सुनक के एशियाई मूल के प्रथम ब्रिटिश प्रधानमंत्री बने : भारत, पाक ने उनसे अपना संबंध बताया

Rishi Sunak
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उन्होंने कहा, ‘...वैश्विक मुद्दों पर साथ मिलकर काम करने और रोडमैप 2030 को लागू करने के लिए उत्सुक हूं।ब्रिटिश भारतीयों के ‘ जीवंत सेतु’ को दिवाली की विशेष शुभकामनाएं। हमने ऐतिहासिक संबंधों को आधुनिक साझेदारी में बदला है।’

एशियाई मूल के व्यक्ति के रूप में ऋषि सुनक के ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनने पर चिर प्रतिद्वंद्वी भारत और पाकिस्तान इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा हो गये, हालांकि दोनों पड़ोसी देशों में से किसी ने इसमें भूमिका नहीं निभाई है। भारतीय मूल के सुनक (42) ने मंगलवार को महाराजा चार्ल्स तृतीय के साथ मुलाकात के बाद ब्रिटिश प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाल लिया। सुनक को सोमवार को कंजरवेटिव पार्टी का नेता चुना गया था। सुनक एक धर्मनिष्ठ हिंदू हैं। वह 210 वर्षों में ब्रिटेन के सबसे युवा प्रधानमंत्री हैं।

सुनक के दादा-दादी अविभाजित भारत से थे और उनका जन्म स्थान गुजरांवाला में है, जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित है। इस तरह, ब्रिटेन के नये प्रधानमंत्री भारत और पाकिस्तान, दोनों से ताल्लुक रखते हैं। दोनों पड़ोसी देशों के प्रधानमंत्रियों ने सुनक को बधाई दी और कहा कि वे उनके साथ करीबी रूप से काम करने को उत्सुक हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को एक ट्वीट में कहा, ‘‘ऋषि सुनक को हार्दिक बधाई!’’

उन्होंने कहा, ‘‘...वैश्विक मुद्दों पर साथ मिलकर काम करने और रोडमैप 2030 को लागू करने के लिए उत्सुक हूं।ब्रिटिश भारतीयों के ‘ जीवंत सेतु’ को दिवाली की विशेष शुभकामनाएं। हमने ऐतिहासिक संबंधों को आधुनिक साझेदारी में बदला है।’’ इसके शीघ्र बाद, पाकिस्तान के प्रधानमंत्रीशहबाज शरीफ ने ट्विटर के जरिये सुनक को बधाई दी।

उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘कंजरवेटिव पार्टी का नेता चुने जाने और ब्रिटेन का अगला प्रधानमंत्री बनने के लिए ऋषि सुनक को बधाई। मैं साझा हितों को आगे बढ़ाने और पाकिस्तान-ब्रिटेन साझेदारी को और प्रगाढ़ करने के लिए उनके साथ काम करने को उत्सुक हूं।’’ सुनक के पूर्वजों के मूल निवास स्थान को लेकर सोशल मीडिया पर भारतीय और पाकिस्तानी, दोनों ही अपने-अपने विचार प्रकट कर रहे हैं।

क्वीन लायनेस86 नाम के एक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया गया, ‘‘सुनक गुजरांवाला के पंजाबी खत्री परिवार से हैं। ’’ उन्होंने लिखा, ‘‘ऋषि के दादा रामदास सुनक क्लर्क के तौर पर काम करने के लिए 1935 में गुजरांवाला से नैरोबी चले गये थे। ’’ जुल्फिकार जट्ट नाम के एक व्यक्ति ने ट्वीट किया, ‘‘चूंकि गुजरांवाला पाकिस्तान में है, इसलिए 100 साल पहले भी इस शहर से ताल्लुक रख चुके लोग अब पाकिस्तानी माने जाएंगे।

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