इतना सन्नाटा क्यों है भाई! नेता प्रतिपक्ष को लेकर आतिशी और गोपाल राय के बीच लगी होड़, क्या इसलिए केजरीवाल ने साध रखी है चुप्पी

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अभिनय आकाश । Feb 21 2025 3:41PM

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़, चुनाव परिणाण के 10 दिनों तक सीएम को लेकर फैसला नहीं हो पाना। ये ऐसे मुद्दे हैं जहां सशक्त विपक्ष अरविंद केजरीवाल की जगह बनती दिखी। लेकिन केजरीवाल उन जगहों को भरते नहीं नजर आए। गरीब-गुरबे की लड़ाई लड़ने, झुग्गी झोपड़ी में जा-जाकर लोगों की परेशानी पूछने और महीने के आंदोलन से निकला नेता चुनाव हारते ही राजनीतिक परिदृश्य से गायब होता क्यों दिख रहा है?

अब जो जनता ने हमें निर्णय दिया है। हम न केवल एक सशक्त विपक्ष का रोल निभाएंगे। बल्कि हम समाज सेवा, जनता के सुख दुख में काम आना। व्यक्तिगत तौर पर जिसको भी जो जरूरत होगी। हम लोगों के सुख दुख में हमेशा काम आएंगे।"

चेहरे पर मुरझाया सा भाव, लाल रंग की स्वेटर और नीले रंग की कमीज पहने अरविंद केजरीवाल सत्ता और खुद की सीट गंवाने के बाद कुछ इस अंदाज में लोगों के सामने नजर आए। उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए जनता का फैसला स्वीकार किया। बीजेपी को जीत की बधाई दी और उस सवाल का जवाब दिया कि दिल्ली में मिली हार के बाद केजरीवाल क्या करेंगे। केजरीवाल ने अपने वीडियो में कहा कि वो एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाएंगे। लेकिन 8 फरवरी के नतीजों के बाद अरविंद केजरीवाल की पॉलिटिकल एक्टिविटी न के बराबर ही दिखी। इस  बीच नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़, चुनाव परिणाण के 10 दिनों तक सीएम को लेकर फैसला नहीं हो पाना। ये ऐसे मुद्दे हैं जहां सशक्त विपक्ष अरविंद केजरीवाल की जगह बनती दिखी। लेकिन केजरीवाल उन जगहों को भरते नहीं नजर आए। गरीब-गुरबे की लड़ाई लड़ने, झुग्गी झोपड़ी में जा-जाकर लोगों की परेशानी पूछने और महीने के आंदोलन से निकला नेता चुनाव हारते ही राजनीतिक परिदृश्य से गायब होता क्यों दिख रहा है? 

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विपक्ष की राजनीति करना मुश्किल? 

 नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 15 फरवरी  की रात भगदड़ जैसी स्थिति बन गई, जिससे प्लेटफॉर्म संख्या 14 और 15 पर अफरा-तफरी मच गई। भगदड़ में पांच बच्चों समेत 18 लोगों की जान चली गई। हादसे के बाद आतिशी नई दिल्ली स्टेशन पहुंचती हैं और हालात का जायजा लेती हैं। आतिशी घायलों से मिलने अस्पताल पहुंचे और पीड़ित परिवार से मुलाकात कर संवेदना व्यक्त की। लेकिन अरविंद केजरीवाल कही नजर नहीं आए। दिखा तो बस एक सोशल मीडिया पोस्ट। 16 फरवरी को एक्स अकाउंट पर केजरीवाल ने लिखा कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे में महाकुंभ जा रहे श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत बेहद दुखद एवं पीड़ादायक है। ईश्वर उनकी आत्माओं को शांति प्रदान करें। हादसे में जिन परिवारों ने अपनों को खोया उन सभी के प्रति मेरी संवेदनाएँ हैं। दिल्ली चुनाव से पहले बिरले ही ऐसा कोई मौका दिखा हो जहां सीएम आतिशी जाएं और अऱविंद केजरीवाल न दिखे हो। परियोजनाओं के लोकार्पण से लेकर योजनाओं की घोषणा तक अरविंद केजरीवाल जरूर दिखे। लेकिन रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ के बाद न ही वो स्टेशन गए और न पीड़ितों से मिलने अस्पताल गए। 

विपक्ष के नेता का ऐलान कब होगा

एक तरफ दिल्ली में बीजेपी के नए सीएम का शपथग्रहण, भव्य आयोजन तो वहीं केजरीवाल के सामने सबसे बड़ी मुसीबत ये है कि वो नेता प्रतिपक्ष किसे बनाएंदिल्ली में अरविंद केजरीवाल के सामने एक बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। केजरीवाल को दिल्ली को लेकर के हम फैसला करना है। विधानसभा के गठन और पहले सत्र से पहले उन्हें विधायक दल का नेता चुनना है। नेता प्रतिपक्ष को लेकर आम आदमी पार्टी में लड़ाई भी शुरू हो गई है। सूत्रों की माने तो हर जीता हुआ विधायक नेता प्रतिपक्ष का दावा ठोक रहा है। अरविंद केजरीवाल के अलावा हारने वाले नेताओं में पूर्व डीप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज, राखी बिड़लान और सत्येंद्र जैन जैसे नेता शामिल हैं। मतलब केजरीवाल के सारे टॉप ऑर्डर भी ढेर हो गए हैं। सिर्फ आतिशी पार्टी की लाज बचाने में कामयाब हो सकी हैं। आतिशी ने ही बस जीत दर्ज की है। वहीं गोपाल राय को भी इस चुनाव में जीत मिली है। ऐसे में केजरीवाल के लिए नेता प्रतिपक्ष चुनना बड़ा चुनौती वाला हो गया है। आतिशी को नेता प्रतिपक्ष का बड़ा दावेदार माना जा रहा है। महिला होने के कारण भी उनकी दावेदारी को मजबूत माना जा रहा है। वहीं केजरीवाल की सरकार में वरिष्ठ मंत्री रहे गोपाल राय भी मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। उनके अलावा लगातार चार चुनाव जीतने वाले संजीव झा और जरनैल सिंह का नाम भी चर्चा में है। 

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आतिशी और गोपाल राय में लगी होड़

आतिशी ने बीजेपी के पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को हराकर जीत हासिल की है। ऐसे में अरविंद केजरीवाल एक बार फिर महिला कार्ड खेल सकते हैं। वहीं गोपाल राय लंबे समय से दिल्ली में पार्टी का प्रमुख चेहरा माने जाते रहे हैं। उन्होंने लगातार तीन विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की है। परिवहन सहित कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके गोपाल राय का पूर्वांचल से जुड़ा होना भी उनकी दावेदारी को मजबूत करता है। पूर्वांचल के मतदाताओं को खुश करने के लिए केजरीवाल उनपर भी दांव खेल सकते हैं। साथ ही संजीव झा भी पूर्वांचल की पृष्ठभूमिक से जुड़े हुए हैं। इसलिए उनकी भी दावेदारी को कमजोर नहीं माना जा रहा है। सिख और पंजाबी मतदाओं में मजबूत पकड़ रखने वाले जरनैल सिंह पर केजरीवाल दांव लगा सकते हैं। आप से जुड़े सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल की मुहर लगने के बाद ही विपक्ष के नेता पद पर फैसला किया जाएगा। लेकिन दो मजबूत दावेदार आतिशी और गोपाल राय के बीच नेता प्रतिपक्ष को लेकर एक तरह से लड़ाई की शुरुआत होती दिख रही है। बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं की ओर से नेता प्रतिपक्ष को लेकर केजरीवाल पर प्रेशर बनाया जा रहा है। एक तरफ चुनाव नतीजों के बाद से आतिशी नेता प्रतिपक्ष के तौर पर काम करती दिखाई पड़ रही हैं। वो अभी से ही बिजली के मुद्दे पर सरकार को घेर रही हैं। सीएम के चयन में 11 दिन की देरी पर भी उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधा था। गोपाल राय लगातार पार्टी का पक्ष मीडिया के सामने रख रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले ही गोपाल राय ने कहा था कि पार्टी दिल्ली में अपनी यूनिट का पूर्णगठन करेगी और पार्टी को फिर से मजबूत बनाने का प्रयास किया जाएगा। बीते दिन केजरीवाल के नेतृत्व में हुई  बैठक के बाद गोपाल राय ही सामने आए और उन्होंने कहा कि संगठन के पूर्णगठन से पहले सभी पदाधिकारी अगले 10 दिनों में चुनाव में अपनी भूमिका पर रिपोर्ट पेश करेंगे। पुरानी लाइन है- एक्शन स्पीक लाउडर देन वर्ड आतिशी हो या गोपाल राय अपने एक्शन के जरिए नेता विपक्ष के पद पर अपनी दावेदारी ठोंक रहे हैं। अब केजरीवाल ऐसे फंसे हैं कि एक को बनाए तो दूसरा नराजा हो जाएगा। 

केजरीवाल को क्या हो गया

लोकतंत्र में जाहिर है, जितनी भूमिका सत्ता पक्ष की होती है। उतनी ही विपक्ष की भी होती है। याद कीजिए 2011-12 का वक्त जब अरविंद केजरीवाल राजनीति में आए भी नहीं थे तो वो दिल्ली की सुंदरनगरी जैसी बस्तियों में जाकर जनसुनवाई करते थे। लोगों से उनकी समस्याएं पूछते और फिर उसे लेकर सरकार से सवाल पूछते। राशन हो या बिजली बिल की दिक्कतें हर जगह केजरीवाल पब्लिक के साथ खड़े दिखे। अपने शुरुआती दौर में उनकी इमेज भी ऐसी ही थी कि वो सभी के लिए विपक्ष की भूमिका निभाते थे। उनके सवालों के निशाने पर कांग्रेस और बीजेपी बराबर रूप से रहते थे। अरविंद केजरीवाल वही मुख्यमंत्री हैं जो 2014 में रेल भवन के सामने रात भर प्रदर्शन करते रहे। सड़क पर रजाई लेकर बैठे रहे। लेकिन 2025 में पहली बार दिल्ली का चुनाव हारने के बाद उनकी एक्टिविटी में एक बड़ा बदलाव दिखता है। 8 फरवरी के बाद केजरीवाल के एक्स पर कुल आठ पोस्ट नजर आते हैं। एक हार के बाद रिएक्शन, दूसरा रविदास जयंती, तीसरा आप के एक नेता के निधन पर, चौथा पुलावामा अटैक की याद में, पाचंवा रेलवे भगदड़, छठा दिल्ली भूंकप को लेकर और सातंवा एक कार्यकर्ता के जन्मदिम पर बधाई। आठवां शिवाजी की जयंती पर। 

मीडिया से दूरी 

दिल्ली की हार के बाद कई कयास चले। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कांग्रेस नेता और पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा है कि दिल्ली में हार के बाद अरविंद केजरीवाल पंजाब जाएंगे, जहां वो राज्य का मुख्यमंत्री बनने की कोशिश करेंगे। दूसरी ओर, गुरदासपुर से कांग्रेस सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा ने दिल्ली में करारी हार के बाद आप के बिखरने के साथ पंजाब में मध्यावधि चुनाव की भविष्यवाणी की। इन्हीं सियासी अटकलों के बाद अरविंद केजरीवाल ने 11 फरवरी को पंजाब के आप विधायकों और भगवंत मान के साथ बैठक की। लेकिन इसके बाद भी वो मीडिया के सामने नहीं आए। बैठक को लेकर भी सोशल मीडिया पर कोई तस्वीर नजर नहीं आई। 

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