कुरान की 26 आयत, विवाद, 1985 की प्रतिबंध वाली याचिका और इतिहास, पूरे मामले को जानें

Quran
अभिनय आकाश । Mar 22 2021 4:51PM

एडवोकेट चांदमल और शीतल सिंह ने कुरान पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया था। 29 मार्च 1985 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत एक आवेदन दायर किया गया था और कोर्ट से सरकार को पाक पुस्तर की प्रत्येक प्रति को जब्त करने का निर्देश देने की अपील की गई थी।

कुरान की 26 आयतों पर सवाल वसीम रिजवी उठा रहे हैं। वो ये कह रहे हैं कि ये जो 26 आयतें हैं उनसे कट्टरपंथ को बढ़ावा मिलता है। सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर उन्होंने एक याचिका भी दाखिल की है। क्या है वसीम रिजवी के पीआईएल में जिससे पाक कुरान पर कानूनी जंग छिड़ गई है। आखिर क्यों कुरान की आयतों पर सवाल उठा रहे हैं वसीम रिजवी? आखिर क्यों वसीम रिजवी को लगता है कि ये आयतें कट्टरपंथ को बढ़ावा देने वाली हैं? बयान के बाद वो धर्मगुरुओं के निशाने पर आ गए। 

1985 में दायर हुई थी याचिका 

एडवोकेट चांदमल और शीतल सिंह ने कुरान पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया था। 29 मार्च 1985 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत एक आवेदन दायर किया गया था और कोर्ट से सरकार को पाक पुस्तर की प्रत्येक प्रति को जब्त करने का निर्देश देने की अपील की गई थी। उस वक्त न्यायमूर्ति खस्तगीर जेके ने इस याचिका पर विचार करते हुए दूसरे पक्षों को नोटिस भी जारी किया था। उस वक्त की कम्युनिस्ट शासित राज्य बंगाल ने याचिका पर कड़ा रूख दिकाते हुए हलफनामे में कहा था कि अदालत के पास कुरान पर फैसला सुनाने का कोई अधिकार नहीं है। दुनिया भर के मुसलमानों के पवित्र ग्रंथ प्रत्येक शब्द इस्लामी मान्यता के अनुसार अटल हैं। बढ़ते राजनीतिक दवाब के बाद मामला विभिन्न खंडपीठों को स्थानांतरित होता रहा और आखिरकार 17 मई 1985 को याचिका खारिज कर दी गई। 

इसे भी पढ़ें: कुरान पर उंगली उठाने वाले वसीम रिजवी के खिलाफ बढ़ा विरोध, मुस्लिम संगठनों ने उठाये सवाल

ये 1986 की बात है दिल्ली के मैट्रोपोलिटिन मजिस्ट्रेट जेड़एस लोहाट ने एक जजमेंट पास किया था। जिसका जिक्र सीताराम गोयल की पुस्तक कलकत्ता कुरान पेटीशन में मिलता है। इंद्रसेन और राजकुमार नामक व्यक्ति ने कुरान की कुछ आयतों को लेकर एक पोस्टर बनाया था और उसमें लिखा था कि ये 24 आयतें हटाई जानी चाहिए क्योंकि ये पूरी तरह से हिंसा फैलाती हैं। इस वजह से उनके खिलाफ इंडियन पीनल कोड की धारा 295ए और 153ए के अंतर्गत मामला दर्ज हो गया। 

जिसके ऊपर फैसला सुनाते हुए जज लोहाट ने जो कहा वो गौर से सुनने लायक है। उन्होंने कहा कि मैंने सभी आयतों को कुरान मजीद से मिलान किया और पाया कि सभी अधिकाशंत: आयतें वैसे ही उधृत की गई हैं जैसी कि कुरान में हैं। लेखकों को सुझाव मात्र है कि यदि ऐसी आयतें न हटाई गईं तो सांप्रदायिक दंगे रोकना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि कुरान मजीद की पवित्र पुस्तक के प्रति आदर रखते हुए इन आयतों के सूक्ष्म अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि ये आयतें बहुत हानिकारक हैं और घृणा की शिक्षा देती हैं। जिनसे एक तरफ मुसलमानों और दूसरी ओर देश के शेष समुदायों के बीच मतभेदों की पैदा होने की संभावना है। इसके साथ ही उन्होंने दोनों व्यक्ति को बरी करते हुए मामले को खारिज कर दिया। 

सबसे पहले आपको उन 26 आयतों के बारे में बताते हैं जिसे वसीम रिजवी द्वारा विवादित कहे जा रहे हैं और उसे हटाए जाने की मांग को लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल हुई है। जिसका हिंदी अनुवाद Quraninhindi.com में मिल जाएगा। 

चैप्टर 9, सूरा-5 

फिर जब हराम महीना बीत जाए तो मुशरिकों को जहां कहीं पाओ कत्ल करो, उन्हें पकड़ो और उन्हें घेरो और हर घात की जगह उनकी ताक में बैठो। फिर यदि वे तौबा कर लें और नमाज कायम करें और जकात दें तो उनका मार्ग छोड़ दो, निश्त्य ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है। 

चैप्टर 9, सूरा 28 

हे ईमान लाने वालों मुश्रिक (मूर्तिपूजक) नापाक है। अत: इस वर्ष के पश्चात वे मस्जिदे-हराम के पास न आएं। 

चैप्टर 4, सूरा 101 

जब तुम धरती में यात्रा करो, तो इसमें तुम पर कोई गुनाह नहीं कि नमाज को कुछ संक्षिप्त कर दो। यदि तुम्हें इस बात का भय हो कि विधर्मी लोग तुम्हें सताएंगे और कष्ट पहुंचाएंगे। निश्चय ही विधर्मी लोग तुम्हारे खुले शत्रु हैं। 

चैप्टर 9, सूरा 123 

हे ईमान लाने वालों (मुसलमानों) उन काफिरों से लड़ो जो तुमहारे आस पास हैं और चाहिए ये कि वे तुमसे सख्ती पाएं। 

चैप्टर 4, सूरा 56 

जिन लोगों ने हमारी आयतों का इनकार किया, उन्हें हम जल्द ही आग में झोकेंगे। जब भी उनकी खालें पक जाएंगी, तो हम उन्हें दूसरी खालों में बदल दिया करेंगे, ताकि वे यातना का मजा चखते ही रहे। 

इसे भी पढ़ें: वसीम रिजवी पड़े अलग-थलग, चर्चा में बने रहने के लिए पहले भी लेते रहे हैं मुस्लिम विरोध का सहारा

चैप्टर 9, सूरा 23 

ऐ ईमान लाने वालो, अपने बाप और अपने भाईयों को अपने मित्र न बनाओ। यदि ईमान के मुकाबले में कुफ्र उन्हें प्रिय हो। 

चैप्टर 9, सूरा 37 

आदर के महीनों का) हटाना तो बस कुफ़्र में एक वृद्धि है, जिससे इनकार करनेवाले गुमराही में पड़ते हैं। किसी वर्ष वे उसे हलाल (वैध) ठहरा लेते हैं और किसी वर्ष उसको हराम ठहरा लेते हैं, ताकि अल्लाह के आदृत (महीनों) की संख्या पूरी कर लें, और इस प्रकार अल्लाह के हराम किए हुए को वैध ठहरा लें। उनके अपने बुरे कर्म उनके लिए सुहाने हो गए हैं और अल्लाह इनकार करनेवाले लोगों को सीधा मार्ग नहीं दिखाता। 

चैप्टर 5, सूरा 57 

ऐ ईमान लानेवालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ। और अल्लाह का डर रखो यदि तुम ईमानवाले हो। 

चैप्टर 33, सूरा 61 

फिटकारे (मुनाफिक) हुए होंगे। जहाँ कहीं पाए गए पकड़े जाएँगे और बुरी तरह जान से मारे जाएँगे। 

चैप्टर 21, सूरा 98 

निश्चय ही तुम और वह कुछ जिनको तुम अल्लाह को छोड़कर पूजते हो सब जहन्नम के ईधन हो। तुम उसके घाट उतरोगे। 

चैप्टर 32, सूरा 22 

और उस व्यक्ति से बढ़कर अत्याचारी कौन होगा जिसे उसके रब की आयतों के द्वारा याद दिलाया जाए,फिर वह उनसे मुँह फेर ले? निश्चय ही हम अपराधियों से बदला लेकर रहेंगे। 

चैप्टर 48, सूरा 20 

अल्लाह ने तुमसे बहुत-सी गनीमतों का वादा किया है, जिन्हें तुम प्राप्त करोगे। यह विजय तो उसने तुम्हें तात्कालिक रूप से निश्चित कर दी। और लोगों के हाथ तुमसे रोक दिए (कि वे तुमपर आक्रमण करने का साहस न कर सकें) और ताकि ईमानवालों के लिए एक निशानी हो। और वह सीधे मार्ग की ओर तुम्हारा मार्गदर्शन करे। 

चैप्टर 8, सूरा 69 

अतः जो कुछ ग़नीमत का माल तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर खाओ और अल्लाह का डर रखो। निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है। 

चैप्टर 66, सूरा 9 

ऐ नबी! इनकार करनेवालों और कपटाचारियों से जिहाद करो और उनके साथ सख़्ती से पेश आओ। उनका ठिकाना जहन्नम है और वह अन्ततः पहुँचने की बहुत बुरी जगह है। 

इसे भी पढ़ें: कुरान की 26 आयतें हटाने के लिए SC में याचिका, मुस्लिम धर्मगुरुओं में आक्रोश

चैप्टर 41, सूरा 27 

अतः हम अवश्य ही उन लोगों को, जिन्होंने इनकार किया, कठोर यातना का मज़ा चखाएँगे, और हम अवश्य उन्हें उसका बदला देंगे जो निकृष्टतम कर्म वे करते रहे हैं। 

चैप्टर 41, सूरा 28 

वह है अल्लाह के शत्रुओं का बदला - आग। उसी में उनका सदा का घर है, उसके बदले में जो वे हमारी आयतों का इनकार करते रहे। 

चैप्टर 9, सूरा 111 

निस्संदेह अल्लाह ने ईमानवालों से उनके प्राण और उनके माल इसके बदले में ख़रीद लिए हैं कि उनके लिए जन्नत है। वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते हैं, तो वे मारते भी हैं और मारे भी जाते हैं। यह उसके ज़िम्मे तौरात, इनजील और क़ुरआन में (किया गया) एक पक्का वादा है। और अल्लाह से बढ़कर अपने वादे को पूरा करनेवाला हो भी कौन सकता है? अतः अपने उस सौदे पर खु़शियाँ मनाओ, जो सौदा तुमने उससे किया है। और यही सबसे बड़ी सफलता है। 

चैप्टर 9, सूरा 58 

और उनमें से कुछ लोग सदक़ों के विषय में तुम पर चोटें करते हैं। किन्तु यदि उन्हें उसमें से दे दिया जाए तो प्रसन्न हो जाएँ और यदि उन्हें उसमें से न दिया गया तो क्या देखोगे कि वे क्रोधित होने लगते हैं। 

चैप्टर 8, सूरा 65 

ऐ नबी! मोमिनों को जिहाद पर उभारो। यदि तुम्हारे बीस आदमी जमे होंगे, तो वे दो सौ पर प्रभावी होंगे और यदि तुममें से ऐसे सौ होंगे तो वे इनकार करनेवालों में से एक हज़ार पर प्रभावी होंगे, क्योंकि वे नासमझ लोग हैं। 

चैप्टर 5, सूरा 51 

"ऐ ईमान लानेवालो! तुम यहूदियों और ईसाइयों को अपना मित्र (राज़दार) न बनाओ। वे (तुम्हारे विरुद्ध) परस्पर एक-दूसरे के मित्र हैं। तुममें से जो कोई उनको अपना मित्र बनाएगा, वह उन्हीं लोगों में से होगा। निस्संदेह अल्लाह अत्याचारियों को मार्ग नहीं दिखाता। 

चैप्टर 9, सूरा 29 

वे किताबवाले जो न अल्लाह पर ईमान रखते हैं और न अन्तिम दिन पर और न अल्लाह और उसके रसूल के हराम ठहराए हुए को हराम ठहराते हैं और न सत्यधर्म का अनुपालन करते हैं, उनसे लड़ो, यहाँ तक कि वे सत्ता से विलग होकर और छोटे (अधीनस्थ) बनकर जिज़्या देने लगें। 

चैप्टर 5, सूरा 14 

और हमने उन लोगों से भी दृढ़ वचन लिया था, जिन्होंने कहा था कि हम नसारा (ईसाई) हैं, किन्तु जो कुछ उन्हें जिसके द्वारा याद कराया गया था उसका एक बड़ा भाग भुला बैठे। फिर हमने उनके बीच क़ियामत तक के लिए शत्रुता और द्वेष की आग भड़का दी, और अल्लाह जल्द उन्हें बता देगा, जो कुछ वे बनाते रहे थे। 

चैप्टर 4, सूरा 89 

वे तो चाहते हैं कि जिस प्रकार वे स्वयं अधर्मी हैं, उसी प्रकार तुम भी अधर्मी बनकर उन जैसे हो जाओ; तो तुम उनमें से अपने मित्र न बनाओ, जब तक कि वे अल्लाह के मार्ग में घर-बार न छोड़ें। फिर यदि वे इससे पीठ फेरें तो उन्हें पकड़ो, और उन्हें क़त्ल करो जहाँ कहीं भी उन्हें पाओ - तो उनमें से किसी को न अपना मित्र बनाना और न सहायक। 

चैप्टर 9, सूरा 14 

और हमने उन लोगों से भी दृढ़ वचन लिया था, जिन्होंने कहा था कि हम नसारा (ईसाई) हैं, किन्तु जो कुछ उन्हें जिसके द्वारा याद कराया गया था उसका एक बड़ा भाग भुला बैठे। फिर हमने उनके बीच क़ियामत तक के लिए शत्रुता और द्वेष की आग भड़का दी, और अल्लाह जल्द उन्हें बता देगा, जो कुछ वे बनाते रहे थे। 

चैप्टर 3, सूरा 151 

हम शीघ्र ही इनकार करनेवालों के दिलों में धाक बिठा देंगे, इसलिए कि उन्होंने ऐसी चीज़ों को अल्लाह का साक्षी ठहराया है जिनके साथ उसने कोई सनद नहीं उतारी, और उनका ठिकाना आग (जहन्नम) है। और अत्याचारियों का क्या ही बुरा ठिकाना है। 

चैप्टर 2, सूरा 191 

और जहाँ कहीं उनपर क़ाबू पाओ, क़त्ल करो और उन्हें निकालो जहाँ से उन्होंने तुम्हें निकाला है, इसलिए कि फ़ितना (उपद्रव) क़त्ल से भी बढ़कर गम्भीर है। लेकिन मस्जिदे-हराम (काबा) के निकट तुम उनसे न लड़ो जब तक कि वे स्वयं तुमसे वहाँ युद्ध न करें। अतः यदि वे तुमसे युद्ध करें तो उन्हें क़त्ल करो - ऐसे इनकारियों का ऐसा ही बदला है। 

इसे भी पढ़ें: रिजवी के बयान पर शाहनवाज हुसैन का तीखा हमला, BJP नहीं करती कुरान शरीफ से आयत हटाए जाने का समर्थन

वसीम रिजवी की क्या है दलील 

वसीम रिजवी की तरफ से कुरान की 26 आयतों को क्षेपक यानी बाद में जोड़ी गई आयतें बताते हुए उनको पवित्र किताब से हटाने का आदेश देने की मांग करने वाली जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की है। उनका कहना है कि इतिहास गवाह है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के निधन के बाद पहले खलीफा हजरत अबू बकर ने उन चार लोगों को पैगंबर हजरत मोहम्मद पर नाजिल अल्लाह पाक के मौखिक संदेशों को किताब की शक्ल में संग्रहित करने को कहा। तब तक हजरत के मुख से समय-समय पर निकले संदेशों को लोग पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक तौर पर ही याद करते रहे। 

जैद बिन ताबित को आयत लिखने की मिली जिम्मेदारी 

पहले खलीफा ने उन चार लोगों को जिम्मेदारी दी जो हजरत के साथ रहे थे। सही अल बुखारी ग्रंथ के मुताबिक उबे बिन काब, मुआज बिन जबल, जैद बिन ताबित और अबु जैद को ये जिम्मेदारी दी गई। उस वक्त तीन अन्य लोगों ने सर्वसम्मति से हफ्ज कुरान की आयतों को लिखने की जिम्मेदारी जैद बिन ताबित को दे दी। कुरान पाक लिख दिया गया और पैगंबर मोहम्मद साहब की चौथी बीबी और दूसरे खलीफा हजरत उमर की बेटी हफ्सा के हाथों में सौंप दी गई। पिर तीसरे खलीफा हजरत उस्मान के जमाने में अलग-अलग लोगों के लिखे करीब तीन सौ कुरान शरीफ प्रचलन में थे। उसी वक्त इस्लाम को तलवार के दम पर फैलाने की मुहिन चल रही थी। याचिकाकर्ता की दलील है कि उसी समय ये 26 आयतें जोड़ी गई। इन आयतों में इंसानियत के मूल सिद्धांतों की अवहेलना और धर्म के नाम पर नफरत, घृणा, खून खराबा फैलाने वाले हैं। 

रिजवी की याचिका के बाद मिल रही धमकी 

सीम रिजवी के खिलाफ दो संगठनों - अंजुमन खुद्दामे ए रसूल तथा इत्तेहादे मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) -ने पुलिस को अलग-अलग तहरीर देकर संयुक्त प्राथमिकी दर्ज करायी है। ये दोनों संगठन दरगाह आला हजरत से जुड़े हैं। मुरादाबाद जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अमीरुल हसन जैदी ने रिजवी की इस मांग को समुदाय के धार्मिक विश्वास को ठेस पहुंचाने वाला बताया है. साथ ही हसन ने 13 मार्च को सिविल लाइन इलाके के आईएमए हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम में रिजवी का सिर लाने वाले को 11 लाख रुपए का इनाम देने की घोषणा कर डाली है। 

परिवार ने भी किया किनारा 

अपने इस मांग के बाद से वह अलग-थलग पड़ गए हैं। रिजवी के परिवार ने भी फिलहाल इस मसले के बाद से उनका साथ छोड़ दिया है। वसीम रिजवी के खिलाफ मुस्लिम संगठनों में विरोध के स्वर तेज हो रहे हैं। उलेमाओं, संगठनों, समाज और अब तो राजनीतिक दलों ने भी वसीम रिजवी के इस मांग पर अपनी असहमति जताई है। वसीम रिजवी फिलहाल तन्हाइयों में अपना गुजारा कर रहे हैं। उनके साथ सुरक्षा में लगे पुलिस के जवान ही है। रिजवी को वाई कैटेगरी की सिक्योरिटी मिली हुई है। इसमें समाज और परिवार का साथ छोड़ दिए जाने के बाद रिजवी को इन्हीं पुलिसकर्मियों का सहारा है। बहरहाल हम वसीम रिजवी के दावे का न ही समर्थन करते हैं और न ही उनकी याचिका या मांग से इत्तेफाक रखते हैं। -अभिनय आकाश

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़