भारतीय सेना के इतिहास का सबसे घातक बदला, 2 सिर के बदले काटे थे 3 सिर, क्या है बॉर्डर पार किए गए 'Operation Ginger' की कहानी
2011 में जब प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह थे उस दौड़ में सेना की तीन टुकड़ियां ऑपरेशन के लिए पाकिस्तान में दाखिल हुई थी। सेना के इतिहास में ऑपरेशन जिंजर को बदले की सबसे ऐतिहासिक कार्रवाई माना जाता है।
जब भारत ने लिया था पाकिस्तान से बदला और काटा था सिर के बदले सिर। आज आपको वो उस ऑपरेशन की कहानी सुनाने जा रहा हूं जो पाकिस्तान के सिर काटने के लिए हुआ था। इसका नाम था ऑपरेशन जिंजर जिसमें पाकिस्तान में घुसकर तीन पाकिस्तानी सैनिकों के सिर काटकर भारत लेकर आए थे हमारे सैनिक। साल 2016 में आई अंग्रेजी अखबार द हिंदू की रिपोर्ट से उस वक्त खलबली मच गई थी जब अखबार ने ऑपरेशन जिंजर का खुलासा किया था। ऑपरेशन जिंजर का मतलब था सिर के बदले पाकिस्तान का सिर काटना। 2011 में जब प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह थे उस दौड़ में सेना की तीन टुकड़ियां ऑपरेशन के लिए पाकिस्तान में दाखिल हुई थी। सेना के इतिहास में ऑपरेशन जिंजर को बदले की सबसे ऐतिहासिक कार्रवाई माना जाता है। अंग्रेजी अखबार द हिन्दू में यूपीए सरकार के दौरान एलओसी पार हुए एक ऑपरेशन का खुलासा हुआ। अखबार के मुताबिक 2011 में ऑपरेशन जिंजर नाम की ये कार्रवाई एक तरह की सर्जिकल स्ट्राइक थी। जिसे भारत के 25 पैरा कमांडर्स ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर अंजाम दिया था। दो भारतीय सैनिकों के सिर के बदले तीन पाकिस्तानी फौजियों के सिर कलम किए। फिर पूरे मिशन को अंजाम देने के बाद सुरक्षित अपनी सीमा में लौट आए। ये ऑपरेशन 30 अगस्त को किया गया था, जिसमें सेना के 25 जवानों ने हिस्सा लिया था। इसमें पैरा कमांडो फोर्स के ज्यादातर जवान थे। 29 अगस्त की सुबह भारतीय सेना लॉन्चिंग पैड पर पहुंचे थे। हमले की रात तक रात 10 बजे तक वहां पर छुपे रहे। 30 अगस्त सुबह 4 बजे हमले की तैयारी में लग गए। उसके बाद बंकर के आसपास के इलाकों में माइंस बिछा दी। सुबह 7 बजे माइंस वाली जगह को मौका पाकर उड़ा दिया। इस तरह से ऑपरेशन जिंजर को अंजाम दिया गया था। इस ऑपरेशन को सर्जिकल स्ट्राइक तो कई इसे ट्रांस बॉर्डर आर्म्ड एक्शन बताया है। ऐसे में आपको बताते हैं कि क्या है ऑपरेशन जिंजर और क्या है इसका सच। इसे कैसे अंजाम दिया गया।
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सीमा पार जाकर ऑपरेशन की जरूरत क्यों पड़ी?
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45 मिनट तक चला था ऑपरेशन
पूरा ऑपरेशन 45 मिनट तक चला था। भारतीय टीम सुबह 7.45 बजे तक एलओसी के पार वापस जाने के लिए क्षेत्र से निकल गई थी। पहली टीम दोपहर 12 बजे भारतीय सेना की चौकी पर पहुंची। जबकि आखिरी पार्टी दोपहर 2.30 बजे के करीब पहुंची। वे लगभग 48 घंटे तक दुश्मन के इलाके में रहे। इस कार्रवाई में कम से कम आठ पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे और दो या तीन और पाकिस्तानी सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गए थे। तीन पाकिस्तानी सैनिक - सूबेदार परवेज, हवलदार आफताब और नाइक इमरान के सिर के साथ तीन एके 47 राइफल और अन्य हथियार भारतीय सैनिकों द्वारा तोहफे के रूप में अपने साथ लाए गए थे। कटे हुए सिरों की तस्वीरें खींची गईं और वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर उन्हें दफना दिया गया। दो दिन बाद, कमान के सबसे वरिष्ठ जनरलों में से एक ने आकर काटे गए सिरों के बारे में पूछा। जब उन्हें पता चला कि सिर कोदफना दिया गया है, तो वो क्रोधित हो गए। फिर सिर खोदकर निकालने और उसे जलाकर राख को किशनगंगा में फेंकने के लिए कहा गया, ताकि कोई डीएनए निशान न रह जाए। -अभिनय आकाश
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