अमेरिकी सांसद ने भारत को सामान्य तरजीही व्यवस्था में बहाल करने का अनुरोध किया

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ट्रंप ने महत्वपूर्ण जीएसपी व्यापार कार्यक्रम के तहत लाभार्थी विकासशील देश के तौर पर भारत के ओहदे को खत्म कर दिया था। उन्होंने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि भारत ने अमेरिका को आश्वस्त नहीं किया था कि वह ‘‘उसके बाजारों को ‘‘न्यायसंगत और उचित पहुंच’’ मुहैया कराएगा। यह निलंबन पांच जून से प्रभाव में आया।

वाशिंगटन। विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के एक शीर्ष सांसद ने मंगलवार को अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर से भारत को सामान्य तरजीही व्यवस्था (जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफेरेंस-जीएसपी) में बहाल करने का अनुरोध किया जिसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खत्म कर दिया था। ट्रंप ने महत्वपूर्ण जीएसपी व्यापार कार्यक्रम के तहत लाभार्थी विकासशील देश के तौर पर भारत के ओहदे को खत्म कर दिया था। उन्होंने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि भारत ने अमेरिका को आश्वस्त नहीं किया था कि वह ‘‘उसके बाजारों को ‘‘न्यायसंगत और उचित पहुंच’’ मुहैया कराएगा। यह निलंबन पांच जून से प्रभाव में आया।

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सीनेटर रॉबर्ट मेनेंदेज ने मंगलवार को कांग्रेस के समक्ष सुनवाई के दौरान लाइटहाइजर से कहा कि मुझे उम्मीद है कि हम भारत के साथ अपने मसलों को हल कर सकते हैं ताकि उन्हें जीएसपी में बहाल किया जा सके। उन्होंने हालांकि साथ ही भारत के संबंध में ट्रंप प्रशासन की चिंताओं का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि आपको पता होना चाहिए कि अगर मैं व्यापारिक साझेदार हूं तो मैं भविष्य की कुछ संभावनाएं चाहता हूं और जब मैं आपके साथ समझौता करता हूं तो आप मुझ पर किसी चीज के लिए कर लगाना शुरू कर देते हो जिसका कारोबार से कुछ लेना-देना नहीं होता। यह अप्रत्याशित है।

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लाइटहाइजर ने इस संबंध में प्रत्यक्ष तौर पर मेनेंदेज के सवाल का जवाब नहीं दिया लेकिन अपने बयान में उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन जीएसपी में योग्यता की समीक्षा कर रहा है। पिछले एक महीने में राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने दो करीबी सहयोगियों और मित्रों तुर्की तथा भारत से जीएसपी का दर्जा छीन लिया। जीएसपी कार्यक्रम के तहत अगर लाभार्थी विकासशील देश कांग्रेस द्वारा तय किए मापदंड को पूरा करता है तो कलपुर्जों और कपड़ों समेत उसके करीब 2,000 उत्पाद अमेरिका में बिना किसी शुल्क के आ सकते हैं। कांग्रेस की जनवरी में जारी हुई अनुसंधान सेवा रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2017 में इस कार्यक्रम का सबसे बड़ा लाभार्थी रहा। अमेरिका में 5.7 अरब डॉलर का आयात शुल्क मुक्त रहा। तुर्की पांचवां सबसे बड़ा लाभार्थी था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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