भारतीय सेना (कविता)

सैनिकों के शौर्य को कवि प्रवीण त्रिपाठी ने ''भारतीय सेना'' कविता में बहुत अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया है। कवि ने इस कविता में एक सैनिक के क्या कर्तव्य है उसका भी काफी सुंदर तरीके से वर्णन किया है। कवि ने बताया कि एक सैनिक के लिए देश सर्वोपरि है।
कवि प्रवीण त्रिपाठी ने कविता 'भारतीय सेना' में सेना के सैनिकों की शौर्य और शत्रु पर विजय कैसे प्राप्त की जाती है इसका बहुत सुंदर वर्णन किया है। कवि ने बताया कि सैनिक के लिए राष्ट्र सर्वोपरि है और देश के खातिर वह अपनी जान भी दांव पर लगा देते हैं।
सेना का कर्तव्य, शत्रु को धूल चटाना।
जीत बने मंतव्य, देश की शान बढ़ाना।।1
नव उपाय नित खोज, अगर हो धूल चटाना।
हो तैयारी रोज, चाहते शत्रु हराना।।2
सजग रहें दिन रात, पलक तक मत झपकाना।
सैनिक यह की बात, समझता नहीं जमाना।।3
जीते हर संग्राम, राष्ट्र पर आँच न आना।
बैरी का हर दाँव, हमेशा विफ़ल कराना।।4
फौजी का यह ध्येय, जीत का ध्वज फहराना।
पूरा करने हेतु, शीश खुद का कटवाना।।5
सर्वोपरि है राष्ट्र, मात्र यह शपथ उठाना।
दे कर निज बलिदान, कसम पूरी कर जाना।6
गर्म सर्द हो रात, न आता है घबराना।
सीखी बस यह बात, विपद सम्मुख डट जाना।7
आये कभी विपत्ति, सदा ढाढ़स बँधवाना।
बन फौलादी ढाल, मुसीबत से टकराना।।8
भले युद्ध या शांति, सदा बढ़ आगे आना।
मानवता का साथ, हमेशा देते जाना।।9
झंडे का सम्मान, करें सबसे करवाना।
जनगण मन का गान, हृदय से मिलकर गाना।10
प्रवीण त्रिपाठी
