World Book Fair: पुस्तकों के प्रति रूचि बढ़ाता विश्व पुस्तक मेला

World Book Fair
ANI

विश्व पुस्तक मेला पुस्तकों और साहित्य का सबसे बड़ा उत्सव है, जिसका इंतजार केवल राजधानी दिल्ली के ही नहीं बल्कि देशभर के साहित्यकार और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोग करते हैं। इसमें न केवल भारत के बल्कि दुनियाभर के प्रकाशक, लेखक और पाठक हिस्सा लेते हैं।

नई दिल्ली में प्रतिवर्ष नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) द्वारा एक विशेष थीम के साथ एशिया के सबसे बड़े विश्व पुस्तक मेले का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष 10 से 18 फरवरी के बीच ‘बहुभाषी भारत: एक जीवंत परम्परा’ थीम के साथ पुस्तक प्रेमियों के लिए दिल्ली के प्रगति मैदान में कुल 9 दिनों तक 51वें विश्व पुस्तक मेले का आयोजन हो रहा है, जिसके माध्यम से भारत की सांस्कृतिक समृद्धि और भाषाई विविधता को परिलक्षित किया जा रहा है। पुस्तक मेले में बच्चों की भाषा सीखने के कौशल को बढ़ावा देने के लिए भी विभिन्न भाषाओं में कई तरह की पुस्तकें शामिल की गई हैं। विश्व पुस्तक मेले का अतिथि देश इस बार सऊदी अरब है। इसके अलावा यूके, फ्रांस, स्पेन, तुकिये, इटली, रूस, ताइवान, ईरान, यूएई, ऑस्ट्रिया, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल सहित कई अन्य देश भी पुस्तक मेले में हिस्सा ले रहे हैं। पुस्तक मेले में हिन्दी, अंग्रेजी सहित कुल 22 भारतीय भाषाओं के अलावा कई विदेशी भाषाओं के साहित्य का भी प्रदर्शन किया जा रहा है। मेले में सऊदी अरब सहित अन्य विदेशी साहित्य को अलग से स्थान दिया गया है। एनबीटी के मुताबिक ‘नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला’ (एनडीडब्ल्यूबीएफ) प्रकाशन जगत का एक प्रमुख कैलेंडर कार्यक्रम है, जो पिछले 50 वर्षों से आयोजित किया जा रहा है और इस वर्ष एनडीडब्ल्यूबीएफ के 51 साल पूरे होने का जश्न मनाया जा रहा है। पिछले साल नई दिल्ली में भव्य विश्व पुस्तक मेला नई दिल्ली में 25 फरवरी से 5 मार्च तक कुल 9 दिन तक आयोजित किया गया था।

विश्व पुस्तक मेला पुस्तकों और साहित्य का सबसे बड़ा उत्सव है, जिसका इंतजार केवल राजधानी दिल्ली के ही नहीं बल्कि देशभर के साहित्यकार और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोग करते हैं। इसमें न केवल भारत के बल्कि दुनियाभर के प्रकाशक, लेखक और पाठक हिस्सा लेते हैं। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा पहली बार 1972 में 18 मार्च से 4 अप्रैल तक ‘विश्व पुस्तक मेला’ दिल्ली के जनपथ रोड पर विंडसर प्लेस में आयोजित किया गया था, जिसमें दो सौ प्रकाशकों ने भाग लिया था और उसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी ने किया था। शुरुआत में पुस्तक मेले में 4-5 देश ही शामिल होते थे, जिनकी संख्या बढ़कर अब 30 से भी ज्यादा हो गई है। 1972 से 2012 तक पुस्तक मेले का आयोजन बाइनियल ईयर (सम संख्या का वर्ष) में किया जाता था, उसके बाद से इसका आयोजन प्रतिवर्ष होता है। विश्व पुस्तक मेले का इस साल 51 वर्षों का सफर पूरा हो रहा है।

इसे भी पढ़ें: Kashmir में पुस्तक विक्रेता ने Books के प्रति युवाओं को आकर्षित करने के लिए निकाला नायाब तरीका

देश में बच्चों के ऐसे भविष्य की परिकल्पना करते हुए, जहां बच्चे पुस्तकें पढ़ने तथा पुस्तक खरीदने के माहौल में बड़े हों और पुस्तक-पठन संस्कृति को फैलाने के उद्देश्य से 1 अगस्त 1957 को शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की स्थापना की गई थी। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास समाज के सभी आयु वर्ग के लिए सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं में पुस्तकों के प्रचार और प्रकाशन में सक्रिय रहा है। हालांकि आधुनिकता के दौर में बच्चों के साथ-साथ बड़ों का लगाव भी पुस्तकों के प्रति कम हो गया है किन्तु बुद्धिजीवियों का स्पष्ट मानना है कि हर समय यह संभव नहीं कि पुस्तकों के स्थान पर मोबाइल या लैपटॉप आदि से पढ़ा जाए। पुस्तकों की महत्ता और इनसे अर्जित ज्ञान के संबंध में सदैव कहा जाता रहा है कि ज्ञान कभी बेकार नहीं होता और पुस्तकें विभिन्न संस्कृतियों, पहचानों और भाषाओं के माध्यम से अपनी विशिष्टताओं को प्रकट करते हुए एक कहानी और एक सामान्य विरासत के आसपास लोगों को एक साथ लाती हैं। साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेता अमेरिकन उपन्यासकार तथा कहानीकार अर्नेष्ट हेमिंग्वे ने कहा था कि एक पुस्तक से ईमानदार मित्र कोई नहीं होता। आज के युग में समयाभाव का रोना रोते हुए हम भले ही त्वरित जानकारियों के लिए सोशल मीडिया या अन्य संचार स्रोतों पर आश्रित हो जाएं लेकिन सत्य यही है कि ज्ञान, मनोरंजन और अनुभव की बातें कहती पुस्तकों की महत्ता कभी कम नहीं हो सकती और न ही कभी पुस्तकों का अस्तित्व मिट सकता है।

बहरहाल, पुस्तक मेले के माध्यम से बच्चों के अलावा मेले में मौजूद अन्य लोगों को भी पुस्तकों के सकारात्मक प्रभाव से जोड़ने की पहल सराहनीय है। विश्व पुस्तक मेले के आयोजन में इस बार बच्चों को विशेष रूप से केन्द्र में रखा गया है ताकि उनका जुड़ाव अच्छी पुस्तकों से ज्यादा से ज्यादा हो और वे अपने जीवन में मित्र के रूप में पुस्तक पढ़ने को स्वीकारें। कुल मिलाकर देखा जाए तो पुस्तकें हर समय साथ निभाती हैं और वास्तविक संतुष्टि पुस्तकें पढ़ने से ही मिलती है। अच्छी पुस्तकें बच्चों और युवा पीढ़ी को ज्ञानवान, संस्कारित और चरित्रवान बनाने में तो बहुत बड़ी भूमिका निभाती हैं। इस बात में कोई दो राय नहीं कि जिन लोगों की दिलचस्पी पुस्तकों में होती है, वे पुस्तक पढ़े बिना संतुष्ट नहीं होते, फिर भले ही उस पुस्तक में वर्णित बातें विभिन्न संचार माध्यमों से वे पहले ही जान चुके हों। ऐसे में लोगों की पुस्तकों के प्रति रूचि बनाए रखने में विश्व पुस्तक मेला जैसे आयोजन सार्थक भूमिका रहे हैं।

योगेश कुमार गोयल

(लेखक 34 वर्षों से पत्रकारिता में निरन्तर सक्रिय वरिष्ठ पत्रकार और ‘प्रदूषण मुक्त सांसें’, ‘जीव जंतुओं का अनोखा संसार’, ‘तीखे तेवर’ इत्यादि कई चर्चित पुस्तकों के रचनाकार हैं)

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़