बाबू मोशाय, ज़िंदगी बड़ी भी होगी और लंबी भी: जादुई दवा से 6 महीने में कैंसर गायब, मेडिकल जगत हैरान, कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं

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Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Jun 8 2022 5:22PM

कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसकी सटीक दवा आज भी विज्ञान ढूंढ़ रहा है। लेकिन इतिहास में पहली बार जानलेवा कैंसर सिर्फ दवा से ही ठीक हो गया। रेक्टल कैंसर से जूझ रहे एक समूह के साथ एक चमत्कार हुआ है। दुनिया में पहले बार एक दवा के ट्रायल में शामिल कैंसर के सभी मरीज ठीक हो गए। हालांकि यह ट्रायल सिर्फ 18 मरीजों पर हुआ है।

बाबू मोशाय, ज़िंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ में है जहांपनाह, उसे ना आप बदल सकते हैं ना मैं। हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां हैं, जिनकी डोर ऊपर वाले की उंगलियों में बंधी है। कब कौन कहां उठेगा ये कोई नहीं बता सकता। साल 1971 में हृषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्मित फिल्म आनंद का ये डायलाग और राजेश खन्ना का निभाया गया आनंद सहगल का किरदार उन्हें अमर कर गया। 'आनंद मरा नहीं, आनंद मरते नहीं। कैंसर के बारे में सबने सुना है और सुना उतना है जो आनंद फ़िल्म में राजेश खन्ना के लिए कहा गया था, लिम्फोस्को मोवाडा इंटेस्टाइन। इसके बाद किसी को ज्यादा कुछ नहीं पता है। जब राजेश खन्ना ने फिल्मी पर्दे पर कैंसर मरीज का रोल प्ले किया तो हर किसी की आंखे नम हो गई। फिल्म में आनंद को जब पता चलता है कि उसके पास ज्यादा वक्त नहीं है तो उसके बाद वो जिस तरह से खुश होकर अपनी जिंदगी जीता है वो फैंस को रूला देता है। इस फिल्म के लिए राजेश खन्ना को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला था। बॉलीवुड में अमिताभ, शाहरुख खान से लेकर सुशात सिंह राजपूत तक ने कैंसर जैसी बीमारी का दर्द पर्दे पर जीकर दिखाया। लेकिन रील से इतर बात रियल लाइफ की करें तो कैंसर एक ऐसी बीमारी है तो इंसान को मौत के दरवाजे पर ले जाती है। हममें से हरेक ने अपने जीवन में किसी जानने वाले को इस खौफ़नाक समझे जाने वाली बीमारी से जूझते देखा होगा। कैंसर का नाम सुनकर अक्सर लोग या तो डर जाएंगे या फिर इसकी बात नहीं करना चाहेंगे। कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसकी सटीक दवा आज भी विज्ञान ढूंढ़ रहा है। लेकिन इतिहास में पहली बार जानलेवा कैंसर सिर्फ दवा से ही ठीक हो गया। 

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कैंसर है क्या सबसे पहले यह जानना जरूर है। हमारे शरीर की जो बनावट है उसमें यूनिट होती है जिसे कोशिका  कहते हैं। करोड़ों-अरबों कोशिकाएं मिलकर शरीर को बनाती हैं। एक से दो,दो से चार,चार से आठ इस तरह से इन कोशिकाओं की वृद्धि हर ऊतक या अंग में होटी रहती है। एक समय ऐसा आता है जब यह वृद्धि अचानक रुक जाती है। पुरानी कोशिकाएं मर जाती हैं और उसकी जगह नई कोशिकाएं आती हैं। अनवरत हमारे जन्म से मृत्यु तक कोशिका वृद्धि हमारे हर अंग में होती रहती है। अगर मान लें कि हमारे शरीर में कोशिका वृद्धि होती जा रही है और यह वृद्धि रुक नहीं रही है तो अंग में कोशिका की मात्रा काफी बढ़ जाएगी। अगर शरीर का इंफ्रास्ट्रक्चर 500 करोड़ कोशिकाओं का है और 800 करोड़ कोशिकाएं शरीर में एकत्रित हो गई तो शरीर उसको हैंडल नहीं कर पाएगी। इसी तरह यह प्रक्रिया एक अंग से शुरू होती है जिसे हम कैंसर कहते हैं। धीरे-धीरे यह शरीर के दूसरे अंगों में फैलने लगता है।

कैंसर का सटीक इलाज खोजने में मिली सफलता 

रेक्टल कैंसर से जूझ रहे एक समूह के साथ एक चमत्कार हुआ है। दुनिया में पहले बार एक दवा के ट्रायल में शामिल कैंसर के सभी मरीज ठीक हो गए। हालांकि यह ट्रायल सिर्फ 18 मरीजों पर हुआ है। उन्हें 6 महीने तक डोस्टारलमैव नाम की दवा दी गई, जिसके बाद मरीजों का रेक्टल कैंसर ठीक हो गया। सभी मरीजों में कैंसर ट्यूमर गायव होते देखा गया। इस ट्रायल स्टडी को न्यू इंग्लैंड जनरल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित किया गया है। इसके लेखक डॉ ल्यूस ए डियाज ने कहा, 'कैंसर के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जिसमें इलाज के बाद हर मरीज का कैंसर गायब हो गया है। ट्रायल के दौरान 3-3 हफ्ते पर 6 डोज में पूरा इलाज किया गया। पूरे इलाज की कीमत करीब 66 हजार रुपये है। 6 महीने चद इंडोस्कोपी, एमआरआई और अन्य रिपोर्ट में पाया गया कि रेक्टल कैंसर ठीक हो गया है। अभी तक ऐसे मरीजों का कीमोथेरेपी, रेडिएशन और कठिन सर्जरी। के जरिए इलाज होता है। इनकी वजह से मरीज को कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती है।

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दुनिया भर में कैंसर के आंकड़े

दुनिया में कैंसर की समस्या तेजी से बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2020 में लगभग 10 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई। यानी करीब छह मौतों में से लगभग एक की मौत कैंसर से हुई। 2019 में कैंसर से लगभग एक करोड़ लोगों की मौत हुई। जोकि 2010 की तुलना में 20.9 फीसदी ज्यादा है। 2010 में 82.9 लाख लोगों की मौत कैंसर से हुई थी। सिर्फ भारत की बात करें तो आईसीएमआर द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में कैंसर के 13.9 लाख मरीज थे, जिनके बारे में अनुमान है कि यह आंकड़ा 12 फीसदी की वृद्धि के साथ 2025 तक बढ़कर 15.7 लाख पर पहुंच जाएगा। स्तन कैंसर के अधिकांश 2.26 मिलियन मामले, जबकि फेफड़े के कैंसर से संबंधित 2.21 मिलियन के करीब सामने आए। इसके बाद 2020 में कोलन और रेक्टम कैंसर के रोगी 1.93 मिलियन बताए गए।

क्लिनिकल ट्रायल के नतीजों से मेडिकल जगत हैरान

रिपोर्ट के अनुसार क्लिनिकल ट्रायल में शामिल मरीज इससे पहले कैंसर से छुटकारा पाने के लिए लंबे और तकलीफदेह इलाजों से गुजर रहे थे। कीमोथेरेपी, रेडिएशन और सर्जरी। इलाज के ये तरीके यूरिनरी और सेक्सुअल रोग के कारण बन सकते हैं। 18 मरीज ये सोच कर ट्रायल में शामिल हुए थे कि ये उनके इलाज का अगला चरण है। लेकिन उन्हें ये जानकर हैरानी हुई कि अब उन्हें इलाज की कोई जरूरत ही नहीं है। क्लिनिकल ट्रायल को लेकर एक्सपर्ट्स बहुत चकित हैं। मरीजों में कैंसर खत्म होना असाधारण है। इसमें खास बात ये भी है कि किसी भी मरीज को कोई साइड इफेक्ट्स नहीं हुआ है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के कोलोन कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ एलन पी वेनूक के मुताबिक हर मरीज में कैंसर का पूरी तरह खत्म हो जाना असाधारण है।

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दवा कैसे काम करती है

रोगियों को छह महीने के लिए हर तीन सप्ताह में डोस्टारलिमैब दिया जाता था। दवा का उद्देश्य कैंसर कोशिकाओं को उजागर करना है, जिससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्राकृतिक रूप से उन्हें पहचानने और नष्ट करने की अनुमति मिलती है। ऐसी दवाएं, जिन्हें 'चेकपॉइंट इनहिबिटर' के रूप में जाना जाता है, आमतौर पर उपचार से गुजरने वाले 20% रोगियों में किसी प्रकार की प्रतिकूल प्रतिक्रिया होती है। मीडिया से बात करते हुए यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में कोलोरेक्टल कैंसर विशेषज्ञ डॉ. एलन पी. वेनुक ने कहा कि सभी मरीजों का पूरी तरह ठीक होना 'अभूतपूर्व' है। उन्होंने इस रिसर्च को विश्वस्तरीय बताया है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यह खासतौर पर प्रभावशाली इसलिए है क्योंकि किसी भी मरीज में ट्रायल ड्रग के साइड इफेक्ट नहीं देखे गए। रिसर्च पेपर की को-ऑर्थर ने उस पल के बारे में बताया कि जब रोगियों को पता चला कि उनका कैंसर पूरी तरह से ठीक हो चुका है। न्यूयॉर्क टाइम्स से उन्होंने कहा, 'उन सभी की आंखों में खुशी के आंसू थे।'

आगे के परीक्षणों की आवश्यकता है

भारत के कैंसर एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी ये स्टडी केवल 18 लोगों पर हुई है। कम से कम 100 मरीजों पर इसका ट्रायल किया जाए। तभी डोस्टारलिमैब के इलाज को शुरू किया जा सकता है। दवा का रिव्यू करने वाले कैंसर शोधकर्ताओं ने बताया कि यह इलाज आशाजनक लग रहा है। लेकिन इसके बड़े पैमाने पर ट्रायल की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दवा बाकी मरीजों पर भी असरदार है और यह कैंसर को वास्तव में पूरी तरह ठीक कर सकती है।

कैंसर के केंद्र सरकार की योजनाएं

स्वास्थ्य मंत्री कैंसर रोगी निधि: कैंसर पीड़ित गरीब मरीजों को 2 लाख रुपये तक कि रकम दी जाती है। वेबसाइट: mohfw.gov.in

राष्ट्रीय आरोग्य निधि: जानलेवा बीमारी से पीड़ित गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को इलाज के लिए डेढ़ लाख रुपए तक दिए जाते हैं। वेबसाइट: mohfw.gov.in

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष: गरीबी रेखा से नीचे वाले मरीजों को 2 लाख तक कि मदद दी जाती है। वेबसाइट: pmnrf.gov.in

एम्स गरीबी राहत कोष: इसके तहत डेढ़ लाख रुपए की अधिकतम मदद दी जाती।

कैंसर के मरीजों का रेल सफर रियायत: मरीज को अस्पताल की यात्रा और वापसी फ्री में कर सकते हैं। Indianrail.gov.in/APPENDI1.pdf पर जाकर फॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं।

-अभिनय आकाश

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