अपनी एक्ट ईस्ट पॉलिसी को आगे बढ़ाता भारत, इसमें इंडोनेशिया रखता है कितना महत्वपूर्ण स्थान?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो के बीच MoUs का आदान-प्रदान हुआ। प्रबोवो सुबियांतो का गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भारत आए हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारत-इंडोनेशिया संबंधों में मजबूती आई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2018 में इंडोनेशिया की यात्रा की थी, जिस दौरान भारत-इंडोनेशिया संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया गया।
विदेश नीति की बात करें तो भारत का रुतबा पिछले एक दशक में काफी बढ़ा है। भाजपा सरकार के समग्र कार्यकाल में भारतीय विदेश नीति का परिवर्तन सबसे अधिक सामने आया है। विदेश मंत्रालय का जिम्मा मोदी 2.0 में संभालने वाले मोदी के गू मैन कहे जाने वाले एस जयशंकर के पास एक बार फिर रहा। इस दौरान भारत ने हर देश के साथ समान स्तर पर राजनयिक संबंध स्थापित करने की पहल की, फिर चाहे वह विकासशील राष्ट्र हो या विश्व की महाशक्ति ही क्यों न हो। भारत और इंडोनेशिया ने अपने रणनीतिक संबंधों का विस्तार करने के लिए दिल्ली के हैदराबाद हाउस में प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो के बीच MoUs का आदान-प्रदान हुआ। प्रबोवो सुबियांतो का गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भारत आए हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारत-इंडोनेशिया संबंधों में मजबूती आई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2018 में इंडोनेशिया की यात्रा की थी, जिस दौरान भारत-इंडोनेशिया संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया गया।
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2014 के बाद भारतीय विदेश नीति कैसे बदली?
2014 के चुनावों के दौरान, भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक मजबूत विदेश नीति की जरूरत को महसूस किया। यूपीए सरकार की उसके पिछले कार्यकाल में निष्क्रिय और गैर-जिम्मेदार विदेश नीति के जवाब के रूप में देखा गया था। कई लोगों ने विदेश नीति के मोर्चे पर भाजपा और उसके प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार से सवाल किया, लेकिन कम ही लोग जानते थे कि गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में भी, नरेंद्र मोदी ने प्रमुख एशियाई अर्थव्यवस्थाओं का लगातार दौरा किया। लोकसभा में प्रचंड बहुमत के साथ एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद कूटनीति में बदलाव का दौर देखने को मिला। नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार 'लुक ईस्ट पॉलिसी' से 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' की ओर शिफ्ट हुई। दक्षिण एशिया में पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को सुधारने, दक्षिण पूर्व एशिया के विस्तारित पड़ोस और प्रमुख वैश्विक शक्तियों को शामिल करने जैसी कोशिशें इसका प्रमुख हिस्सा रही।
क्या है भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी
एक्ट ईस्ट पॉलिसी आसियान देशों के आर्थिक एकीकरण और पूर्वी एशियाई देशों के साथ सुरक्षा सहयोग पर केंद्रित है। भारत के प्रधानमंत्री की तरफ से एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत 4सी पर फोकस रखा गया। इनमें कल्चर, कॉमर्स, कनेक्टिविटी, कैपसिटी बिल्डिंग हैं। सुरक्षा भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का एक महत्त्वपूर्ण आयाम है। दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में बढ़ते चीनी हस्तक्षेप के संदर्भ में भारत द्वारा नौपरिवहन की स्वतंत्रता हासिल करना और हिंद महासागर में अपनी भूमिका स्पष्ट करना ‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी की एक प्रमुख विशेषता है। भारत ‘क्वाड’ नामक भारत-प्रशांत क्षेत्र आधारित अनौपचारिक समूह के माध्यम से भी ऐसे प्रयास कर रहा है।
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भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और इंडोनेशिया
भारत और इंडोनेशिया के बीच बहुत गहरे संबंध रहे हैं। भारत की एक्ट ईस्ट नीति में इंडोनेशिया का अपना एक अलग स्थान है। भारत और इंडोनेशिया के बीच आर्थिक सहयोग पूरे आसियान क्षेत्र में सबसे ज़्यादा है। 2023-24 में दोनों देशों के बीच 29.40 बिलियन अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ। भारत ने इंडोनेशिया में 1.56 बिलियन डॉलर का निवेश कर रखा है, ख़ासतौर पर इंफ्रा, ऊर्जा, टैक्सटाइल, स्टील, ऑटोमोटिव, माइनिंग, बैंकिग और कंज्युमर गुड्स के क्षेत्र में यह निवेश किए गए हैं। इसके अलावा भारत और इंडोनेशिया के रक्षा सहयोगों को बढ़ावा देने के लिए साल 2018 में रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
इंडोनेशिया में भूकंप
2006 में इंडोनेशिया में जावा द्वीप पर बड़े पैमाने पर भूंकप आया। भारत ने बिना क्षण गंवाए आपदा के प्रयास में कोई कमी नहीं छोड़ी और एनडीआरएफ कर्मियों की टीम को रवाना कर दिया। एनडीआरएफ की टीम प्रभावित क्षेत्रों में खोज और बचाव कार्यों के साथ साथ प्रभावित लोगों को मानीय सहायता भी प्रदान करने के लिए तैनात नजर आए।
भारत और इंडोनेशिया का संबंध
भारत और इंडोनेशिया एक सहस्राब्दी से अधिक पुराने सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंधों के साथ घनिष्ठ समुद्री पड़ोसी हैं। यह आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन) क्षेत्र में भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है। 2023 में भारत-इंडोनेशिया व्यापार29.4 अरब अमरीकी डॉलर रहा था। इंडोनेशिया में बुनियादी ढांचे, बिजली, कपड़ा, इस्पात, ऑटोमोटिव, खनन, बैंकिंग और उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्रों में भारतीय निवेश 1.56 अरब अमेरिकी डॉलर है। साल 2018 में रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर के बाद द्विपक्षीय रक्षा और सुरक्षा संबंधों में भी लगातार विस्तार हुआ है। इंडोनेशिया में भारतीय मूल के लगभग 1.5 लाख लोग रहते हैं, जिनके पूर्वज 19वीं और 20वीं शताब्दी में उस देश में बस गए थे। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इंडोनेशिया में लगभग 14,000 भारतीय नागरिक (एनआरआई) रहते हैं, जिनमें उद्यमी, इंजीनियर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, आईटी पेशेवर, सलाहकार और बैंकर शामिल हैं।
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