अनुशासन के कारण (व्यंग्य)

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एक दूसरे से प्रेरणा लेने के माध्यम से छोटी दुकानों ने बड़ी दुकानों से बहुत सीखा। शहर में एक नामी ढाबे ने, छोटी से बड़ी कुर्सी की मालिश करवाकर भूख व प्यास मिटा दी तो मेहनत का फ़ल मिलना ही था। सरकारी परिसर पर धीरे धीरे स्वादिष्ट कुर्सियां रख दी जिन पर बैठकर खाना सभी को बहुत पसंद आया...

लोकतान्त्रिक तरीके से चुनी हुई शहर की अनुशासित म्युनिसिपल कमेटी, माननीय हाईकोर्ट का हुक्म जारी हो जाने के बाद ही हरकत में आ सकती है। अपनी प्रशासकीय ज़िम्मेदारी को नैतिक कर्तव्य मानते हुए, क़ानून सख्ती से लागू करती है। इसी नियम लागू करो अभियान के अंतर्गत, कई साल बाद, त्योहारों के दौरान बाजारों से अनाधिकृत कब्ज़े नई सख्ती अपनाकर हटाए जा रहे हैं ताकि सामान्य ग्राहकों को बिल्कुल परेशानी न हो। ग्राहकों को फायदा हो रहा है लेकिन दुकानदारों को सामान पुन दुकान के अन्दर रख लेने से बहुत दिक्कत हो रही है। इस बीच समझदार सरकारी निरीक्षकों ने इस मामले में पारम्परिक सफल समन्वय बनाया हुआ है। वैसे त्योहारों के दिनों में कब्ज़े हटवाना घाटे का सौदा होता है, पत्नी और बच्चों के लिए मिलने वाले उपहारों का इंडेक्स धड़ाम हो जाता है। कुछ प्रतिबद्ध पत्रकार, अभी भी इस मामले को प्रमुखता से उठा रहे हैं। वे रोजाना चित्र छाप रहे हैं कि फलां मार्किट में कमेटी के कर्मठ कर्मचारियों ने व्यापारियों के विरोध के बावजूद प्रशासन का प्रशासनिक डंडा घुमाया और कब्ज़ा हटा दिया, लेकिन उनके जाते ही रास्तों में सामान फिर सज गया। यह भी व्यवहारिक सच है कि कर्मचारियों का बार बार मार्किट आना मुश्किल होता है। 

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एक दूसरे से प्रेरणा लेने के माध्यम से छोटी दुकानों ने बड़ी दुकानों से बहुत सीखा। शहर में एक नामी ढाबे ने, छोटी से बड़ी कुर्सी की मालिश करवाकर भूख व प्यास मिटा दी तो मेहनत का फ़ल मिलना ही था। सरकारी परिसर पर धीरे धीरे स्वादिष्ट कुर्सियां रख दी जिन पर बैठकर खाना सभी को बहुत पसंद आया। दोस्त नेताजी ने दोस्ती का धर्म निभाते हुए पूरा साथ दिया। निजी धर्म का भी भरपूर आशीर्वाद मिला। बढ़िया कुर्सियों पर रोज़ बढ़िया लोग आकर विराजते और खाने की रौनक बढाते। शहर में आने वाले प्रसिद्ध गायक, नेता व अभिनेता को स्वाद खिलाते, उनके साथ फोटो खिंचवाकर, फ्रेम करवा ढाबे में लटकाते। गांधी जयंती के कुछ दिन बाद उसी युवा पत्रकार ने सत्य का प्रयोग करते हुए, ढाबे और सरकारी फुटपाथ, बरामदा, पार्किंग में लगी सुंदर कुर्सियों और मेज़ की बढ़िया रंगीन फोटो छापी और सरकारी प्रयासों की ‘तारीफ़’ की। ढाबे के मालिक ने खबर पढ़ते ही, अपने इष्ट की पूजा कर, जगह खाली कर, कुछ देर के लिए लौटा ही दी। 

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अपने मित्र कर्मचारियों को व्यक्तिगत रूप से, ताज़ा विदेशी चिकन आने की खबर देते हुए कहा कि सरकारी रिकार्ड के लिए फोटो खींच लें। निरीक्षक दल बल सहित आए, कितने ही कोनो और कोणों से फ़ोटोज़ खींचे, जल्दी से एक बढ़िया रिपोर्ट बनाकर अपने सीनियर अधिकारी व पत्रकार को व्हाट्सप्प कर दी। रिपोर्ट के अनुसार व्यवसायी शहर के प्रसिद्ध, इज्ज़तदार आदमी हैं, उनके मशहूर ढाबे द्वारा, सरकारी फुटपाथ, बरामदा या पार्किंग पर, किसी भी किस्म का कब्ज़ा नहीं पाया गया।

संतोष उत्सुक

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