नेपाल में चीन ऐसा क्या कर रहा है, जिससे बढ़ने वाली है भारत की चिंता
चीन की नजर भारत के पड़ोस में बसे छोटे से देश नेपाल पर है। जहां वो लुंबिनी तक रेलवे लाइन बनाने की योजना बना रहा है। एक्सपर्ट का मानना है कि इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य जरूरत के वक्त अपने सैनिकों को तुरंत भारत की सीमा तक पहुंचाना है।
चीन वैसे तो अपनी विस्तारवाद की नीति के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्धि पाई है। लेकिन इसके साथ ही वो इन्वेस्टमेंट के जरिये अपने पड़ोसी मुल्कों में पैठ बनाता है तरक्की के सपनें बेचता है और अपने सामरिक हित साधता है। अपनी इसी नीति के तहत अब चीन की नजर भारत के पड़ोस में बसे छोटे से देश नेपाल पर है। जहां वो लुंबिनी तक रेलवे लाइन बनाने की योजना बना रहा है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इसका ऐलान खुद किया है। चीन की तरफ से दावा किया गया है कि रेलवे लाइन और सड़क मार्ग से चारों तरफ से जमीन से घिरे नेपाल का संपर्क दुनिया से बढ़ेगा। लेकिन चीन के पुराने ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए उसकी बातें केवल हवा-हवाई ही लगती है। इसके साथ ही चीन के नेपाल पर नजर से भारत की चिंता बढ़ना लाजिमी है। वो भी ऐसे वक्त में जब म्यांमार में भी चीन हिंद महासागर तक रेलवे लाइन बनाने जा रहा है।
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पड़ोसियों के बीच में खाई पैदा करने की और दो देशों को दुश्मन बनाने की कोशिश चीन इसलिए कर रहा है ताकी गड़बड़ी फैला सके। कठपुतली के तौर पर नेपाल का इस्तेमाल कर सके। रेल और रोड सेवा के बहाने ल्हासे, शिगास्ते, केरुंग से होता हुआ ये रूट काठमांडू तक के रूट को पोखरा और लुंबिनी तक बढ़ाए जाने की बात हो रही है। कहा तो ये भी जा रहा है कि वहां उत्तर और पश्चिमी प्रांत तक चीन ने अपनी मालगाड़ी चला भी दी है। चीन नेपाल को बांधने की कोशिश कर रहा है। 2003 में रेल लिंक को लेकर ये निर्णय हुआ था कि इसमें कुछ-कुछ भागीदारी नेपाल की तरफ से होगी। हालांकि बाद में नेपाल ने मना कर दिया और अब चीन खुद से ये करना चाहता है।
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साऊथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक चीन 8 अरब डॉलर की मदद से दक्षिणी तिब्बत से नेपाल की राजधानी काठमांडू तक सीमा पार रेलवे बनाना चाहता है। माना जा रहा है कि इससे नेपाल की अर्थव्यवस्था को पंख लगेंगे जो उत्तर कोरिया के बाद सबसे गरीब देश है। यह चीन की दक्षिण एशिया में बेल्ट एंड रोड रणनीति का अहम हिस्सा है। चीनी राष्ट्रपति की साल 2019 में हुई नेपाल यात्रा के दौरान 20 द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर हुआ था। वांग यी ने कहा था कि चीन सीमा पार रेलवे प्रॉजेक्ट के व्यवहार्यता अध्ययन पर ठोस प्रगति करेगा, ट्रांस हिमालय कनेक्टविटी नेटवर्क को सुधारेगा और नेपाल की परेशानियों को दूर करके उसका सपना पूरा करने में मदद करेगा।
चीन का असल मकसद कुछ और
लेकिन जो कुछ इतना सरल लग रहा है या चीन की तरफ से नेपाल को तरक्की के राह पर ले जाने के सपने बेच रहा है वो इतना साफ नहीं है। दरअसल, चीन ने भारत को ध्यान में रखकर ही नेपाल तक रेल लाइन और सड़क मार्ग बनाने की योजना तैयार की है। एक्सपर्ट का मानना है कि इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य जरूरत के वक्त अपने सैनिकों को तुरंत भारत की सीमा तक पहुंचाना है। रेल नेटवर्क बिछाने और सड़कों के निर्माण के बाद नेपाल के रास्ते चीन बेहद की कम समय में अपने सैनिकों को भारतीय सीमा पर पहुंचा सकता है।
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