Basant Panchami 2025: बसंत पंचमी पर इस शुभ योग में करें मां सरस्वती की पूजा, जानिए मुहूर्त और पूजन विधि

Basant Panchami 2025
Creative Commons licenses/Wikimedia Commons

बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। यह दिन छात्रों, संगीत और कला आदि के क्षेत्रों से जुड़े लोगों के लिए काफी खास होता है। साथ ही इस दिन पीले वस्त्र पहनने का महत्व होता है।

हर साल माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंच पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार 02 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन से ही बसंत ऋतु का आगमन होता है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। यह दिन छात्रों, संगीत और कला आदि के क्षेत्रों से जुड़े लोगों के लिए काफी खास होता है। साथ ही इस दिन पीले वस्त्र पहनने का महत्व होता है। विद्या आरंभ या किसी भी शुभ कार्य के लिए बसंत पंचमी का दिन बेहद उत्तम माना जाता है।

बसंत पंचमी 2025 तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 02 फरवरी 2025 को मनाया जा रहा है। 02 फरवरी को पंचमी तिथि की शुरूआत 09:14 मिनट पर शुरू होगी। तो वहीं अगले दिन यानी की 03 फरवरी को सुबह 06:52 मिनट पर पंचमी तिथि समाप्त होगी। उदयातिथि के हिसाब से यह पर्व 02 फरवरी को मनाया जाएगा। इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरूआत हो जाती है। बसंत पंचमी पर पीले कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।

इसे भी पढ़ें: Basant Panchami Bhog: बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को लगाएं पीले रंग के व्यंजनों का भोग, प्रसन्न होंगी ज्ञान की देवी

सरस्वती पूजा मुहूर्त

इस साल 02 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन पूजा का मुहूर्त 07:09 मिनट से शुरू होगा, जोकि दोपहर 12:35 मिनट तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में आप मां सरस्वती की पूजा कर सकते हैं।

शुभ योग

हिंदू पंचांग के अनुसार, 02 फरवरी 2025 को उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का निर्माण होगा। साथ ही शिव और सिद्ध योग का संयोग रहेगा। इस तिथि पर सूर्य देव मकर राशि में विराजमान रहेंगे। वहीं बसंत पंचमी पर अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:13 मिनट से 12:56 मिनट तक रहेगा। अमृतकाल रात 20:24 से 21:53 मिनट तक है।

पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि कर बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की प्रतिमा या मूर्ति को स्थापित करें। फिर उनको पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें और रोली, केसर, हल्दी, चंदन, पीले या सफेद रंग के पुष्प, पीली मिठाई और अक्षत आदि अर्पित करें। इसके बाद मां सरस्वती की वंदना करें और आप चाहें को इस दिन आप व्रत भी कर सकते हैं।

या कुंदेंदुतुषारहारधवला, या शुभ्रवस्त्रावृता।

या वीणा वर दण्डमण्डित करा, या श्वेत पद्मासना।।

या ब्रहमाऽच्युत शंकर: प्रभृतिर्भि: देवै: सदा वन्दिता।

सा मां पातु सरस्वती भगवती, नि:शेषजाड्यापहा।।

बसंत पचंमी कथा

बता दें कि सृष्टि के रचनाकार भगवान ब्रह्मा ने जब संसार बनाया तो पेड़-पौधों और जीव जन्तु सब दिख रहे थे। लेकिन इसके बाद भी ब्रह्म देव को सृष्टि में कुछ कमी महसूस हो रही थी। इस कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने जब ब्रह्म देव ने अपने कमंडल से जल निकालकर छिड़का, तो सुंदर रूप में एक स्त्री प्रकट हुई। उस स्त्री के एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक थी। तीसरे हाथ में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। यह और कोई नहीं मां सरस्वती थीं। 

जब मां सरस्वती ने वीणा बजाया तो संसार की हर एक चीज में स्वर आ गया। इस तरह से उन देवी का नाम सरस्वती पड़ा। यह दिन बसंत पंचमी का था। इसके बाद से देव लोक और मृत्युलोक में मां सरस्वती की पूजा-अर्चना होने लगी।

All the updates here:

अन्य न्यूज़