ट्रंप का 'टैरिफ बम'! दवाओं, किचन कैबिनेट पर 100% आयात शुल्क से बाजार में हड़कंप, भारतीय फार्मा सेक्टर के लिए क्या हैं इसके मायने?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को आयातित ब्रांडेड और पेटेंट प्राप्त दवाओं पर 100% आयात शुल्क लगाने की घोषणा की। इसके तहत, कंपनियों को शुल्क से बचने के लिए अमेरिका में विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने होंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को आयातित ब्रांडेड और पेटेंट प्राप्त दवाओं पर 100% आयात शुल्क लगाने की घोषणा की। इसके तहत, कंपनियों को शुल्क से बचने के लिए अमेरिका में विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने होंगे। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर कहा, "मैं दवाओं पर 100% आयात शुल्क लगा रहा हूँ, बशर्ते कि कंपनियां यहीं अमेरिका में संयंत्र स्थापित न करें।" उन्होंने आगे कहा, "निर्माणाधीन, नई शुरुआत, यही समझौता है। कोई अपवाद नहीं।" यह घोषणा अमेरिका में घरेलू विनिर्माण को मज़बूत करने और विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम करने की ट्रंप की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। हालाँकि यह नीति सीधे तौर पर ब्रांडेड दवाओं को लक्षित करती है, इसने दुनिया भर में, खासकर भारत में, चिंता पैदा कर दी है, जो दुनिया भर में दवाओं के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है।
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‘अपहोल्स्टर्ड फर्नीचर’ का मतलब है ऐसा फर्नीचर जिस पर गद्देदार कपड़ा, चमड़ा या किसी और नरम सामग्री की परत लगी हो। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर बृहस्पतिवार को एक पोस्ट में यह घोषणा की।
ट्रंप ने इन शुल्कों को लगाने का कोई कानूनी आधार नहीं दिया लेकिन उन्होंने ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा कि आयातित ‘किचन कैबिनेट’ और सोफों पर कर ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा और अन्य कारणों’’ से जरूरी है। ये शुल्क अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए नयी अनिश्चितता ला सकते हैं। उपभोक्ताओं को ऊंचे दाम चुकाने पड़ सकते हैं और नौकरियों पर असर पड़ सकता है। फेडरल रिज़र्व प्रमुख जेरोम पॉवेल ने हाल ही में एक संवाददाता सम्मेलन में आगाह किया था कि ऊंची कीमतें इस साल महंगाई में बढ़ोतरी का बड़ा कारण हैं।
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ट्रंप ने कहा कि दवाओं पर शुल्क उन कंपनियों पर लागू नहीं होगा जो अमेरिका में संयंत्र लगा रही हैं। लेकिन यह स्पष्ट नहीं कि पहले से मौजूद कारखानों पर कर कैसे लागू होगा। जनगणना ब्यूरो के अनुसार, अमेरिका ने 2024 में लगभग 233 अरब डॉलर की दवाएं आयात कीं। ऐसे में दवाओं की कीमत दोगुनी होना स्वास्थ्य खर्च और इलाज की लागत को बढ़ा सकता है। इस घोषणा ने सभी को चौंकाया है क्योंकि पहले ट्रंप ने कहा था कि दवाओं पर कर धीरे-धीरे लागू होगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय व्हाइट हाउस का कहना है कि इस साल की शुरुआत में शुल्क की धमकी से जॉनसन एंड जॉनसन, एस्ट्राजेनेका, रोशे, ब्रिस्टल मायर्स स्क्विब और एली लिली जैसी कंपनियों ने अमेरिका में निवेश का ऐलान किया। कनाडाई चेंबर ऑफ कॉमर्स ने चेतावनी दी है कि शुल्क से दवाओं की कीमत तुरंत बढ़ेगी, बीमा व्यवस्था और अस्पतालों पर दबाव बढ़ेगा और मरीजों को दवाओं से वंचित होना पड़ सकता है। ‘किचन कैबिनेट’ पर नया शुल्क घर बनाने वालों की लागत और बढ़ा सकता है। वहीं ट्रंप का कहना है कि विदेशी ट्रक और पुर्ज़े घरेलू उद्योगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पीटरबिल्ट, केनवर्थ, फ्रेटलाइनर और मैक ट्रक्स जैसी कंपनियों को बाहरी व्यवधानों से बचाना ज़रूरी है। ट्रंप लंबे समय से यह कहते रहे हैं कि शुल्क कंपनियों को घरेलू कारखानों में अधिक निवेश करने के लिए मजबूर करने की कुंजी है। हालांकि आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल से अब तक विनिर्माण से जुड़ी 42,000 नौकरियां और निर्माण से जुड़ी 8,000 नौकरियां समाप्त हो चुकी हैं। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक भी 12 महीनों में 2.9 प्रतिशत बढ़ा है।
फिर भी ट्रंप ने बृहस्पतिवार को पत्रकारों से कहा, ‘‘कोई महंगाई नहीं है, हम अद्भुत सफलता हासिल कर रहे हैं।’’ हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि चीन पर शुल्क लगाने से अमेरिकी किसानों को खासतौर पर सोयाबीन उत्पादकों को नुकसान हुआ। इसके लिए उन्होंने वादा किया कि शुल्क से हुई आमदनी किसानों को मुआवजे के रूप में दी जाएगी, जैसा उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में किया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट तात्कालिक व्यावसायिक जोखिम के बजाय बाज़ार की आशंकाओं को दर्शाती है। डॉ. विजयकुमार ने कहा कि निवेशक इसे दीर्घकालिक खतरे के बजाय अल्पकालिक उथल-पुथल के रूप में देख सकते हैं, खासकर इसलिए क्योंकि भारत की जेनेरिक दवाइयाँ अमेरिकी आयातों में प्रमुख हैं।विश्लेषक अमेरिकी व्यापार नीति में किसी भी ऐसे बदलाव पर कड़ी नज़र रखने की सलाह देते हैं जो जेनेरिक दवाओं को सीधे प्रभावित कर सकता है।
हालांकि भारतीय दवा निर्यात पर तत्काल प्रभाव सीमित हो सकता है, लेकिन इस घोषणा ने नीतिगत बदलावों के प्रति वैश्विक बाजारों की संवेदनशीलता को उजागर किया है। आने वाले सप्ताह भारतीय निर्यातकों और निवेशकों, दोनों के लिए महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि वे इस बात पर नज़र रखेंगे कि अमेरिका इस 100% टैरिफ को कैसे लागू करता है और क्या भविष्य के उपाय इसके दायरे को बढ़ाते हैं।
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