चौदह अगस्त दो हज़ार सैंतालिस (व्यंग्य)

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Prabhasakshi
संतोष उत्सुक । Aug 14 2025 1:29PM

स्वतंत्रता के सौ सालों में विकासजी ने खूब मेहनत कर यह ज़बर्दस्त बदलाव भी लाया कि अब किसी भी खाने की वस्तु को शाकाहारी या मांसाहारी नहीं कहा जाता था। पीने के लिए पूर्णतया आर्गेनिक सोमरस था जिसे सतयुग में राजा इन्द्र और अन्य देव ग्रहण करते थे।

स्वतंत्रता दिवस की पहली सदी पूरी होने की पूर्व संध्या पर, एक सौ ग्यारह मंज़िल वाले, नाइन स्टार होटल की खुली छत पर देश के सफलतम नेताओं ने एक बैठक की। इस उंचाई पर कोई पर्यावर्णीय परेशानी नहीं थी। दुनिया भर से मंगाए प्रसिद्ध पकवान वहां उपलब्ध रहे। स्वतंत्रता के सौ सालों में विकासजी ने खूब मेहनत कर यह ज़बर्दस्त बदलाव भी लाया कि अब किसी भी खाने की वस्तु को शाकाहारी या मांसाहारी नहीं कहा जाता था। पीने के लिए पूर्णतया आर्गेनिक सोमरस था जिसे सतयुग में राजा इन्द्र और अन्य देव ग्रहण करते थे। बैठक को तनाव रहित एवं मनोरंजक बनाए रखने के लिए कृत्रिम बुद्धि से रची बेहद मिलनसार लुभावनी मेनकाएं व रंभाएं भी थीं । 

यह बैठक वास्तव में एक जशन रहा जो देश से गरीबी के पूर्णतया चले जाने के उपलक्ष्य में था। ‘गरीबी देश छोड़ो’ कार्यक्रम कैसे सफल हुआ इस पर लोक सेवकों ने रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी। लोक सेवकों ने गहरा मंथन कर रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने विस्तार से समझाया कि धुरंधर, बुद्धिमान प्रशासकों और सही नीयत पर आधारित दर्जनों योजनाएं ईमानदारी, कर्मठता से लागू की और गरीबी के सारे बाल बांके कर दिए। ठोस संकल्प लिए, करोड़ों अरबों के विज्ञापन दिए जिससे गरीबी को गहरा फर्क पड़ा। नए विभाग बनाकर, प्रवचक भर्ती कर उन्हें व्यावसायिक ट्रेनिंग दी। उन्होनें बस्तियों में नाच गाकर, गरीबी दूर करने की योजनाओं के लाभ गरीबों की आत्मा में प्रवेश करा किए। शासकों की उत्तम ग्रहदशा, योजनाओं के उत्कृष्ट क्रियान्वन, शानदार पूजा पाठ और कलाकारों के ग़ज़ब प्रदर्शन के कारण सफलता अविलम्ब उगने लगी। इस सन्दर्भ में बढ़िया महंगे वीडियो तैयार किए गए। आकर्षक, विशाल रंगीन विज्ञापन और प्रैस विज्ञप्तियां दी गई जिससे पूरी दुनिया को सफलता बारे पता चला। 

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अनुभवी सामाजिक वकीलों ने मिलकर एक घोषणा पत्र ड्राफ्ट किया, जिसे सिर्फ पढ़ने से ही गरीबों को गरीबी खत्म होने एहसास होने लगा। उस पर सभी गरीबों से, गवाह समेत हस्ताक्षर कराए गए। इस घोषणा पत्र में कुछ ऐसा लिखा गया, ‘पैदा होने से अब तक गंदगी में रहने, गुरबत व ज़िल्लत की ज़िंदगी से निजात दिलाने के लिए मैं सरकार का धन्यवादी हूं कि मेरे लिए सकारात्मक सोचते हुए यह कई दर्जन योजनाएं  बनाई। गलत नक्षत्रों में पैदा होने के बावजूद हमें रोटी कपड़ा और मकान दिया गया, चौबीस घंटे मनोरंजन के सभी प्रबंध किए गए। ऐसी योजनाएं बनाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद‘। 

देश के सभी पूर्व गरीबों से डिजिटली लिए गए घोषणा पत्रों की एक झलक बैठक में जोर शोर से दिखाई गई जिससे यह साबित हो गया कि गरीबी का नामोनिशान मिट चुका है। इस ऐतिहासिक, स्वर्णिम विरली राष्ट्रीय उपलब्धि के अवसर पर, देश के कोने कोने में ग्यारह ग्यारह करोड़ से बनाए जाने वाले ‘पूर्व गरीबी स्मारक’ का निर्माण करने का प्रस्ताव बैठक में लाया गया जिसे तालियों की अमीर गड़गड़ाहट के बीच संपूर्ण अभिमत से स्वीकार कर लिया गया।

- संतोष उत्सुक

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