मई और जून में फिर बजेगी शहनाई, 2 मई से शुरू होंगे मांगलिक कार्य

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ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इनके अलावा अनसूझे मुहूर्त भी हैं। इसमें विवाह करना शुभ एवं कल्याणकारी रहेगा। प्रत्येक वर्ष में स्वयं सिद्ध मुहूर्त होते हैं। इनमें फुलेरा दौज, देवउठनी एकादशी, वसंत पंचमी, विजया दशमी और अक्षय तृतीया शामिल हैं।

पंचांग के अनुसार मई में 14, जून में 11, नवंबर में 5 और दिसंबर में 7 विवाह मुहूर्त हैं। 29 जून से चातुर्मास शुरू हो जाएगा। अधिकमास होने से पांच महीने चातुर्मास रहेगा। इससे देवशयनी एकादशी 29 जून से 23 नवंबर देवउठनी एकादशी तक सावे नहीं हो सकेंगे। देवउठनी एकादशी का अबूझ सावा रहेगा। इसके बाद लग्न मुहूर्त शुरू होंगे। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि गुरू शुक्र 21 मार्च से 29 अप्रैल तक अस्त रहेंगे। ज्योतिष शास्त्र अनुसार गुरू अस्त होने के कारण शादी वर्जित मानी गई हैं। 14 अप्रैल को मेष संक्रांति पर सूर्य मेष राशि में आ गया है। इसी के साथ‎ खरमास भी खत्म हो गया है। खरमास के खत्म होते ही शादियां और बाकी मांगलिक काम भी शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस बार मांगलिक कामों के लिए अप्रैल में मुहूर्त नहीं है। इनकी शुरुआत मई में ही होगी। गुरु अस्त होने की वजह से ऐसा हो रहा है। शादियां नहीं होंगी। 27 जून भड़ली नवमी शादी का अबूझ महुर्त हैं। 29 जून देवशयनी एकादशी से 23 नवंबर देवउठनी एकादशी रहेगा। चातुर्मास में कर्क, सिंह, कन्या, तुला के सूर्य में चार माह शादियां बंद रहेंगी। 16 दिसंबर से 14 जनवरी 2024 तक धनु के सूर्य खरमास में विवाह बंद रहेंगे।

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इनके अलावा अनसूझे मुहूर्त भी हैं। इसमें विवाह करना शुभ एवं कल्याणकारी रहेगा। प्रत्येक वर्ष में स्वयं सिद्ध मुहूर्त होते हैं। इनमें फुलेरा दौज, देवउठनी एकादशी, वसंत पंचमी, विजया दशमी और अक्षय तृतीया शामिल हैं। इन दिनों में मुहूर्त न होते हुए भी शुभ कार्य किए जा सकते हैं। यह दिवस अपने आप में ही सिद्ध मुहूर्त हैं। 27 जून भड़ल्या नवमी और 23 नवंबर देवउठनी एकादशी है। विवाह मुहूर्त निकालना विवाह में होने वाली महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया है। ऐसा माना जाता है कि बिना विवाह मुहूर्त निकाले विवाह किए जाने का असर नकारात्मक हो सकता है। इसीलिए शादी विवाह को शुभ मुहूर्त में ही किया जाना उचित माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, साल में अबूझ मुहूर्त होते हैं। ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से बने शुभ योग में ही शादी, मुंडन, जनेऊ, ग्रह-प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य किए जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कहा जाता है शुभ मुहूर्त में किए गए मांगलिक और शुभ कार्य बिना किसी विघ्न बाधा के संपन्न होते हैं।

15 मार्च से बंद हुए थे मांगलिक काम

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि बीते महीने की 15 मार्च को सूर्य मीन राशि में आ गया था। जिससे खरमास शुरू हो गया था। खरमास के दौरान गुरु की राशि में सूर्य होने से ज्योतिष ग्रंथों में मांगलिक कामों की मनाही होती है। इस कारण शादी, सगाई, मुंडन और गृह प्रवेश जैसे कामों के लिए मुहूर्त नहीं थे। खरमास 15 मार्च से 14 अप्रैल तक था। सूर्य के मीन राशि में आने से इसी दरमियान गुरु अस्त हो गया है। इस कारण अप्रैल में मांगलिक कामों के लिए मुहूर्त नहीं रहेंगे।

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2 से 29 अप्रैल तक गुरु अस्त 

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इसी महीने 2 अप्रैल को गुरु मीन राशि में अस्त हो गया है जो कि 29 अप्रैल तक अस्त रहेगा। गुरु के अस्त रहते हुए शादी, सगाई, मुंडन और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कामों के लिए मुहूर्त नहीं होते हैं। इसलिए अब शुभ कामों के लिए मई में ही मुहूर्त रहेंगे। हालांकि अप्रैल में अक्षय तृतीया अबूझ मुहूर्त रहेगा। इसे स्वयं सिद्ध मुहूर्त कहते हैं। लोक परंपराओं के चलते इस दिन कई जगहों पर शादियां होती है।

विवाह शुभ मुहूर्त 2023

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार मई में 14, जून में 11, नवंबर में 5 और दिसंबर में 7 विवाह मुहूर्त हैं।

मई- 4, 6, 8, 9, 10, 11, 15, 16, 20, 21, 22, 27, 29, 30

जून- 1, 3, 5, 6, 7, 11, 12, 23, 24, 26, 27

नवंबर - 23, 24, 27, 28, 29

दिसंबर- 5, 6, 7 8, 9, 11, 15

शादी के लिए 10 रेखा सावा सबसे मंगलकारी

कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शादी-विवाह को आज भी परिवारों में शुभ मुहूर्त में मंगलकारी मानते हैं। सबसे बेहतर 10 रेखा सावा रहता है। विवाह मुहूर्त में मार्च में सबसे कम दो दिन शहनाई बजेंगी। साथ ही बसंत पंचमी, रामनवमी, भड़ल्या नवमी, अक्षय तृतीया सहित कई अबूझ सावे होंगे। मार्च 2023 में होलाष्टक और अप्रैल में खरमास लगने पर मांगलिक कार्य नहीं होंगे। 29 जून से चातुर्मास शुरू हो जाएगा। अधिकमास होने से पांच महीने चातुर्मास रहेगा। इससे देवशयनी एकादशी 29 जून से 23 नवंबर देवउठनी एकादशी तक सावे नहीं हो सकेंगे। देवउठनी एकादशी का अबूझ सावा रहेगा। इसके बाद लग्न मुहूर्त शुरू होंगे। ज्योतिष के मुहूर्त चिंतामणी ग्रंथ में रेखीय सावों का जिक्र है। इसमें यह माना जाता है कि 10 रेखा सावा में यानी जिसमें एक भी दोष नहीं होते हैं। वो 10 रेखा सावा होता है।

ग्रह-नक्षतों की मौजूदगी के अनुसार होता है रेखा का निर्धारण

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि ग्रह-नक्षत्र वैवाहिक जीवन को प्रभावित करते हैं। ग्रह-नक्षत्रों की मौजूदगी के अनुसार रेखा का निर्धारण होता है। सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त दस रेखाओं का माना जाता है। नौ रेखाओं का सावा भी उत्तम माना है। सात से आठ रेखाओं का मुहूर्त मध्यम मानते हैं। इनमें लता, पात, युति, वेध, जामित्र, पंच बाण, तारा, उपग्रह दोष, कांति साम्य एवं दग्धा तिथि, इन 10 तरह के दोषों का विचार के बाद ही विवाह का शुभ मुहूर्त रेखीय के आधार पर निकाला जाता है। जितनी ज्यादा रेखाएं होंगी, मुहूर्त उतना ही शुद्ध होता है। अगर किसी जातक के गुण मिलान भी नहीं हो तो 10 रेखा में शुद्ध लगन देकर विवाह को प्राथमिकता प्रदान करते हैं।

- डा. अनीष व्यास

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक

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