भारत की तरफ यूक्रेन का इशारा, कहा- युद्ध रोकने के प्रस्ताव पर सबसे पहले मतदान करना चाहिए

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संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने मतदान पर भारत का पक्ष रखते हुए कहा, “भारत, यूक्रेन के हालिया घटनाक्रम से बेहद विचलित है। हम हिंसा और युद्ध को तत्काल रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने की अपील करते हैं।”

संयुक्त राष्ट्र। ‘यह वास्तव में यूक्रेन में आपके नागरिकों की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है’, जिसके लिए आपको युद्ध रोकने के प्रस्ताव पर ‘सबसे पहले मतदान’ करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में यूक्रेन के दूत सर्गेई किस्लित्स्या ने शुक्रवार को यह बात कही। उनका इशारा भारत की तरफ समझा जा रहा है, जिसने यूक्रेन के खिलाफ रूसी हमले का विरोध करने वाले प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया। अमेरिका के नेतृत्व में तैयार मसौदा प्रस्ताव पर मतदान के बाद किस्लित्स्या ने कहा, “मैं दुखी हूं। कुछ मुट्ठीभर देश अब भी युद्ध को बर्दाश्त कर रहे हैं।” प्रस्ताव में यूक्रेन के खिलाफ रूसी आक्रामकता का विरोध जताते हुए यह कहा गया था कि रूस “यूक्रेन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर से अपने सभी सैन्य बलों को तुरंत, पूरी तरह से और बिना शर्त के वापस बुला ले।” भारत, चीन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) मतदान से दूर रहे, जबकि अल्बानिया, ब्राजील, फ्रांस, गाबोन, घाना, आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको, नॉर्वे, ब्रिटेन व अमेरिका ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया और रूस ने इसके खिलाफ अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल किया।

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संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने मतदान पर भारत का पक्ष रखते हुए कहा, “भारत, यूक्रेन के हालिया घटनाक्रम से बेहद विचलित है। हम हिंसा और युद्ध को तत्काल रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने की अपील करते हैं।” उन्होंने कहा कि भारत यूक्रेन में भारतीय समुदाय की सुरक्षा को लेकर ‘बेहद चिंतित’ है और कोई भी हल लोगों की जिंदगियों की कीमत पर नहीं निकल सकता। सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए किस्लित्स्या ने अप्रत्यक्ष रूप से भारत की तरफ इशारा करते हुए कहा, “और मैं कुछ लोगों से कह सकता हूं, यूक्रेन में अभी स्पष्ट रूप से आपके नागरिकों की सुरक्षा का मुद्दा है, जिसके लिए आपको युद्ध रोकने की खातिर इस प्रस्ताव पर सबसे पहले मतदान करना चाहिए। और यूक्रेन में अपने नागरिकों की सुरक्षा के मद्देनजर अभी यह सोचने का समय नहीं है कि आपको इस प्रस्ताव पर मतदान करना चाहिए या नहीं।” उन्होंने कहा कि बच्चों के स्कूलों, अनाथालयों और अस्पतालों पर मिसाइल हमले को किसी भी रूप में जायज नहीं ठहराया जा सकता। वहीं, संयुक्त राष्ट्र में चीन के दूत झांग जुन ने कहा, “यूक्रेन का मुद्दा ऐसा नहीं है, जो आज ही उभरा है। न ही मौजूदा स्थिति अचानक रातों-रात पैदा हुई है। यह लंबी अवधि में विभिन्न कारकों की परस्पर क्रिया का नतीजा है।”

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चीनी दूत को लक्षित प्रतीत होती टिप्पणी में किस्लित्स्या ने कहा, “जो हो रहा है, उसे जायज ठहराने के लिए किसी भी जटिल ऐतिहासिक संदर्भ का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।” मतदान के बाद संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वसीली नेबेंजिया ने “उन देशों का आभार जताया, जिन्होंने इस मसौदा प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया।” उन्होंने कहा कि रूस ने “रूस विरोधी और यूक्रेन विरोधी” मसौदा प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया है। नेबेंजिया ने कहा, “मुझे लगता है कि यह समझाने की जरूरत नहीं है कि प्रस्ताव रूस विरोधी क्यों है। ‘रूस विरोधी’ शब्द इसे समझाने के लिए काफी है।” उन्होंने आगे कहा, “लेकिन यह यूक्रेन विरोधी क्यों है? वो इसलिए, क्योंकि यह दस्तावेज बिना किसी संदेह के यूक्रेनी अवाम के मौलिक हितों का उल्लंघन करता है और यूक्रेन में सत्ता की उस व्यवस्था की रक्षा करना चाहता है, जिसने देश को इस त्रासदी में धकेला है, जो कम से कम आठ वर्षों से चली आ रही है।” रूसी दूत ने कहा, “हमने यूक्रेन और उसके लोगों के खिलाफ युद्ध नहीं छेड़ा है। हम डोनबास के लोगों की रक्षा के लिए राष्ट्रवादियों के खिलाफ एक विशेष सैन्य अभियान चला रहे हैं, जो असंबद्धीकरण और असैन्यीकरण सुनिश्चित करता है।”

नेबेंजिया ने दावा किया कि यह अभियान जल्द पूरा हो जाएगा और यूक्रेन के लोगों को अपने सभी पड़ोसियों के साथ शांति और सहयोग में रहते हुए दोबारा अपने भविष्य को आकार देने का मौका मिलेगा। रूस द्वारा वीटो शक्ति का इस्तेमाल करने से सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव गिरने के बाद अमेरिका ने मॉस्को के खिलाफ कार्रवाई की मांग को 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में उठाने का संकल्प लिया। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा, “हम इस मुद्दे को महासभा में ले जाएंगे, जहां रूसी वीटो लागू नहीं होता है और दुनियाभर के देश मॉस्को को जवाबदेह ठहराना जारी रखेंगे।” वहीं, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र का जन्म एक युद्ध से युद्ध को खत्म करने के लिए हुआ था और ‘आज यह उद्देश्य प्राप्त नहीं किया जा सका।’ हालांकि, उन्होंने कहा, “हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। हमें शांति को एक और मौका देना चाहिए। सैनिकों को अपने बैरक में लौटने की जरूरत है। नेताओं को संवाद और शांति की राह पर आने की जरूरत है।”

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गुतारेस ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर को अतीत में भी चुनौती दी गई है, लेकिन यह शांति, सुरक्षा, विकास, न्याय, अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों के पक्ष में मजबूती से खड़ा है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय जब समय-समय पर एकजुटता के साथ खड़ा हुआ है, ये मूल्य प्रबल हुए हैं और आज जो हुआ, उससे इतर ये मूल्य स्वतंत्र रूप से प्रबल होते जाएंगे। गुतारेस ने कहा कि हमें वो सब करना चाहिए, जो हमारे बस में है, ताकि ये मूल्य यूक्रेन में प्रबल हों, पूरी मानवता के लिए प्रबल हों। संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन की राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने कहा, “रूस का दावा है कि यूक्रेन पर उसका हमला आत्मरक्षा में उठाया गया कदम है। यह बेतुका है। रूस द्वारा आत्मरक्षा में की गई एकमात्र कार्रवाई वो वोट है, जो उसने आज इस प्रस्ताव के खिलाफ दिया है।” उन्होंने कहा कि इस बात को समझने में कोई गलती न करें, रूस अलग-थलग है और यूक्रेन पर हमले के लिए उसे कोई समर्थन हासिल नहीं है।

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