अफ्रीकी चुनावी निकाय ने भारत निर्वाचन आयोग की प्रशंसा की, दुनिया के लिए बताया उदाहरण

S African electoral body lauds Indian counterpart as example for world

द. अफ्रीका की निर्वाचन संस्था ने भारत निर्वाचन आयोग की प्रशंसा की और दुनिया के लिए उदाहरण बताया।भारत निर्वाचन आयोग के महासचिव उमेश सिन्हा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत ने किसी भी मतदाता को पीछे नहीं छोड़ने के अपने लक्ष्य को सुनिश्चित करने के लिए चुनाव कैसे आयोजित किए।

जोहानिसबर्ग। दक्षिण अफ्रीका के स्वतंत्र निर्वाचन आयोग (आईईसी) के अध्यक्ष ग्लेन मशानिनी ने भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के काम की सराहना की और पूरी दुनिया के लिए इसे एक उदाहरण बताया। मशानिनी ने मंगलवार को जोहानिसबर्ग में भारतीय महावाणिज्य दूत अंजू रंजन और प्रेटोरिया में उच्चायुक्त जयदीप सरकार के कार्यालयों में आयोजित सम्मेलन को संबोधित किया। रंजन ने कहा कि ‘स्टोरी ऑफ वर्ल्ड्स लार्जेस्ट डेमोक्रेसीज इलेक्शंस’ शीर्षक से इस कार्यक्रम का आयोजन 26 नवंबर को भारत के संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित करने की योजना थी, लेकिन पूर्व प्रतिबद्धताओं के कारण मुख्य वक्ता अनुपलब्ध थे, इसी वजह से कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा।

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मशानिनी ने कहा, ‘‘भारत की कहानी न केवल दुनिया के सबसे बड़े चुनावों के बारे में है बल्कि यह एक प्राचीन सभ्यता की कहानी भी है जो साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद से बाधित हो गई थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ईसीआई चुनावी प्रबंधन निकाय के रूप में दुनिया भर में सेवा कर रही निर्वाचन प्रणालियों के लिए ज्ञान, समझ और अनुभव का स्रोत है।’’ उपनिवेशवाद, नस्लवाद और रंगभेद से लड़ने के लिए लोगों का नेतृत्व करने में महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला की भूमिकाओं पर प्रकाश डालते हुए मशानिनी ने कहा कि दोनों देशों ने आज संवैधानिक लोकतंत्र स्थापित करने के लिए इन कुरीतियों पर विजय प्राप्त की है। उन्होंने कहा, ‘‘सबसे बड़े, पुराने और मजबूत लोकतंत्रों में से एक, भारत ने रंगभेद को खत्म करने के हमारे संघर्ष और लोकतंत्र को गहरा एवं मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय परियोजना को लेकर जो समर्थन दिया है, उसके लिए दक्षिण अफ्रीका ऋणी है।’’

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भारत निर्वाचन आयोग के महासचिव उमेश सिन्हा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत ने किसी भी मतदाता को पीछे नहीं छोड़ने के अपने लक्ष्य को सुनिश्चित करने के लिए चुनाव कैसे आयोजित किए। सिन्हा ने कहा कि कोविड​​​​-19 महामारी ने डाक मतपत्रों को शामिल करने की प्रक्रियाओं की पहली बार समीक्षा के लिए मजबूर किया। भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने उदाहरण दिया कि कैसे चुनाव अधिकारियों ने एक दूरदराज के इलाके में, जंगल से गुजरते हुए और पहाड़ी इलाकों में चढ़ाई करके एक मतदाता तक पहुंचने के लिए चार दिनों की यात्रा की और वह हर मतदाता के अधिकार को सुनिश्चित करने के अपने आदर्श वाक्य पर खरा उतरा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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