर के मुताबिक, बंदियाल ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के वकील सीनेटर अली ज़फर से पूछा कि अगर सबकुछ संविधान के मुतााबिक चल रहा है तो मुल्क में संवैधानिक संकट कहां है? ज़फर की ओर से अपनी दलीलें पूरी करने के दौरान बंदियाल की यह टिप्पणी आई। एक बार तो, बंदियाल ने वकील से पूछा कि वह यह क्यों नहीं बता रहे हैं कि देश में संवैधानिक संकट है या नहीं। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “अगर सब कुछ संविधान के मुताबिक हो रहा है तो संकट कहां है?” सुनवाई के दौरान मियांखाइल ने जफर से पूछा कि क्या प्रधानमंत्री जन प्रतिनिधि हैं ? तो वकील ने हां में जवाब दिया। मियांखाइल ने तब पूछा कि क्या संसद में संविधान का उल्लंघन होने पर प्रधानमंत्री को बचाया जाएगा? इस पर ज़फर ने जवाब दिया कि संविधान की रक्षा उसमें बताए गए नियमों के मुताबिक होनी चाहिए।

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उन्होंने कहा कि संविधान की रक्षा के लिए हर अनुच्छेद को ध्यान में रखना होगा। बंदियाल ने फिर पूछा कि तब क्या होगा जब सिर्फ एक सदस्य के साथ नहीं, बल्कि पूरी असेंबल के साथ अन्याय हो। उपाध्यक्ष कासिम सूरी के वकील नईम बुखारी और सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान बृहस्पतिवार को मामले पर सरकार का विचार रखने वाले मुख्य वकील हैं। न्यायालय ने बुधवार को कथित “विदेशी साजिश” के बारे में और जानकारी के लिये सरकार से राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) की बैठक के विवरण मांगे थे और इस बात पर अपना फैसला टाल दिया कि क्या इमरान खान ने अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के बजाय संसद को भंग करा संविधान का उल्लंघन किया है या नहीं। नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम खान सूरी ने अविश्वास प्रस्ताव से सरकार को गिराने की तथाकथित विदेशी साजिश से जुड़े होने का हवाला देते हुए रविवार को उसे खारिज कर दिया था। कुछ मिनट बाद, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री खान की सलाह पर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था। सुनवाई के तीसरे दिन बुधवार को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी की तरफ से बाबर अवान पेश हुए। बुधवार को बंदियाल ने अवान से राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की हालिया बैठक के ‘मिनट्स’ के बारे में पूछा, जिसमें कथित तौर पर पीटीआई के नेतृत्व वाली सरकार को हटाने के लिए कथित “विदेशी साजिश” के सबूत दिखाने वाले एक पत्र पर चर्चा की गई थी।

अदालत पर जल्द से जल्द सुनवाई पूरी करने और फैसला देने का दबाव है जो उपाध्यक्ष की व्यवस्था और असेंबली को भंग करने सहित उसके बाद की घटनाओं की वैधता तय करेगा। बुधवार को सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने वकीलों को बार-बार याद दिलाया कि पीठ जल्द आदेश जारी करे इसके लिए वे जल्द से जल्द अपनी दलीलें पूरी करें। अदालती निर्णय न केवल अविश्वास प्रस्ताव के भाग्य का फैसला करेगा बल्कि नेशनल असेंबली को भंग किये जाने और आगामी चुनावों का भी फैसला करेगा। विशेषज्ञों ने कहा कि फैसला अगर खान के अनुकूल होता है तो 90 दिनों के भीतर चुनाव होंगे, और अगर अदालत उपाध्यक्ष के खिलाफ फैसला सुनाती है तो संसद का सत्र फिर से बुलाया जाएगा और खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आएगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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