तालिबान में महिलाओं के बने दो गुट! पहला कर रहा 'हिजाब' का समर्थन, दूसरे के लिए आजादी बड़ी

Two factions of women in the Taliban! First supporting 'hijab'
रेनू तिवारी । Sep 15 2021 10:20AM

तालिबानी सरकार के अनुसार देश में इस्लाम के शरिया कानून को अपनाया गया है और इसी के अनुसार देश का शासन चलाया जाएगा। शरिया कानून महिलाओं की पाबंदियों को लेकर काफी सख्त है। तालिबान के राज में पहले ही स्कूल में महिला और पुरुषों की कक्षा को अलग-अलग कर दिया गया था।

एक आजाद इंसान को क्या पहनना है यह पूरी तरह से उसकी पसंद ना पसंद पर निर्भर करता है। अगर किसी समाज या शासन के द्वारा कपड़े पहनने का चयन किया जाता है तो यह गुलामी है। व्यक्ति के शरीर से जुड़ी चीजों का वह खुद निर्णय ले सकता है। इस समय तालिबान में महिलाओं की स्थिति को लेकर गरम बहस चल रही है। पूरे विश्व में महिलाओं को लेकर तालिबान के रवैये की अलोचना की जा रही है। लोगों को चिंता है कि तालिबानी एक बार फिर अफगान महिलाओं पर अपने जुल्मों की दास्तान को दोहराएंगे। तालिबान ने 20 साल पहले महिलाओं पर ऐसे जुल्म किए जिससे सुनकर आपकी रूह कांप जाएगी। अब 20 साल बाद जब अमेरिकी सेना ने पूरी तरह से अफगानिस्तान को छोड़ दिया तो तालिबानियों ने फिर वापसी की और सरकार का गठन किया। 

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शरिया कानून का होगा पालन

तालिबानी सरकार के अनुसार देश में इस्लाम के शरिया कानून को अपनाया गया है और इसी के अनुसार देश का शासन चलाया जाएगा। शरिया कानून महिलाओं की पाबंदियों को लेकर काफी सख्त है। तालिबान के राज में पहले ही स्कूल में महिला और पुरुषों की कक्षा को अलग-अलग कर दिया गया था। अब महिलाओं के पहनावे को लेकर काफी तर्चा है। जैसा कि शरिया में माना जाता है कि महिलाओ को इतना ढककर रहना चाहिए कि शरीर का एक हिस्सा भी दूसरा मर्द न देख सके। इसके लिए हाथों में दस्ताने, पैरों में जुर्राबें और सिर से लेकर पैर की आखिरी उंगली तक लंबा हिजाब ही औरतों को पहनना चाहिए। इसके अलावा कई नियम है जो महिलाओं की आजादी ता विरोध करते हैं। 

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महिलाओं ने पहली अफगानिस्तान की संस्कृति वाली पोशाक

अब अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति को देखते हुए देश के अंदर रहने वाली और बाहर की महिलाओं ने अफानिस्तान की महिलाओं की आजादी की आवाज उठाते हुए अफगानिस्तान की संस्कृति को दिखाते हुए रंगीन पारंपरिक पोशाक पहनी और महिलाओं का समस्थन किया। यह पोशाक हिजाब जैसी नहीं थी। इसके माध्यम से महिलाएं यह संदेश देना चाहती है कि आफगानिस्तान की संस्कृति गुलामी का हिजाब नहीं बल्कि अफगानिस्तान का इतिहास है। सोशल मीडिया पर अफगानिस्तान की पोशाक पहन कर तस्वीरें डाल कर महिलाएं तालिबानियों का कड़ा विरोध कर रही है। 

हिजाब का समर्थन कर रही महिलाएं

वहीं दूसरी तरफ एक ऐसी तस्वीर सामने आयी जिसने सभी को हिलाकर रख दिया। तस्वीर में आप देख सकते हैं कि कुछ महिलाएं किसी कक्षा जैसी जगह में बैठी है उन्होंने तालिबानी झंठा अपने हाथ में ले रखा है और वह सिर से लेकर पैर तक पूरी तरह से ढकी हुई है। कुछ मीजिया रिपोर्ट में यह दावा किया कि यह महिलाएं महिलाओं के प्रति तालिबान के कानून का समर्थन करने आयी हैं। एक रिपोर्ट अनुसार यह महिलाएं मानती है कि महिलाओं को अपने आप को छुपाकर और ढककर रखना चाहिए। हिजाब हमेशा पहनकर ही घर से बाहर कदम निकालना चाहिए आदि। 

तालिबान का समर्थन कर रही महिलाएं: एजेंडा

तस्वीरों को लेकर यह भी दावा किया गया कि यह एक तालिबान शासन के अधीन खुले कॉलेज की तस्वीर है। सीएनएन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के दिनों में तालिबान ने कक्षाओं के अंदर लिंग आधारित अलगाव को अनिवार्य कर दिया है। तालिबान ने कहा है कि महिला छात्र, व्याख्याता और कर्मचारी जो शिक्षा प्राप्त करना और प्रदान कराते हैं उन्हें शरिया कानून के तहत जो जेंडर के लिए नियम बनें है उनके अनुसार हिजाब पहनना चाहिए। दरअसल, सोशल मीडिया पर हाल ही में शेयर की गई एक फोटो को कई लोगों ने दिल दहला देने वाला बताया है। यह काबुल में तालिबान द्वारा संचालित विश्वविद्यालय के व्याख्यान कक्ष में तालिबान के झंडे लहराते हुए, काले वस्त्र में सिर से पैर तक ढकी हुई महिला छात्रों के एक समूह को दिखाता है।

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