फलस्तीनियों को संघर्षविराम के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में व्यापक समर्थन मिलने की उम्मीद

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संयुक्त राष्ट्र की 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव के पक्ष में एक के मुकाबले 13 वोट पड़े। ब्रिटेन मतदान से दूर रहा। इसके बाद अरब और इस्लामी देशों ने इसी मांग को लेकर एक प्रस्ताव पर मतदान के लिए मंगलवार दोपहर को 193 सदस्यीय महासभा का विशेष सत्र आहूत किया है।

संयुक्त राष्ट्र। फलस्तीनियों को उम्मीद है कि गाजा में तत्काल मानवीय संघर्ष विराम की मांग करने वाले एक गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में मंगलवार को मतदान के दौरान इजराइल-हमास युद्ध को समाप्त करने के लिए व्यापक वैश्विक समर्थन मिलेगा। इससे पहले अमेरिका ने गाजा में तत्काल मानवीय संघर्ष विराम की मांग कर रहे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लगभग सभी सदस्यों और कई अन्य देशों द्वारा समर्थित प्रस्ताव के खिलाफ विश्व निकाय में शुक्रवार को वीटो का इस्तेमाल किया था।

संयुक्त राष्ट्र की 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव के पक्ष में एक के मुकाबले 13 वोट पड़े। ब्रिटेन मतदान से दूर रहा। इसके बाद अरब और इस्लामी देशों ने इसी मांग को लेकर एक प्रस्ताव पर मतदान के लिए मंगलवार दोपहर को 193 सदस्यीय महासभा का विशेष सत्र आहूत किया है। सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के विपरीत महासभा के प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं होते, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने सोमवार को कहा कि सभा द्वारा दिया जाने वाला संदेश ‘‘बहुत महत्वपूर्ण होता है’’ और यह दुनिया की राय को दर्शाता है।

संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीन के राजदूत रियाद मंसूर ने रविवार को ‘एसोसिएटेड प्रेस’ से कहा कि सुरक्षा परिषद में पारित नहीं हो पाए प्रस्ताव को 103 देशों ने सह-प्रायोजित किया था और वह मंगलवार को महासभा के प्रस्ताव के लिए और अधिक संख्या में प्रायोजक मिलने तथा इसके समर्थन में व्यापक मतदान होने की उम्मीद कर रहे हैं। चार बार विफल रहने के बाद सुरक्षा परिषद ने इजराइल-हमास युद्ध के संबंध में 15 नवंबर को अपना पहला प्रस्ताव पारित किया था जिसमें इजराइल के हवाई एवं जमीनी हमलों के कारण फलस्तीनी नागरिकों के लिए बढ़ते संकट को दूर करने के लिए गाजा में जारी ‘‘युद्ध में तत्काल और विस्तारित मानवीय अल्प विराम’’ का आह्वान किया था। इस प्रस्ताव के समर्थन में परिषद में 12 देशों ने मतदान किया था और इसके विरोध में एक भी मत नहीं पड़ा था। अमेरिका, ब्रिटेन और रूस मतदान से दूर रहे थे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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