कुत्तों के दिन आ गए (व्यंग्य)

dogs
Image Source: X Grok

आवारा कुत्तों को हमेशा महत्त्व दिया जाता रहा। शराबी कुछ करे तो कह दिया जाता है, छोड़ो यार इसने शराब पी रखी है। बिगड़े हुओं को सीधा नहीं कर सकते इसलिए उनकी तरफ से खुद को माफ़ कर लिया जाता है। काम न कर सकने वालों से काम नहीं कराया जाता।

सबके दिन आते हैं। आजकल कुत्तों के दिन हैं, रातें तो पहले से उनकी थी। इंसान को बीसियों साल में न्याय नहीं मिल पाता, पिछले दिनों उन्हें कुछ दिन में ही मिल गया। फैसले से कुत्ते खुश हों या न हों लेकिन जानवरों से प्यार दिखाने और जताने वाले, कुछ खुश भी हैं और कुछ नहीं भी। इंसान ने कुत्तों को अपने जैसा बनाने की काफी कोशिश की। उनसे जहां नहीं करवाना चाहिए था, खूब पेशाब करवाया। अपने पालतुओं का सड़क किनारे ही नहीं, शहर में कहीं भी मल गिरवाया। विदेशी नस्ल के कुत्तों को भी अपने स्वदेशी अंधे प्यार के माहौल में रंग दिया।

आवारा कुत्तों को हमेशा महत्त्व दिया जाता रहा। शराबी कुछ करे तो कह दिया जाता है, छोड़ो यार इसने शराब पी रखी है। बिगड़े हुओं को सीधा नहीं कर सकते इसलिए उनकी तरफ से खुद को माफ़ कर लिया जाता है। काम न कर सकने वालों से काम नहीं कराया जाता। खैर, कुत्तों की पूछ बढ़ रही है। गणमान्य व्यक्ति उन्हें पुचकार रहे हैं मानों उनसे भी वोट मिलनी हो। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जाने जाने वाले, नित्यदिन स्मार्ट होते जा रहे, बंदरों के उत्पात के लिए प्रसिद्ध जगह पर हर माह डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों को काट रहे कुत्तों के दिन आ गए हैं। उनकी खुराफातों को नया अंदाज़ दिया जा रहा है ।

इसे भी पढ़ें: प्रेम का लाइसेंस– एक राष्ट्रीय योजना (व्यंग्य)

वहां जा रहे पर्यटकों को भी इससे सुविधा होने वाली है। बताया जा रहा है सभी लावारिस कुत्ते आक्रामक नहीं होते। वैसे, उनमें से कुछ ऐसे हैं जो इंसानों को नियमित काट रहे हैं। अब लावारिस कुत्तों को कॉलर सिस्टम में बांधा जा रहा है। जिस कुत्ते को काटने का खासा अनुभव है, उसके गले में लाल रंग का कॉलर रहेगा। दूर से देखकर पता चल जाएगा कि वह दौड़कर, हमला कर काट सकता है। जो पर्यटक सावधान रहना चाहें, कोशिश कर सकते हैं और जो कटवाने का मज़ा लेना चाहते हैं कटवा सकते हैं। कटवाने से यह गर्वीला अनुभव ज़रूर रहेगा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध स्मार्ट शहर में, दौड़कर हमलाकर काटने वाले कुत्ते ने काटा। आम कुत्ते और संहारक कुत्ते के काटने में फर्क माना ही जाना चाहिए ।

काटने के कम अनुभव या कभी न काट सकने वाले यानी आक्रामकता के स्तर के हिसाब से आवारा कुत्तों के गले में हरे नीले, पीले और गुलाबी कॉलर पहनाए जाने की सार्वजनिक योजना तैयार है। कॉलर में क्यूआर कोड वाले स्मार्ट टैग भी होंगे, जिनमें कुत्ते की उम्र, स्वास्थ्य, नसबंदी और एंटी रेबीज़ का विवरण भी रहेगा। कुछ भी हो जी, इतने विवरण वाले कुत्ते से कटवाना निश्चय ही यादगार रहेगा। आशा तो है कि कॉलर डालने का काम पूरी वफादारी से किया जाएगा। कुत्ता आज भी वफादारी की मिसाल है इसलिए उससे सम्बंधित काम में वफादारी रहनी चाहिए। प्यार, प्रेम, मुहब्बत में वफादारी बड़ी बात होती है।

मनमानी के लिए प्रसिद्ध कुछ कुत्ता प्रेमी, स्वतंत्रता प्रेमी भी होते हैं इसलिए यह भी लगता है कि वे आवारा कुत्तों को कहीं भी खिलाना जारी रखेंगे। ईमानदार कर्मचारियों द्वारा आवारा कुत्तों की गणना, वैक्सीनेशन, काट खाए गए भाग्यशालियों बारे नए दावे भौंके जाएंगे। कुत्तों और उनकी गुस्ताखियों के अंदाज़ बदलने वाले हैं। असली बात यह है कि कुत्तों के दिन आ गए हैं। 

- संतोष उत्सुक

All the updates here:

अन्य न्यूज़