India और Italy के संबंधों में आई नई गर्मजोशी, Modi-Meloni की दोस्ती ने वैश्विक समीकरण बदल दिए

Modi Meloni
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देखा जाये तो भारत–इटली संबंधों का यह नया अध्याय केवल व्यापार या निवेश का मामला नहीं बल्कि यह एक सामरिक पुनर्संतुलन है, जिसमें यूरोप की राजनीति, इंडो-पैसिफिक की सुरक्षा और वैश्विक शक्ति-संतुलन के बीच भारत का बढ़ता प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है।

भारत और इटली के संबंध एक बार फिर नई ऊँचाई पर पहुंचे जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इटली के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री एंटोनियो ताजानी का स्वागत किया। हम आपको बता दें कि ताजानी तीन दिवसीय यात्रा पर भारत आए हैं और इस दौरान उनकी प्रधानमंत्री मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर तथा अन्य भारतीय अधिकारियों के साथ विस्तृत रणनीतिक वार्ताएँ हुईं। जयशंकर ने ताजानी का स्वागत करते हुए कहा कि यह वर्ष में उनकी दूसरी भारत यात्रा है, जो दोनों देशों की मजबूत प्रतिबद्धता और प्रगाढ़ होती साझेदारी का संकेत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत–इटली संबंध लोकतांत्रिक मूल्यों, सांस्कृतिक सम्मान, विरासत और साझा वैश्विक दृष्टि पर आधारित हैं।

जयशंकर ने यह भी रेखांकित किया कि दोनों देशों के बीच राजनीतिक, सामरिक, समुद्री सुरक्षा, अंतरिक्ष सहयोग, रक्षा और उभरती प्रौद्योगिकियों पर चर्चा आगे बढ़ चुकी है। वहीं ताजानी ने भारत में हाल ही हुए आतंकी हमले को लेकर इटली की एकजुटता व्यक्त की और दोनों देशों के G20 के दौरान घोषित काउंटर टेरर फाइनैंसिंग इनिशिएटिव को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई। हम आपको बता दें कि हाल के वर्षों में इटली इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत का अहम सुरक्षा साझेदार बनकर उभरा है। साथ ही आतंकवाद-रोधी सहयोग में भी दोनों देश एक-दूसरे के घनिष्ठ सहयोगी हैं।

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उधर, प्रधानमंत्री मोदी ने X पर पोस्ट करते हुए कहा कि भारत–इटली की दोस्ती लगातार मजबूत हो रही है और 2025–2029 की संयुक्त रणनीतिक कार्ययोजना पर तेज़ी से प्रगति हो रही है। उन्होंने ताजानी को बताया कि व्यापार, निवेश, रक्षा, अंतरिक्ष, नवाचार, शिक्षा और लोगों के लोगों से संपर्क के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिल रही है। ताजानी ने प्रधानमंत्री मोदी को इतालवी प्रधानमंत्री मेलोनी की ओर से इटली की यात्रा का निमंत्रण भी सौंपा जिसे मोदी ने स्वीकार कर लिया है।

दूसरी ओर, ताजानी ने भी स्पष्ट किया कि भारत आज इटली के लिए प्राथमिकता वाला देश है। उन्होंने भारत को लंबे समय का भरोसेमंद मित्र बताते हुए घोषणा की कि इतालवी विदेश मंत्रालय ने भारतीय बाजार में औद्योगिक सहयोग और संयुक्त उद्यमों को समर्थन देने के लिए 50 करोड़ यूरो की वित्तपोषण सुविधा शुरू की है। देखा जाये तो इटली की महत्वाकांक्षा है कि भारत के साथ संरक्षण-उद्योग, मशीनरी, डिज़ाइन, उन्नत विनिर्माण, नवीकरणीय ऊर्जा और अंतरिक्ष में दीर्घकालिक सहयोग को नई गति दी जाये। हम आपको बता दें कि दोनों देशों के बीच वर्तमान 14 अरब यूरो के व्यापार को कई गुना बढ़ाने का लक्ष्य तय किया गया है। ताजानी ने यह भी कहा कि दोनों सरकारें भारत–यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के बेहद करीब हैं। यह स्पष्ट नजर आ रहा है कि भारत–इटली संबंधों में यह उछाल सिर्फ कूटनीति नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक वास्तविकता है क्योंकि भारत वैश्विक शक्ति बन रहा है और इटली यूरोप में उसका सबसे विश्वसनीय साझेदार बनने की ओर बढ़ रहा है।

देखा जाये तो भारत–इटली संबंधों का यह नया अध्याय केवल व्यापार या निवेश का मामला नहीं बल्कि यह एक सामरिक पुनर्संतुलन है, जिसमें यूरोप की राजनीति, इंडो-पैसिफिक की सुरक्षा और वैश्विक शक्ति-संतुलन के बीच भारत का बढ़ता प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। आज दुनिया देख रही है कि इटली, जो कभी एशिया में चीन या यूरोपीय शक्तियों के इर्द-गिर्द घूमता था, वह अब भारत को अपना विश्वसनीय रणनीतिक केंद्र मान रहा है। यह बदलाव यूँ ही नहीं आया है, इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के बीच बनी व्यक्तिगत केमिस्ट्री और राजनीतिक विश्वास एक प्रमुख आधार है।

देखा जाये तो मोदी–मेलोनी समीकरण ने जिस सहजता और पारदर्शिता के साथ दोनों देशों को जोड़ दिया है, वह आज यूरोपीय मंचों पर चर्चा का विषय है। मेलोनी की सरकार भारत को केवल एक बाज़ार नहीं, बल्कि एक साझा मूल्यों वाले शक्तिशाली लोकतांत्रिक सहयोगी के रूप में देखती है। भारत की बढ़ती शक्ति, निर्णायक नेतृत्व और स्पष्ट वैश्विक दृष्टिकोण ने इटली को यह एहसास कराया है कि भविष्य की रणनीति में भारत को केंद्र में रखना ही उसकी सबसे लाभकारी नीति होगी।

सामरिक दृष्टि से देखा जाए तो यह साझेदारी चीन को साफ संदेश देती है। इटली ने हाल ही में बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (BRI) से खुद को अलग किया और अब वह भारत जैसे विश्वसनीय साझेदार के साथ ही भविष्य की भू–राजनीतिक रणनीति बनाना चाहता है। इंडो-पैसिफिक में चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच इटली का भारत के साथ खड़ा होना यूरोप के सुरक्षा समीकरण को नया आकार दे रहा है।

दूसरा बड़ा पहलू है रक्षा और समुद्री सुरक्षा। इंडो-पैसिफिक में स्थिरता के लिए इतालवी नौसेना का भारत के साथ सहयोग, संयुक्त अभ्यास और रक्षा उत्पादन में संभावित सह-विकास परियोजनाएँ यह स्पष्ट करती हैं कि दोनों राष्ट्र अब केवल मित्र नहीं, बल्कि रणनीतिक साझेदार हैं। ताजानी का यह कहना कि इटली भारत की वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देना चाहता है केवल कूटनीतिक बयान नहीं, बल्कि नई विश्व व्यवस्था का संकेत है जहाँ भारत अब वैश्विक निर्णयों में एक निर्णायक शक्ति बन चुका है।

कुल मिलाकर देखें तो यूरोप में भारत का प्रभाव बढ़ रहा है और मेलोनी–मोदी संबंधों की गर्मजोशी ने इसमें गजब की गति दी है। यह संबंध सिर्फ मित्रता नहीं, यह 20वीं सदी की गुटबाजी से आगे बढ़कर 21वीं सदी का वास्तविक रणनीतिक गठबंधन है। भारत के लिए यह साझेदारी अत्यंत लाभकारी है। यूरोप की तकनीक, डिज़ाइन, रक्षा विशेषज्ञता और निवेश क्षमता अब भारत की प्रगति से सीधे जुड़ रही है और इटली के लिए भारत वह साझेदार है जो यूरोप की बदलती राजनीति के बीच उसे स्थिरता, बाज़ार और वैश्विक प्रभाव प्रदान कर सकता है।

बहरहाल, निष्कर्ष साफ है, भारत–इटली संबंधों का यह नया युग एक रणनीतिक यथार्थ है, जिसे मोदी–मेलोनी के मजबूत नेतृत्व और विश्वास ने संभव बनाया है। आने वाले वर्षों में यह साझेदारी एशिया–यूरोप सुरक्षा संरचना को ही बदल सकती है। यह दोस्ती अब सिर्फ कूटनीति नहीं, भविष्य की दिशा तय करने वाला वैश्विक गठबंधन बन चुकी है।

-नीरज कुमार दुबे

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