तस्लीमा नसरीन ने कहा, इस धरती की बेटी हूं, स्थायी ‘रेसीडेंस परमिट’ चाहती हूं

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[email protected] । Jul 22 2019 5:58PM

अपना ‘रेसीडेंस परमिट’ एक साल के लिये बढाये जाने से राहत महसूस कर रही बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार उन्हें लंबा या स्थायी परमिट देगी क्योंकि वह इस ‘धरती की बेटी’ हैं और पिछले 16 साल से उनके साथ रह रही उनकी बिल्ली तक भारतीय है।

नयी दिल्ली। अपना ‘रेसीडेंस परमिट’ एक साल के लिये बढाये जाने से राहत महसूस कर रही बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार उन्हें लंबा या स्थायी परमिट देगी क्योंकि वह इस ‘धरती की बेटी’ हैं और पिछले 16 साल से उनके साथ रह रही उनकी बिल्ली तक भारतीय है। नसरीन ने भाषा को दिये इंटरव्यू में कहा कि भारत मेरा घर है। मैं उम्मीद करती हूं कि मुझे पांच या दस साल का ‘रेसीडेंस परमिट’ मिल जाये ताकि हर साल इसे लेकर चिंता नहीं करनी पड़े । मैने पूर्व गृहमंत्री राजनाथ सिंह जी से 2014 में यह अनुरोध किया था क्योंकि मैं अपनी बाकी जिंदगी भारत में बिताना चाहती हूं।’’

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गृह मंत्रालय ने नसरीन का रेसीडेंस परमिट रविवार को एक साल के लिये बढ़ा दिया। स्वीडन की नागरिक नसरीन का ‘रेसीडेंस परमिट’ 2004 से हर साल बढ़ता आया है। उन्हें इस बार तीन महीने का ही परमिट मिला था लेकिन ट्विटर पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से इसे एक साल के लिये बढाने का उनका अनुरोध मान लिया गया। नसरीन ने कहाल कि मुझे विदेशी मानते हैं लेकिन मैं इस धरती की बेटी हूं। मैं उम्मीद करती हूं कि सरकार मुझे स्थायी या लंबी अवधि का परमिट देगी। मैं 25 साल से निष्कासन की जिंदगी जी रही हूं और हर साल मुझे अपना घर छिनने का डर सताता है। इसका असर मेरी लेखनी पर भी पड़ता है।’’उन्होंने दिल्ली में ही आखिरी सांस लेने की ख्वाहिश जताते हुए कहा,‘‘ मुझे लगता है कि उपमहाद्वीप में दिल्ली ही ऐसा शहर है जहां मैं सुकून से रह सकती हूं। मैं पूर्वी या पश्चिमी बंगाल में रहना चाहती थी लेकिन अब यह संभव नहीं है। मैं दिल्ली में बाकी जिंदगी बिताना चाहती हूं। अगर आप मुझे भारतीय नहीं मानते तो मेरी बिल्ली तो भारतीय है, जो मेरी बेटी की तरह है और पिछले 16 साल से मेरे साथ है।’’

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नसरीन ने कहा ,‘‘मेरा घर, मेरी किताबें, मेरे दस्तावेज, मेरे कपड़े सब कुछ यहां है। मेरा कोई दूसरा ठौर नहीं है। मैं यहां बस चुकी हूं और भारत छोड़ने के बारे में सोचना भी नहीं चाहती।’’उन्होंने कहा ,‘‘ मैं यूरोप की नागरिक हूं लेकिन यूरोप और अमेरिका को छोड़कर मैंने भारत को चुना।’’ लेखकों के एक वर्ग को लगता है कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन हो रहा है लेकिन नसरीन इससे इत्तेफाक नहीं रखती और उनका मानना है कि यहां दूसरे देशों की तुलना में काफी आजादी है। उन्होंने कहा ,‘‘यहां संविधान मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है। आप सरकार की आलोचना कर सकते हैं ।मैंने कई देशों में देखा है कि ऐसी स्वतंत्रता बिल्कुल नहीं है।’’ उन्होंने कहा,‘‘ मैं यूरोप या अमेरिका की बात नहीं करती लेकिन इराक युद्ध के समय अमेरिका में कहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता थी ?’’

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नसरीन ने कहा ,‘‘भारत में ऐसा नहीं है कि कोई सरकार के खिलाफ बोल ही नहीं सकता । सोशल मीडिया पर कई बार हमला होता है क्योंकि हमारी बात कुछ लोगों को पसंद नहीं आती। लेकिन यह चलता है। हालात बुरे या चिंताजनक नहीं है।’’ अपने आगामी प्रकाशन के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि उनके चर्चित उपन्यास ‘लज्जा’ का अंग्रेजी सीक्वल ‘शेमलेस’ (बेशरम) अगले साल की शुरूआत में हार्पर कोलिंस जारी करेगा। 

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