Pied Piper of Dalal Street: ब्रोकर से ऑपरेटर बने केतन पारेख कैसे अपने ही लालच का हो गए शिकार

फर्ज कीजिए किसी सब्जियों के बाजार में कोई बहुत बड़ा खरीदार आ जाए और वो मार्केट से सारे टमाटर उठा ले। फिर उसे धीरे-धीरे करके अपनी दुकान से मार्केट में बेचे तो इससे क्या होगा? जाहिर है टमाटर की डिमांड बढ़ जाएगी। क्योंकि सप्लाई लिमिटेड है इस वजह से उसकी कीमत में भी इजाफा हो जाएगा। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट सामने आने के बाद से अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर गिरे पड़े हैं। बीते 24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग की अडानी ग्रुप को लेकर रिसर्च रिपोर्ट पब्लिश होने के बाद से कंपनियों की शेयरों में जो सुनामी आई, वो अब तक जारी है। शेयर बाजार में आज भी अडानी के 4 शेयरों में लोअर सर्किट लगा है और अडानी एंटरप्राइजेज के स्टॉक 5.12 फीसदी फिसलकर 1,505.55 रुपये के लेवल पर ट्रेड कर रहे हैं। लेकिन ये उतार-चढ़ाव का खेल शेयर मार्केट के लिए नया नहीं है। 25 साल पहले भी कुछ ऐसा ही कुछ देखने को मिला था।
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डिमांड एंड सप्लाई है प्राइमरी फैक्टर
शुरुआत में हमने आपको मार्केट और टमाटर खरीदार वाला उदाहरण दिया, सेम थ्योरी को अगर हम स्टॉक मार्केट से रिलेट करके देखें तो? अगर आप किसी स्टॉक मार्केट में इनवेस्ट करते हैं तो आपको ये तो भलि-भांति पता होगा कि किसी भी स्टॉक की कीमतों में अस्थिरता आने का प्राइमरी फैक्टर डिमांड एंड सप्लाई है। इसी तरह से किसी शेयर की डिमांड कम है तो उनकी कीमतें भी काफी कम होती है। वैसे ही अगर किसी शेयर की डिमांड ज्यादा है तो उसकी कीमत भी ज्यादा होती है। जिसकी वजह से लोग इस ट्रैप में फंस जाते हैं कि अगर किसी शेयर की कीमत बहुत ज्यादा है तो इसका मतलब की वो कंपनी अच्छी होगी। लेकिन अगर यही डिमांड कृत्रिम रूप से बनाई जाए फिर क्या होगा? मतलब कुछ चुनिंदा लोग अगर मिलकर बेहद ही हाई वॉल्यूम में किसी शेयर में ट्रेड करने लगें तो उससे किसी भी शेयर की कीमतों में बहुत ही ज्यादा प्रभाव देखने को मिलेगा। आज आपको ऐसी ही स्कीम की बात बताने जा रहा हूं जिसकी वजह से मार्केट में 4 हजार करोड़ का घोटाला देखने को मिला था।
केतन पारेख कैसे बना द पाइड पाइपर ऑफ दलाल स्ट्रीट
कहानी 90 के दशक के उत्तरार्ध में शुरू होती है जब इंटरनेट एक नई घटना थी और लोग इसकी संभावनाओं के प्रति पढ़ और सुन रहे थे। इंटरनेट से जुड़ी कंपनियों के लिए शेयर बाजार की चर्चा सबसे पसंदीदा था। इस माहौल में केतन पारेख का प्रवेश हुआ, जो ब्रोकर के परिवार में पैदा हुए और फिर खुद एक स्टॉक ब्रोकर बन गए। केतन बॉम्बे और कलकत्ता दोनों स्टॉक एक्सचेंजों में काम करते थे। वह दलाल स्ट्रीट पर एक उभरते हुए सितारे थे। केतन ने इंटरनेट की लहर से पैसा कमाना चुना लेकिन इंफोसिस या विप्रो जैसी बड़ी कंपनियों के साथ नहीं गए बल्कि इसके लिए चेन्नई की एक अनजान कंपनी - पेंटाफोर सॉफ्टवेयर को चुना। पेंटाफोर पहले ही एक बार चूक कर चुका था और संकट में था। इसलिए शेयर सस्ते में उपलब्ध था। पेंटाफोर और पैसा जुटाना चाहता था और उसने केतन के साथ सांठगांठ कर ली। प्रमोटरों ने केतन को अपने शेयर दे दिए और केतन ने इसे बेचना शुरू कर दिया और अपने सहयोगी के माध्यम से इसे खरीदना शुरू कर दिया और इस तरह कीमत में उछाल आया। । केतन ने कृत्रिम रूप से कीमतों में वृद्धि की थी लेकिन उसे उन कीमतों पर खरीदने के लिए किसी की जरूरत थी और अब उसके पास ये थे। वह धीरे-धीरे उन्हें फंड हाउसों में डाल सकता था और पैसे कमा सकता था।
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पेंटाफोर फॉर्मूला
इस खामी को 'पेंटाफोर फॉर्मूला' कहा जाने लगा और यह इतना सफल रहा कि केतन ने कई शेयरों के साथ ऐसा करना शुरू कर दिया। ज़ी मीडिया, एचएफसीएल, रैनबैक्सी आदि 10 स्टॉक्स जिनके साथ केतन ने यही फॉर्मूला अपनाया और उन्हें के-10 स्टॉक कहा जाने लगा। ये के10 स्टॉक बढ़े और बढ़े। कोई भी अफवाह कि केपी को किसी शेयर में दिलचस्पी है, ने उसे रफ्तार देना शुरू कर दिया। केपी ने अपने शेयरों को लेने के लिए और अधिक प्रमोटरों को अपने शेयर लेने और कीमत बढ़ाने और म्यूचुअल फंड निवेशकों को जोखिम देने के लिए लूप किया। केपी ने अपनी धोखाधड़ी में एक और रास्ता भी जोड़ लिया। भारत ने मॉरीशस के साथ DTAA - दोहरे कराधान से बचाव समझौते पर हस्ताक्षर किए। मॉरीशस से बाहर स्थित फंडों को केवल मॉरीशस की दरों पर पूंजीगत लाभ पर कर चुकाना पड़ता था, भारत की दरों पर नहीं। और मॉरीशस में स्टॉक गेन पर 0% टैक्स था! केपी ने इस कर लाभ का उपयोग करने के लिए छलांग लगाई और कुछ शेल कंपनियों को फंड के रूप में बनाया जो कुछ और नहीं बल्कि उनकी अपनी गतिविधियों के लिए एक और मोर्चा था। पैसे निकालने और वापस लाने के इस तरीके को राउंड ट्रिपिंग कहा जाता था! उन्होंने कीमतें बढ़ाने के लिए प्रमोटरों के अवैध पैसे को फिर से रूट किया
कैसे पकड़ में आया पूरा मामला
केतन पारेख के घोटाले की खबर सबसे पहले तब सुर्खियों में आई जब बैंक ऑफ इंडिया की मुंबई शाखा ने आरोप लगाया कि उन्होंने उनके साथ 137 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है। टाइम्स ऑफ इंडिया के सुचेता दलाल ने पूरे घोटाले का पर्दाफाश किया और इस पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की। ये अंतत: तबाही का कारण बना और 2001 में शेयर बाजार में गिरावट आई। आरबीआई ने पारेख के खिलाफ जांच शुरू की। केतन पारेख को इनसाइडर ट्रेडिंग का दोषी पाया गया और सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उन्हें शेयर की कीमतों में हेराफेरा करने का भी दोषी ठहराया गया। 2009 में, बाजार नियामक सेबी ने पाया कि वह अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के लिए फ्रंट कंपनियों का उपयोग कर रहा था । इस प्रकार, उस जाँच के परिणामस्वरूप लगभग 26 संस्थाओं को व्यापार करने से प्रतिबंधित कर दिया गया था। बाद में मार्च 2014 में, पारेख को सीबीआई की एक विशेष अदालत ने धोखाधड़ी के लिए दोषी ठहराया और दो साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। सबसे हालिया विकास 2021 में आया जब सुप्रीम कोर्ट ने केतन पारेख को अपनी बेटी की चिकित्सा जरूरतों को पूरा करने के लिए यूनाइटेड किंगडम की यात्रा करने की अनुमति दी।
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