भागवत ने खींची रेखा, उसी पर चलने का संकेत है नुपुर और जिंदल पर कार्रवाई, जानें क्या है बीजेपी के संविधान का नियम 10(ए)

Bhagwat
Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Jun 6 2022 5:37PM

पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी का मामला सीधे अरब देश पहुंच गया। नुपूर और नवीन यानी दो 'N' के बयानों ने खाड़ी देशों के सामने भारत को ऐसी असहज स्थिति में ला दिया की तीसरे 'N' यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को समाधान लेकर आना पड़ा। जैसे ही मामला बढ़ने लगा।

वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के बीच देश में संघ प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान सामने आता है। मोहन भागवत ने हिन्दुओं को समझाया कि हर मस्जिद में शिवलिंग नहीं ढूंढना है। वर्षों पहले जो हो गया वो हो गया। मंदिर तोड़े गए ये सच है, मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाए गए। ये भी सच है। लेकिन अब झगड़ा बढ़ाने की जरूरत नहीं है। मोहन भागवत ने लीक से हटकर बात कही। बड़ी हिम्मत दिखाते हुए वो कह दिया जो हो सकता है हिन्दुओं को भी पसंद नहीं आए। जो बात मोहन भागवत ने कही है वो बीजेपी की भी लाइन है। मोहन भागवत द्वारा खींची गई क्लियर लाइन पर बीजेपी चलती और अमल करती भी नजर आ रही है। पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी का मामला सीधे अरब देश पहुंच गया। नुपूर और नवीन यानी दो 'N' के बयानों ने खाड़ी देशों के सामने भारत को ऐसी असहज स्थिति में ला दिया की तीसरे 'N' यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को समाधान लेकर आना पड़ा। जैसे ही मामला बढ़ने लगा। सत्तारूढ़ भाजपा ने न सिर्फ बयान जारी किया बल्कि अपना रुख स्पष्ट करते हुए एक्शन का आदेश दे दिया। नुपुर शर्मा को पार्टी से निकाल दिया गया और दिल्ली यूनिट के मीडिया प्रभारी नवीन कुमार जिंदल को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। नुपुर शर्मा के बयानों पर देशभर के मुस्लिम समुदायों ने घोर आपत्ति जताई और अरब देश भी भारतीय राजनयिकों को तलब करने लगा। बवाल बढ़ा तो पार्टी ने दोनों नेताओं के बयानों से किनारा कर लिया और दोनों पर एक्शन ले लिया। लेकिन बीजेपी ने अपने दो नेताओं पर जो एक्शन लिया है वो सबका मान, सबका सम्मान करने की ओर सीधा और सख्त संदेश है। 

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जानिये कौन हैं नुपुर शर्मा

ट्विटर पर नुपुर शर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, गिरिराज सिंह और भूपेंद्र यादव फॉलो करते हैं। भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय, सांसद मनोज तिवारी, गौतम गंभीर, परवेश वर्मा और दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता व दिल्ली प्रभारी बैजयंत पांडा भी इस सूची में शामिल हैं। मुंबई में प्राथमिकी 28 मई को रजा अकादमी के मुंबई विंग के संयुक्त सचिव इरफान शेख की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी। इसमें कहा गया है कि शर्मा ने ज्ञानवापी मुद्दे पर एक समाचार बहस में कथित तौर पर पैगंबर के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी। जबकि शर्मा ने कुछ भी अपमानजनक या "गलत" कहने से इनकार किया है, उन्होंने दावा किया कि विवाद शुरू होने के बाद से उन्हें जान से मारने और रेप करने की धमकी मिलनी शुरू हो गई थी। दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक और विश्वविद्यालय के विधि संकाय से एलएलबी की डिग्री हासिल करने वाली 37 वर्षीय शर्मा लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से लॉ में मास्टर भी किया हुआ है।

NSUI की मजबूत उपस्थिति में लहराया ABVP का झंडा

नुपुर शर्मा ने एक छात्र नेता के रूप में राजनीति में अपना कार्यकाल शुरू किया और 2008 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष का चुनाव जीता। यह एक समय था जब कांग्रेस की छात्र शाखा, भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) की परिसरों में मजबूत उपस्थिति थी। लेकिन फिर भी नुपुर अध्यक्ष पद पाने में सफल रहीं, वहीं एनएसयूआई ने अन्य सभी पदों पर जीत हासिल की। हालाँकि, उनके चुनावी मुकाबलों में सबसे हाई-प्रोफाइल 2015 का दिल्ली विधानसभा चुनाव है, जब उन्होंने नई दिल्ली सीट से आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव वड़ा था। हालांकि वो  31,583 मतों से हार गईं। लेकिन चुनाव के दौरान उन्होंने अरविंद केजरीवाल पर तीखा प्रहार किया था। उन्होंने केजरीवाल पर प्रहार करते हुए उन्हें अवसरवादी तक करार दिया था। उनका कहना था कि एक वर्ष के अंदर वह तीन चुनाव लड़ने के लिए चल दिए। यह अवसरवादी नहीं हैं तो और क्या है। उनका कहना था कि वह एक बंदर की ही तरह से एक डाल से दूसरी डाल पर कूद रहे हैं। लेकिन सफलता नहीं मिल रही है। कुल मिलाकर कहा जाए तो शर्मापार्टी की युवा शाखा का एक प्रमुख चेहरा रही हैं। युवा विंग की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति सदस्य और दिल्ली राज्य कार्यकारी समिति के सदस्य के रूप में उन्होंने भारतीय जनता युवा मोर्चा की कई पदों पर कार्य किया है। जब तत्कालीन राज्य इकाई के प्रमुख मनोज तिवारी ने अपनी टीम बनाई थी तो उन्हें 2017 में दिल्ली भाजपा का प्रवक्ता नियुक्त किया गया था। भले ही वह दिल्ली टीम का हिस्सा थीं, लेकिन उनके कानूनी कौशल, राष्ट्रीय मुद्दों पर अच्छे ज्ञान और द्विभाषी कौशल ने उन्हें राष्ट्रीय मुद्दों पर टीवी डिबेट का प्रमुख चेहरा बना दिया। सितंबर 2020 में जब जेपी नड्डा ने अपनी टीम बनाई तो शर्मा को राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में चुना गया। 

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क्या है ताजा मामला

ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर नूपुर शर्मा एक टेलीविजन न्यूज चैनल के डिबेट में पहुंची थीं। बहस के दौरान नूपुर शर्मा ने आरोप लगाते हुए कि लोग लगातार हिंदू आस्‍था का मजाक उड़ा रहे हैं। अगर यही है तो वो भी दूसरे धर्मों का मजाक उड़ा सकती हैं। इसके लिए वो इस्‍लामी मान्‍यताओं का जिक्र कर सकती हैं। उनके इस वीडियो क्लिप को जुबैर ने अपने ट्विटर फालोअर्स के साथ शेयर किया। जुबैर आल्‍ट न्‍यूज के को-फाउंडर हैं।  जुबैर के वीडियो क्लिप को शेयर करते ही इस्‍लामिक कट्टरपंथी नूपुर को धमकियां देने लगे।

नवीन जिंदल कौन हैं?

नवीन कुमार जिंदल भी बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। हालांकि वे पहले पत्रकार रह चुके हैं। तीन दशक तक पत्रकारिता करने के बाद 2016 में नवीन जिंदल ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। पत्रकारिता में वे टीवी पर क्राइम फाइल से चर्चित हुए। कई अखबारों और न्यूज चैनलों में मैनेजिंग एडिटर के रूप में काम किया है। 2016 में ही बीजेपी ने उन्हें प्रवक्ता बना दिया।  इस्लामिक कट्टरपंथ पर नवीन जिंदल का नजरिया शुरू से ही आक्रामक रहा है। उन्होंने इस पर एक किताब भी लिखी है जिसका नाम है इस्लामिक मदरसे बेनकाब। इस किताब में उन्होंने मदरसा द्वारा कथित सांप्रदायिक नफरत फैलाए जाने का भी जिक्र किया है।

भाजपा का एक्शन

खुद को एक अनुशासित और कैडर-आधारित पार्टी के रूप में देखने वाली भाजपा ने राष्ट्रीय प्रवक्ता नुपुर शर्मा के रूप में अपने संविधान के नियम 10 (ए) को लागू किया। शर्मा को लिखे पत्र में भाजपा की केंद्रीय अनुशासन समिति के सदस्य सचिव ओम पाठक ने कहा कि आपने विभिन्न मामलों पर पार्टी की स्थिति के विपरीत विचार व्यक्त किए हैं, जो कि संविधान के नियम 10 (ए) का स्पष्ट उल्लंघन है। मुझे आपको यह सूचित करने का निर्देश दिया गया है कि आगे की जांच लंबित रहने तक आपको तत्काल प्रभाव से पार्टी से और आपकी जिम्मेदारियों/कार्यों से निलंबित किया जाता है।

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भाजपा के संविधान में धर्म

भाजपा के संविधान का अनुच्छेद II पार्टी के "उद्देश्य" को निर्धारित करता है, जिसका गठन 1980 में तत्कालीन भारतीय जनसंघ के सदस्यों द्वारा किया गया था। जिसमें कहा गया है कि पार्टी एक ऐसे भारत के निर्माण के लिए प्रतिज्ञाबद्ध है जो सृदृढ़, समृद्ध एवं स्वावलंबी राष्ट्र हो, जिसका दृष्टिकोण आधुनिक, प्रगतिशील एवं प्रबुद्ध हो औऱ जो अपनी प्राचीन भारतीय संस्कृति एं मूल्यो से प्रेरण ग्रहण करता हो। पार्टी का लक्ष्य एक ऐसे लोकतंत्रीय राज्य की स्थापना करना है जिसमें जाति, संप्रदाय अथवा लिंग का भेद-भाव किए बिना सभी नागरिकों को राजनीतिक, सामाजित एवं आर्थिक न्याय, समान अवसर तथा धार्मिक विश्वास एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो सके। इसके साथ ही पार्टी के संविधान में 34 अनुच्छेद हैं। पार्टी सदस्यता फॉर्म भरने के साथ-साथ, किसी को यह संकल्प लेना होता है कि 'मैं धर्म पर आधारित धर्मनिरपेक्ष राज्य और राष्ट्र की अवधारणा की सदस्यता लेता हूं ... मैं पार्टी के संविधान, नियमों और अनुशासन का पालन करने का वचन देता हूं'।

पार्टी के नियम

धारा 25 अनुशासन के उल्लंघन से संबंधित मामलों के निर्णय के लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी विभिन्न स्तरों पर अनुशासन समिति के गठन के लिए नियम बनाएगी। आवश्यक कार्रवाई के विवरण और कार्रवाई की प्रक्रिया के साथ नियमों को संविधान के अंत में सूचीबद्ध किया गया है। अनुशासन के उल्लंघन के मामले में "अनुशासनात्मक कार्रवाई" के भाग के रूप में 10-भाग की प्रक्रिया को सूचीबद्ध किया गया है। अनुशासन के उल्लंघन के छह प्रकार सूचीबद्ध हैं।

भाजपा संविधान का नियम 10 (ए)

नियम 10 पार्टी अध्यक्ष को सदस्यों को अनुशासित करने का असाधारण अधिकार देता है। इसमें कहा गया है: "राष्ट्रीय अध्यक्ष यदि चाहें तो किसी भी सदस्य को निलंबित कर सकते हैं और फिर उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू कर सकते हैं।" इसी नियम के तहत शर्मा को उनके खिलाफ जांच से पहले ही निलंबित कर दिया गया है। पैरा (ए) के तहत "अनुशासन का उल्लंघन" कहता है: "पार्टी के किसी भी कार्यक्रम या निर्णय के खिलाफ कार्य या प्रचार करना।" भाजपा के संविधान के धारा 25 अनुशासनात्मक कार्रवाई के भाग 1 में लिखा है कि राष्ट्रीय और प्रदेश कार्यकारिणी द्वारा अनुशासन कार्रवाई समितियां गठित की जाएंगी। जिनकी सदस्य संख्या पांच से अधिक नहीं होगी। ये समितियां अपनी प्रक्रिया स्वयं निर्धारित करेंगी। राज्य अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति अपने अधीनस्थ इकाइयों के खिलाफ ही कार्रवाई कर सकती है। शिकायत प्राप्त होने पर, राष्ट्रीय अध्यक्ष या प्रदेश अध्यक्ष... उक्त आदेश के एक सप्ताह के भीतर किसी व्यक्ति या इकाई को कारण बताओ नोटिस के बाद निलंबित कर सकते हैं। ऐसे नोटिस की प्राप्ति की तारीख से अधिकतम 10 दिनों का समय किसी व्यक्ति को उत्तर देने के लिए दिया जा सकता है।

-अभिनय आकाश 

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