मानवता के पुजारी बापू (कविता)

mahatma gandhi

अहिंसा के प्रबल समर्थक, शांति के अग्रदूत‌ और‌ भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के विचारों की प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है। दुनिया में समरसता, सद्भाव, अहिंसा और सत्य की बात करने वाले गांधी जी के जन्मदिवस 2 अक्टूबर को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

महात्मा गांधी अहिंसा के समर्थक थे। वे हिंसा और हिंसात्मक गतिविधियों का विरोध करते थे। गांधी जी मानवता के समर्थक थे और सभी धर्मों का सम्मान करते थे। गांधी के अनुसार धर्म का संबंध किसी जाति से नहीं है बल्कि धर्म समाज में व्यवस्था बनाता है तथा रामराज्य की स्थापना करता है।

मानवता के पुजारी को आज नमन हम करते हैं

सत्त्य, अहिंसा के पोषक बापू का स्मरण करते हैं।

विरले होते जग में जो जन आवाज हुआ करते हैं

तम को मिटा सके जो वह परवाज हुआ करते हैं।

सत्य प्रयोगों से बापू के ज्ञान लिया करते हैं

धूल धूसरित रातों में प्रकाश किया करते हैं।

अंग्रेजी ताकत के आगे शस्त्र अहिंसा रख देते हैं

दंडी मार्च सत्त्य आग्रह हुंकार सदा ही भर देते हैं।

काम चोर की पीड़ा का मान कदापि नही करते हैं

कमजोरों की पीड़ा को निज प्रयास से भरते हैं।

मातृभूमि हित करो या मरो का संदेशा देते हैं,

पग में पडते छालों का ध्यान नहीं वे देते हैं।

हरिजन हित के लिए समर्पण निशदिन करते रहते हैं,

जन-जन को वाणी देते है पूर्ण पराक्रम करते हैं।

अहिंसा परमो धर्म निज कर्मों से सिद्ध करते हैं,

बापू बंटवारे की कीमत प्राणों से दे अनंत में रहते हैं।

- साधना मिश्रा विंध्य

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