Pakistan में कब मनाया जाता है गणतंत्र दिवस? देश के 3 संविधानों का क्या है पूरा इतिहास

Republic Day celebrated in Pakistan
prabhasakshi
अभिनय आकाश । Jan 27 2023 4:51PM

अपने निर्माण के बाद से पाकिस्तान ने तीन संविधान और कई तानाशाही शासन को देखा है, जब संविधान को निलंबित कर दिया गया। पाकिस्तान एक गणतंत्र कैसे बना और उसके तीन संविधान क्या कहते हैं आपको इस रिपोर्ट के जरिये बताते हैं।

भारत ने 26 जनवरी को अपना 74वां गणतंत्र दिवस मनाया। 72 साल पहले घड़ी में 10 बजकर 18 मिनट हो रहे थे। जब 21 तोपों की सलामी के साथ भारतीय गणतंत्र का ऐतिहासिक ऐलान हुआ था। 15 अगस्त को अगर हिन्दुस्तान ने आजादी के रूप में अपनी नियति से मिलन किया था तो 26 जनवरी को हमे अस्तित्व की प्राप्ति हुई थी। भारत के बारे में तो सभी तो पता है लेकिन क्या आपको पता है कि पाकिस्तान में कब गणतंत्र दिवस मनाया जाता है? इस देश का संविधान कब बना? गॉड फादर किताब की एक लाइन है 'कीप योर फ्रेंड क्लोज एंड एनिमिज क्लोजर' यानी जिसके साथ आप दोस्ती करना चाहते हो या दुश्मनी भी रखना चाहते हो दोनों के बारे में आपको डिटेल जानकारी होनी चाहिए।  अपने निर्माण के बाद से पाकिस्तान ने तीन संविधान और कई तानाशाही शासन को देखा है, जब संविधान को निलंबित कर दिया गया। पाकिस्तान एक गणतंत्र कैसे बना और उसके तीन संविधान क्या कहते हैं आपको इस रिपोर्ट के जरिये बताते हैं। 

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 23 मार्च का महत्व

23 मार्च 1940 को अखिल भारतीय मुस्लिम लीग ने लाहौर प्रस्ताव को अपनाया, जिसमें मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र की मांग की गई थी। इस प्रकार स्वतंत्र पाकिस्तान में इस दिन को पाकिस्तान दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1956 में इस देश ने इसी दिन आधिकारिक तौर पर अपना पहला संविधान अपनाया, जिसने पाकिस्तान के डोमिनियन को इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान में बदल दिया।  द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स, इस्लामाबाद से कराची निवासी और सार्वजनिक नीति स्नातक शफीक सूमरो ने बताते हैं कि आज, ज्यादातर पाकिस्तानी के लिए सैन्य शक्ति के प्रदर्शन के साथ मनाए जाने वाले पाकिस्तान दिवस का महत्व गणतंत्र दिवस से अधिक है। वहां संविधान के बारे में जागरूकता और साक्षरता बहुत अधिक नहीं है। 

1956 का पहला संविधान

भारत और पाकिस्तान दोनों ने स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अगस्त 1947 में अपनी यात्रा प्रारंभ की। हालाँकि, भारत 26 जनवरी, 1950 को एक गणतंत्र बन गया, लेकिन पाकिस्तान को दो संविधान सभाओं के साथ एक संविधान अपनाने में नौ साल लगे। पाकिस्तान के गठन के तुरंत बाद मुहम्मद अली जिन्ना की मृत्यु, राजनीतिक अस्थिरता और 1954 में गवर्नर-जनरल गुलाम मुहम्मद द्वारा पहली संविधान सभा को भंग करने जैसे घटनाक्रमों ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पाकिस्तान के संविधान का निर्माण एक अभूतपूर्व कवायद थी। पहली बार, एक आधुनिक लोकतांत्रिक राष्ट्र खुद को एक इस्लामी संविधान देने की कोशिश कर रहा था। संविधान सभा के सामने तीन कठिन चुनौतियाँ थीं। संविधान पर इस्लाम के प्रभाव की प्रकृति और सीमा का निर्धारण, पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के अधिकारों और हितों में संतुलन साधना और मुस्लिम मातृभूमि के रूप में पैदा हुए देश में अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा कैसे की जाए? विधानसभा की बहसों में शुरुआत में ही असहमति सामने आ गई थी। 12 मार्च, 1949 को संविधान सभा ने प्रस्ताव पारित किया, जिसका उद्देश्य संविधान के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करना था। इस्लाम द्वारा प्रतिपादित लोकतंत्र, स्वतंत्रता, समानता, सहिष्णुता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों का पूरी तरह से पालन किया जाएगा, मुसलमानों को इस्लाम की शिक्षाओं और आवश्यकताओं के अनुसार व्यक्तिगत और सामूहिक क्षेत्रों में अपने जीवन को व्यवस्थित करने में सक्षम बनाया जाएगा। पवित्र कुरान और सुन्नत में निर्धारित किया गया है। इसके सात साल बाद, पहले संविधान को अपनाया गया था, जिसमें इस्लामिक गणराज्य में एक द्विसदनीय संसद थी, जिसमें 300 सदस्य पश्चिम और पूर्वी पाकिस्तान के बीच समान रूप से विभाजित थे। यह संविधान अल्पकालिक साबित हुआ, 7 अक्टूबर, 1958 को राष्ट्रपति सिकंदर मिर्जा द्वारा निरस्त कर दिया गया और इसे मार्शल लॉ से बदल दिया गया।

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दूसरा संविधान

सिकंदर मिर्जा को तुरंत उनके कमांडर-इन-चीफ, जनरल मुहम्मद अयूब खान द्वारा राष्ट्रपति के रूप में बदल दिया गया। उनके अधीन, पाकिस्तान को 1962 में अपना दूसरा संविधान मिला। यह संविधान सर्वसम्मत दस्तावेज नहीं था और इसमें राष्ट्रपति के हाथों में अत्यधिक केंद्रित शक्तियाँ थीं। यह संविधान सात साल तक चला। 25 मार्च, 1969 को जनरल आगा मुहम्मद याहया खान द्वारा फिर से मार्शल लॉ लगाया गया। उसके तहत, पहला आम चुनाव दिसंबर 1970 में हुआ था। इस चुनाव के परिणामों ने 1971 में बांग्लादेश की नींव रखी। 

तीसरा और वर्तमान संविधान

1973 में पाकिस्तान को वह संविधान मिला जो वर्तमान में भी मौजूद है। इस संविधान की तीन प्रमुख विशेषताएं एक संसदीय लोकतंत्र हैं, जहां सत्ता एक निर्वाचित प्रधान मंत्री और उनके मंत्रियों के पास रहेगा। संघीय संरचना और मौलिक अधिकारों का विस्तार किया गया। प्रधानमंत्री को निर्वाचित होना है, वह उच्च सदन से नहीं आ सकता है। साथ ही, राष्ट्रपति और पीएम दोनों को मुस्लिम होना जरूरी है। 2010 का 18वां संशोधन एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता है, जिसने प्रांतीय सरकारों को काफी हद तक सशक्त बनाया, संघीय सरकार के पास मौजूद शक्तियों को कमजोर किया। जनरल जिया-उल-हक (1977-1985) और जनरल परवेज मुशर्रफ (1999-2002) के तहत इस संविधान को दो बार निलंबित किया गया था। हालाँकि, समय के साथ, विभिन्न संशोधनों ने ज़िया द्वारा लाए गए बहुत सारे बदलावों को हटा दिया है। -अभिनय आकाश

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