Goverdhan Puja 2024: आखिर गोवर्धन पूजा के दिन भगवान गिरिराज के परिक्रमा कितनी बार करनी चाहिए?
दिवाली पांच दिवसीय त्योहार है। धनतेरस से लेकर भाई दूज तक यह त्योहार चलता है। गोवर्धन का त्योहार भी हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण होता है। इस दिन गोबर से गिरिराज जी बनाकर उनकी पूजा की जाती है। गोबर से गिरिराज जी बनाकर उनकी पूजा की जाती है। अब ऐसे में उनकी परिक्रमा कितनी बार लगानी चाहिए। आइए जानते हैं।
गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है। इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में गोवर्धन त्योहार का बेहद महत्व होता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण से इंद्रदेव का घमंड भी तोड़ा था और पूरे ब्रजमंडल को गोवर्धन पर्वत की आड़ से सभी की रक्षा की थी। गोवर्धन के दिन भगवान कृष्ण को 56 प्रकार के व्यंजन चढ़ाए जाते हैं। इस दिन को प्रकृति की उदारता और कृषि की समृद्धि का प्रतीक है। गोवर्धन के दिन किसान भी अपने फसलें भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करें। अब ऐसे में गोवर्धन पूजा के दिन गिरिराज जी की परिक्रमा कितनी बार लगानी चाहिए।
गोवर्धन पूजा के दिन गिरिराज जी की परिक्रमा कितनी बार लगाएं?
गोवर्धन पूजा के दिन आप गोबर से बने गिरिराज जी की 7 या 11 बार परिक्रमा लगाएं। इसके साथ ही पूरा परिवार परिक्रमा लगाएं। ऐसा कहा जाता है कि परिक्रमा परिवार सहित लगाने से घर में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है और घर से कलह-क्लेश भी दूर होते हैं।
गोवर्धन पूजा के दिन परिक्रमा कब लगानी चाहिए?
गोवर्धन पूजा के दिन अन्नकूट के बाद गोबर से गिरिराज जी बनाएं और इसके बाद विधिवत रुप पूजा करना है। उन्हें दूध चढ़ाएं और फिर परिक्रमा लगाएं। गिरिराज पर्वत को भगवान कृष्ण का स्वरुप माना जाता है। इसके पीछे एक पौराणिक कहानी है कि जब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र देव के प्रकोप से बचाया था, तब से यह पर्वत भगवान कृष्ण के साथ अटूट रुप ले जुड़ गया है। माना जाता है कि गिरिराज की पूजा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य लाभ मिलता है। गिरिराज की पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
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