Russia के परमाणु हथियार दागते ही ट्रंप ने लिया दुनिया हिलाने वाला फैसला, 33 साल बाद ये करने जा रहा अमेरिका

1963 में संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और सोवियत संघ ने आंशिक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि पर हस्ताक्षर किए, जिससे वायुमंडल, पानी के नीचे और बाहरी अंतरिक्ष में परीक्षण बंद हो गए। यह पर्यावरणीय चिंताओं और क्यूबा मिसाइल संकट के बाद के प्रभावों से प्रभावित था।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के एक बयान ने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने कहा है कि अमेरिका जल्द ही अपने परमाणु हथियारों की टेस्टिंग दोबारा शुरू करेग। यह एक ऐसा कदम है जो तीन दशकों से कायम नीति को पलट सकता है। 1992 के बाद से अमेरिका ने कोई भी परमाणु परीक्षण नहीं किया है और अब यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब रूस, चीन और उत्तर कोरिया लगातार अपनी परमाण क्षमता बढ़ा रहे हैं। विशेषज्ञों को आशंका है कि अगर यह परीक्षण हुआ, तो दुनिया फिर से एक नई परमाणु होड़ और अस्थिरता के दौर में प्रवेश कर सकती है।
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संयुक्त राज्य अमेरिका ने परमाणु परीक्षण क्यों बंद किए
1945 और 1992 के बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका ने 1,054 परमाणु परीक्षण किए, जिनमें से अधिकांश नेवादा में थे, लेकिन बढ़ती पर्यावरणीय चिंताओं और शीत युद्ध के तनाव कम होने के कारण इसे रोक दिया गया। 1950 के दशक में ज़मीन के ऊपर परमाणु परीक्षणों ने सोवियत संघ के साथ शत्रुता को बढ़ा दिया। एक्सियोस के अनुसार, 1958 में, राष्ट्रपति आइजनहावर ने इस उम्मीद में परीक्षण रोक दिए कि सोवियत संघ भी ऐसा ही करेगा। 1961 में जब सोवियत संघ ने परीक्षण फिर से शुरू किए, तो संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी ऐसा ही किया। 1963 में संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और सोवियत संघ ने आंशिक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि पर हस्ताक्षर किए, जिससे वायुमंडल, पानी के नीचे और बाहरी अंतरिक्ष में परीक्षण बंद हो गए। यह पर्यावरणीय चिंताओं और क्यूबा मिसाइल संकट के बाद के प्रभावों से प्रभावित था।
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1974 की सीमा परीक्षण प्रतिबंध संधि ने भूमिगत परीक्षणों को 150 किलोटन से कम क्षमता तक सीमित कर दिया था। 1992 में, संयुक्त राज्य अमेरिका की कांग्रेस ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें भूमिगत परीक्षणों पर तब तक रोक लगा दी गई जब तक कि कोई अन्य देश उन्हें फिर से शुरू न कर दे, जिससे वर्तमान प्रतिबंध लागू हुआ। 1997 में, राष्ट्रपति क्लिंटन ने व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि पर हस्ताक्षर किए, लेकिन सीनेट ने राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए इसे अनुमोदित करने से इनकार कर दिया।
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अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं अमेरिका के पास करीब 5,225 परमाणु हथियार हैं, जबकि रूस के पास 5,580। दोनों देशों के पास मिलकर दुनिया के 90% से ज्यादा परमाणु हथियार हैं। नेवादा में टेस्ट साइट को फिर से तैयार करने में 2 से 4 साल लग सकते हैं। 1960 के दशक में जिस Mercury Town में 20,000 लोग परीक्षण कार्यों में लगे रहते थे, अब वहां वह क्षमता नहीं बची है।
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