कागजी शेर, मैदान में हुए ढेर (व्यंग्य)

cricket
Creative Commons licenses

प्रशंसक दो मिनट के लिए चुप बैठता है और फिर कहता है- “तुम्हारी ये सेमी-फाइनल, फाइनल में हारने की आदत न जाने कितने कमजोर दिलवालों की जान लेकर ही छोड़ेगी। एक दिन इस देश में क्रिकेट के प्रशंसकों की मौत का तमाशा तुम इसी तरह हारते हुए देखोगे।

इंग्लैंड के हाथों करारी हार झेलने के बाद एक भारतीय प्रशंसक अत्यंत क्रोधित हो गया। उससे रहा नहीं गया। उसने भारतीय टीम से कहा– “मिल गई तसल्ली तुम्हें मैच हार के। पुराने मैचों में तुम्हारे तीसमार खाँ कारनामों के विश्लेषण करते हुए मीडिया तुम्हारी वाहवाही करेगा। कहेगा चलो कोई बात नहीं बाकी मैच तो अच्छा खेले। खाक अच्छा खेले? बंग्लादेश को हराने में नानी याद आ गयी थी। पाकिस्तान से बड़ी मुश्किल से जीते। दो-तीन लोगों के भरोसे चले थे विश्व कप जीतने! विश्व कप जीतने को दाल-भात का कौर समझे हो कि लप से उठाया और मुँह में डाल लिया। यह विश्व कप है, विश्व कप! गुजरात ल़ॉयन या मुंबई इंडियंस में शेर दिखने वाले विश्व कप में आते-आते टांय-टांय फिस हो जाते हैं। तुम्हारा क्या है मोटी फीस मिलेगी, विज्ञापनों पर विज्ञापन करोगे और यह सब भूल जाओगे। जो होगा सो हमारा होगा। सारे काम धंधे छोड़कर, छुट्टी लगाकर, तु्म्हारे बताए ड्रीम एलेवन में सट्टा खेलकर खुद को बर्बाद किया है। देखो किस तरह से हमारा कलेजा बाहर आ गया है। तुम लोगों को लगता होगा कि यह तो इन लोगों का रोज का राजकाज है, इसलिए हमें अनदेखा कर फिर से विज्ञापन चाटने चले जाओगे। हमारे बारे में थोड़ा बहुत सोचोगे। खाना खाओगे। सो जाओगे।”

प्रशंसक दो मिनट के लिए चुप बैठता है और फिर कहता है- “तुम्हारी ये सेमी-फाइनल, फाइनल में हारने की आदत न जाने कितने कमजोर दिलवालों की जान लेकर ही छोड़ेगी। एक दिन इस देश में क्रिकेट के प्रशंसकों की मौत का तमाशा तुम इसी तरह हारते हुए देखोगे। कुछ नहीं कहना मुझे तुम्हे। कुछ नहीं। तुम्हारी खेल में कोई फर्क पड़ने वाला नहीं। आईपीएल खेलने और विज्ञापन करने की आदत पड़ी है तुमको। खेल से ज्यादा स्वयं के स्वार्थ साधने की आदत पड़ी है। पहले एशिया कप हारे। फिर न्यूजीलैंड के साथ टेस्ट चैंपियनशिप। और अब विश्वकप की करारी हार| तुम्हारे बदन में खून नहीं विज्ञापन दौड़ता है। विज्ञापन में उड़-उड़कर कैच लपकते हो और असली वाले में लड्डू जैसे कैच भी टपका देते हो। ये आईपीएल के फ्रेंचाइजी पैसे के नाम पर ये तुम्हे ललचाते हैं। तुम आईपीएल को ही देश समझ बैठे हो। समझो। समझो। दूसरे देश भी देखते होंगे तो तुम्हें देखकर उनकी हँसी छूट जाती होगी। आईपीएल में छक्कों की बरसाते करते हैं और विश्व कप में छोटी टीमों के आगे भी चारों खाने चित्त होते हैं। मैदान पर उतरो तो सट्टेबाज दिखते हो सट्टेबाज। खेलो हमारी चाहत और शिद्दत का सट्टा। हमें बेवकूफ और पागल बनाने का कांट्रेक्ट जो लिया है। मजाक बनाओ। बनाओ। खेले और हारे। खेल खत्म। क्यों खेले मालूम नहीं ? क्यों हारे मालूम नहीं ?”

इसे भी पढ़ें: गुरु ठनठनलाल हुए अपडेट (व्यंग्य)

प्रशंसक जोर-जोर से हँसता है और बोलता है – “वह फलानी विदेशी मीडिया ठीक कहती थी कि ये लोग सिर्फ अपनी जमीन पर या आईपीएल में ही तीसमार खान बनेंगे। आईपीएल के जोर पर विश्व चैंपियन बनना चाहते थे। कौन समझा उनकी बात को? सब अपने विज्ञापनों पर लगे हैं। पैसे खाने वाले मौकापरस्त हैं। जिन्दा रहने के नाम पर सिर्फ सांसे लेते हैं। किसे जगाती वो ? हम जाग गए। सब कुछ सच-सच बोल रहा हैं। सुकून है। लेकिन ध्यान रखना तुम्हारी ये कागजी खेल कल तुम्हारे बच्चो के लिए रोना बन जाएगी। तब तुम सिर्फ हाथ मलकर रह जाओगे।

इसके तुरंत बाद थोड़ी ख़ामोशी छा जाती है, फिर बोलना शुरू करते है– “ये पिस्सू जैसे देश जो खाने-पीने के लिए भी हमारा मुल्क पर निर्भर रहते हैं, वे चले हैं देश का भला करने। आने वाले कल में शायद अपने आप को दुनिया के नक़्शे पर देख नहीं पायेगा। एक बात भूल रहा है। उनके प्लेयर्स को जो मोटी रकम मिली है न उसका आटा भी विदेशी चक्की से पीस के आता है। साले अपने खुद के देश में सुई नहीं बना सकते और हमारे देश को तोड़ने का सपना देखते है। वो ये सपना देख सकते है क्यों कि उन्हें मालूम है ये लोग सिर्फ छोटे मैचों में अच्छा खेलते हैं। वतन से ज्यादा बड़े-बड़े उद्योगपतियों की चिंता है। उनके लिए किसी को कोई हमदर्दी नहीं है। इन्हें हराना बिलकुल आसान है। मै फलाना, मैं ढिमका यही कहते रह जाओगे। जबकि दूसरा आकर तुम्हारी हालत खराब कर देगा।”

- डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’

(हिंदी अकादमी, मुंबई से सम्मानित नवयुवा व्यंग्यकार)

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़